ब्रेकिंग न्यूज़: ईयू ने भारतीय रिफाइनरी पर लगाया प्रतिबंध, भारत पर क्या होगा असर?

तारिक खान
डेस्क: यूरोपीय संघ (EU) ने एक बड़ा और अप्रत्याशित कदम उठाते हुए भारत की एक प्रमुख रिफाइनरी पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह पहली बार है जब ईयू ने रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों के दायरे में किसी भारतीय कंपनी को शामिल किया है। इस फैसले ने भारत-यूरोप संबंधों में एक नई चुनौती पेश कर दी है और इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा, यह बड़ा सवाल बन गया है।

ईयू का यह कदम रूस पर यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर दबाव बनाने की अपनी रणनीति का हिस्सा है। ईयू का मानना है कि नायरा एनर्जी, रूसी तेल को रिफाइन करके यूरोपीय बाजारों में बेच रही थी, जिससे रूस को राजस्व मिल रहा था। यूरोपीय संघ ने रूस की तेल आय को कम करने और अवैध तेल परिवहन पर अंकुश लगाने के मकसद से यह प्रतिबंध लगाया है। यह ईयू का रूस पर 18वां प्रतिबंध पैकेज है, जिसमें बैंकों पर सख्ती, गुपचुप तेल ढुलाई (शैडो फ्लीट) पर रोक, और तेल की कीमत की सीमा को और नीचे लाने जैसे कदम शामिल हैं।
भारत पर क्या होगा असर?
- ईंधन निर्यात पर असर: सबसे सीधा असर नायरा एनर्जी के यूरोपीय देशों को पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात पर पड़ेगा। नायरा अब यूरोप को इन उत्पादों का निर्यात नहीं कर पाएगी। भारत, यूरोप को रिफाइंड ईंधन का एक प्रमुख निर्यातक है, ऐसे में यह कदम भारत के लिए चिंता का विषय है।
- रिलायंस इंडस्ट्रीज पर भी प्रभाव: रॉयटर्स और ईटी की रिपोर्टों के अनुसार, यह प्रतिबंध नायरा एनर्जी के लिए तो झटका है ही, लेकिन रूसी तेल से बने ईंधन पर प्रतिबंध से रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी अन्य भारतीय रिफाइनरियों के लिए भी चुनौती बढ़ सकती है, जो यूरोपीय बाजारों में रिफाइंड उत्पाद बेचती हैं।
- ऊर्जा सुरक्षा पर भारत का रुख: भारत सरकार ने इन प्रतिबंधों पर कड़ा विरोध जताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा है कि भारत किसी भी एकतरफा प्रतिबंध को नहीं मानता जो संयुक्त राष्ट्र के दायरे के बाहर हों। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय करेगा और ऊर्जा व्यापार में दोहरे मापदंड स्वीकार्य नहीं हैं।
- रूसी तेल आयात पर संभावित प्रभाव: भारत, रूस से रियायती दरों पर बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात करता रहा है। हालांकि, ईयू ने रूसी कच्चे तेल पर लगने वाली नई मूल्य सीमा (60 डॉलर प्रति बैरल से घटाकर 47।6 डॉलर प्रति बैरल) भी तय की है, जिससे भारत को और अधिक सस्ता रूसी तेल मिल सकता है। यह देखना होगा कि यह प्रतिबंध भारत-रूस तेल व्यापार को किस हद तक प्रभावित करता है।
- भू-राजनीतिक प्रभाव: यह कदम भारत पर पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव को भी दर्शाता है कि वह रूस के साथ अपने संबंधों को कम करे। भारत ने हमेशा से अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन किया है और अपनी ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोपरि रखा है।
यह मामला निश्चित रूप से भारत और यूरोपीय संघ के बीच राजनयिक तनाव को बढ़ाएगा। भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगी। अब देखना होगा कि ईयू के इस कदम का भारत की तेल कंपनियों और समग्र अर्थव्यवस्था पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है और भारत इस चुनौती से कैसे निपटता है।










