ऐसी लालची औलाद देखा होगा कही आपने ….?, मृत माँ की चिता पर लेट गया सबसे छोटा बेटा ओमप्रकाश, बोला ‘पहले माँ का चांदी का कडा लाकर मुझे दो, तब अंतिम संस्कार होने दूंगा’ वीडियो हुआ वायरल

निलोफर बानो

डेस्क: राजस्थान के कोटपुतली-बहरोड जिले के विराटनगर क्षेत्र में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक घटना का वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमे सपत्ति का लालची पुत्र अपने माँ का अंतिम संस्कार नहीं होने देता है और खुद चिता पर तब तक लेटा रहता है जब तक उसे उसकी का के चांदी के कड़े नही लाकर दिए जाते है। इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद तरह तरह के कमेन्ट आ रहे है। घटना लीलो का बॉस की ढाणी गाँव की है।

कुछ दिनों पहले कोटपूतली बहरोड़ जिले के विराट नगर तहसील स्थित लीला का बास की ढाणी में एक वृद्ध महिला की मौत हो गई थी। मृतक महिला के बेटों के बीच प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहा था। जब मां की मृत्यु हो गई तो पूरा परिवार गमगीन था। गांव के सैकड़ों लोग गमी में उनके घर पहुंच गए और वृद्ध महिला के अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू की। जब महिला के शव को श्मशान घाट ले जाया गया तो वहां मृतका के छोटे बेटे ने बवाल कर दिया। वह मां की चिता पर लेट कर हंगामा करने लगा।

मृतक महिला का नाम भूरी देवी है। उसके सात बेटे है। छह बेटे एक साथ रहते हैं जबकि एक बेटा ओमप्रकाश अपने सभी भाइयों से अलग रहता है। जब मां की मृत्यु हुई तो ओमप्रकाश भी घर पहुंचा। मां की अर्थी को कंधा दिया। वह शमशान घाट तक चुपचाप साथ गया। ग्रामीणों ने जब मृतका कि चिता सजा दी और शव का अंतिम संस्कार करने की तैयार कर रहे थे। इसी दौरान ओमप्रकाश बिफर गया। वह लकड़ी की चिता पर लेटकर हंगामा करने लगा। करीब दो घंटे तक हंगामा चला। ग्रामीणों आखिर उसको लाकर कडा दिया तब जाकर बड़ी मुश्किल से मामला शांत हुआ।

बताया जाता है कि जब भूरी देवी का निधन हो गया तो परिवार वालों ने उसके आभूषण उतार लिए थे। मृतका के सबसे बड़े बेटे गिरधारी को सौंप दिए थे। इसके बाद मृतका के शव को अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट ले जाया गया। चूंकि ओमप्रकाश का अपने भाइयों के साथ प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहा था। ऐसे में शमशान घाट पहुंचने के बाद उसने हंगामा खड़ा कर दिया। लकड़ी की चिता पर मां के शव को रखने से पहले ओमप्रकाश चिता पर लेट गया और चांदी के कड़े लेने के लिए हंगामा करने लगा। पारिवारिक रिश्तेदारों और ग्रामीणों ने उसे काफी समझाया लेकिन ओमप्रकाश नहीं माना। आखिर में एक परिवार के एक व्यक्ति को घर भेजा गया और मां के चांदी के कड़े लाकर शमशान घाट पर ही ओमप्रकाश को दिए गए। तब जाकर मामला शांत हुआ।

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