PNN24 News Special : मानवता का निकला इसराइल से काफिला: ग्रेटा थनबर्ग समेत 170 सामाजिक कार्यकर्ताओ को इसराइल ने भेजा वापस, इंसानियत की मदद हेतु जा रहे थे गज़ा

शफी उस्मानी
डेस्क: गाज़ा पट्टी में भुखमरी और गंभीर मानवीय संकट के बीच, वहाँ राहत सामग्री पहुँचाने की एक और अंतर्राष्ट्रीय कोशिश को इजरायल ने बीच समुद्र में रोक दिया है। इस फ्लोटिला (जहाजी काफिले) में दुनिया भर के 170 से अधिक सामाजिक कार्यकर्ता सवार थे, जिनमें स्वीडन की मशहूर जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग भी शामिल थीं। इजरायली नौसेना ने इन्हें हिरासत में लिया और अब सभी कार्यकर्ताओं को उनके देशों में वापस भेज दिया गया है।

ये कार्यकर्ता ‘ग्लोबल सुमूद फ्लोटिला’ नामक एक पहल के तहत नावों पर सवार थे। इनका एकमात्र उद्देश्य गाज़ा के लोगों के लिए जीवनरक्षक दवाइयाँ, भोजन और अन्य ज़रूरी सामान पहुँचाना था, जहाँ लंबे समय से नाकेबंदी के कारण हालात बेहद खराब हैं। अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और मानवता के नाम पर यह काफिला निहत्थे नागरिकों के लिए मदद लेकर जा रहा था, लेकिन इजरायली नौसेना ने इसे सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए गाज़ा के समुद्री तट तक नहीं पहुँचने दिया। नौसेना ने इन नावों को अंतर्राष्ट्रीय जलक्षेत्र में ही रोक लिया और सभी यात्रियों को हिरासत में ले लिया।
ग्रेटा थनबर्ग ने लगाया इसराइल के अधिकारियो पर दुर्व्यवहार के आरोप
हिरासत में लिए गए इन कार्यकर्ताओं में पर्यावरण और मानवाधिकार की मुखर आवाज़ ग्रेटा थनबर्ग का नाम सबसे आगे था। लौटने वाले कुछ कार्यकर्ताओं ने इजरायली अधिकारियों पर दुर्व्यवहार के गंभीर आरोप लगाए हैं। इस्तांबुल एयरपोर्ट पर लौटे एक मलेशियाई कार्यकर्ता ने दावा किया कि ग्रेटा थनबर्ग को धक्का दिया गया और उनसे जानवरों जैसा सलूक किया गया। आरोप है कि उन्हें जबरन इजरायली झंडा थमाया गया। हालांकि, इजरायली विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है और कहा है कि सभी कार्यकर्ताओं को सुरक्षित और मानवीय तरीके से नियंत्रित किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया और सवाल
इस घटना ने एक बार फिर गाज़ा की नाकेबंदी और वहाँ मानवीय सहायता पहुँचाने के प्रयासों पर अंतर्राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है।
- एक तरफ, कार्यकर्ता और कई देश इस कार्रवाई को अमानवीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बता रहे हैं। उनका कहना है कि राहत सामग्री ले जा रहे निहत्थे लोगों को रोकना पूरी तरह से गलत है।
- दूसरी ओर, इजरायल का कहना है कि वे अपने देश की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं और गाज़ा में प्रवेश करने वाली सभी सामग्री पर कड़ी निगरानी रखना उनका अधिकार है।
ये कार्यकर्ता गाज़ा के लोगों के लिए उम्मीद की किरण लेकर निकले थे, लेकिन उनकी इस कोशिश को बीच में ही रोक दिया गया। इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है: क्या मानवीय सहायता भी अब राजनीति और सुरक्षा की भेंट चढ़ जाएगी? गाज़ा के लाखों लोग अभी भी इस बात का इंतज़ार कर रहे हैं कि उन तक ज़रूरी मदद कब पहुँचेगी।











