क्या वाराणसी में भाजपा की इतनी बुरी हालत है कि मोदी वहां लगातार तीन रैलियां करने वाले हैं?

पहले नरेंद्र मोदी वाराणसी में सिर्फ एक ही जनसभा करने वाले थे। अब सिर्फ वे ही नहीं भाजपा के कई बड़े नेता वहां लगातार डेरा डाले रहने वाले हैं

शबाब ख़ान

वाराणसी: उत्तर प्रदेश चुनाव में सबसे प्रतिष्ठा की सीट है वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां से सांसद हैं। लेकिन यहां से उन्हें अच्छी रिपोर्ट नहीं मिली है। वाराणसी में पार्टी की पतली हालत को तंदरूस्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री खुद मैदान में उतरने वाले हैं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक अगले कुछ दिनों में प्रधानमंत्री लगातार कई दिनों तक वाराणसी में धुआंधार प्रचार करने वाले हैं।

वाराणसी में आठ मार्च को चुनाव है, छह मार्च को चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। भाजपा के प्रचार से जुड़े एक बड़े नेता बताते हैं कि चार, पांच और छह मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में होंगे। इस दौरान शहर के तीन अलग-अलग हिस्सों में उनकी तीन अलग-अलग रैलियां होगी।
वाराणसी शहर को चुनावी दृष्टि से तीन हिस्सों में बांटकर देखा जा रहा है। उत्तरी वाराणसी, दक्षिणी वाराणसी और ग्रामीण वाराणसी। मोदी इन तीन इलाकों में अलग-अलग दिन जनसभा करेंगे। बनारस के एक भाजपा नेता के शब्दों में कहें तो 4-6 मार्च के बीच भाजपा की तरफ से काशी में कारपेट बॉम्बिंग होंगी। प्रधानमंत्री के अलावा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, दर्जनों केंद्रीय मंत्री और पदाधिकारियों की पूरी फौज इन दिनों वहीं कैंप करने वाली है।
प्रधानमंत्री वाराणसी में पहले सिर्फ एक बड़ी जनसभा करने वाले थे। लेकिन खुद अमित शाह ने यहां की रिपोर्ट तैयार की। उन्होंने दो दिन वाराणसी में बिताए और यहां के अलग-अलग इलाके के नेताओं से बात की। ज्यादातर बागी और नाराज़ नेताओं को तो उन्होंने मना लिया लेकिन फिर भी बनारस में माहौल भाजपा के लिए उत्साहवर्धक नहीं दिख रहा है। यहां के चुनाव पर नज़र रखने वाले भाजपा के एक नेता बताते हैं कि गड़बड़ नेताओं में नहीं माहौल में ही है। 2014 की तरह बनारस में इस बार न मोदी लहर है और न अखिलेश के खिलाफ एंटी इंन्कंबेंसी फैक्टर। ऊपर से अगर 2012 के चुनाव में मिले समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के वोट जोड़ दें तो बनारस की पांचों सीटें भाजपा के हाथों में जाती लगती हैं।
भाजपा के वर्तमान नेतृत्व के लिए यही चिंता का सबब बना हुआ है। 2012 में जब भाजपा की हालत पूरे प्रदेश में खराब थी उस वक्त भी वाराणसी की पांच में से तीन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार जीते थे। लेकिन इस बार एक सीट को छोड़कर बाकी चार पर भाजपा संकट में हैं। ऊपर से कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी नरेंद्र मोदी को उनके ही घर में घेरना चाहते हैं। वे फूरे शहर में एक साझा रोड शो करने वाले हैं जिसे सपा-कांग्रेस गठबंधन का शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है।
ऐसी हालत में भाजपा का बेड़ा पार कराने के लिए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तूफानी दौरा वाराणसी में रखा गया है। खबर है कि जिस दिन अखिलेश और राहुल गांधी सड़क पर एक साथ निकलेंगे उसी दिन प्रधानमंत्री मोदी का रोड शो भी वाराणसी में निकाला जाएगा। भाजपा की खबर रखने वाले बताते हैं शुरू में प्रधानमंत्री का रोड शो करीब दस किलोमीटर लंबा रखा गया था लेकिन एसपीजी के एतराज़ के बाद रास्ते को छोटा किया गया है। भाजपा की कोर टीम मोदी के रोड शो और रैली को सफल बनाने के लिए अभी से तैयारी में जुट गई है।
पूरे पूर्वांचल के चुनाव प्रचार का संचालन इस वक्त काशी से ही किया जा रहा है। वाराणसी संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। वाराणसी उत्तरी, वाराणसी दक्षिणी, वाराणसी कैंट, सेवापुरी और रोहनिया। इनमें से तीन सीटें वाराणसी उत्तरी, वाराणसी दक्षिणी और वाराणसी कैंट पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है। वाराणसी उत्तरी सीट पर भाजपा ने मौजूदा विधायक रविंद्र जायसवाल को ही टिकट दिया है लेकिन बाकी की दो सीटों पर उम्मीदवार बदले गए हैं। दक्षिण वाराणसी की सीट से सात बार के विधायक श्यामदेव राय चौधरी का टिकट काटकर नीलकंठ तिवारी को दिया गया है। नीलकंठ तिवारी टक्कर में तो हैं लेकिन यहा से से सपा-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार राजेश मिश्रा से उन्हें कड़ी चुनौती मिल रही है।
वाराणसी कैंट की हालत भी वैसी ही है। यहां भाजपा ने सौरभ श्रीवास्तव को टिकट दिया है। इस सीट से सौरभ के माता-पिता विधायक कई बार रह चुके हैं। कार्यकर्ता नाराज़ हैं कि पार्टी ने परिवारवाद को चुना उनके मन की बात नहीं सुनी। अमित शाह के करीबी बताते हैं कि भाजपा ने नाराज़ नेताओं को तो मना लिया गया है अब वोटरों को मनाने के लिए खुद प्रधानमंत्री और इस इलाके के सांसद नरेंद्र मोदी आ रहे हैं। बता दें कि इस बार जीत-हार का अंतर बेहद कम हो सकता है इसलिए भी नरेंद्र मोदी की इतनी रैलियां एक ही शहर में रखी गई हैं। अगर इनसे कुछ हजार मतदाताओं का ही मन बदला तो भाजपा को इसका बड़ा फायदा हो सकता है।
वाराणसी की बाकी की दो सीटों की बात करें तो रोहणिया और सेवापुरी पर अपना दल और भाजपा दोनों मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। इन सीटों पर पटेल समुदाय की तादाद अच्छी-खासी है। इसलिए अनुप्रिया पटेल की मदद भाजपा ने मांगी है। लेकिन मुश्किल ये है कि अनुप्रिया से भी पटेल मतदाता बहुत खुश नहीं हैं। उनका विरोध अपने ही परिवार में हो रहा है। इसलिए ग्रामीण वाराणसी की इन दो सीटों को जीतने के लिए भी मोदी को आना पड़ रहा है।
अगर भाजपा उत्तर प्रदेश का चुनाव बहुमत से जीतती है तो वाराणसी में हार-जीत पर ज्यादा चर्चा नहीं होगी लेकिन अगर भाजपा उत्तर प्रदेश का चुनाव हार जाती है तो सबसे ज्यादा चर्चा वाराणसी की ही पांच सीटों की होने वाली। ये मोदी भी जानते हैं और अमित शाह भी।                        

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