विपक्ष आया साथ तो बढ़ गई सत्ता पक्ष के माथे पर शिकन, झूठ पर चोट के समर्थन में उमड़ा काशी.

 (जावेद अंसारी) इसकी तैयारी तो वैसे पहले से थी, मगर किसी ने इसकी इतनी बड़ी सफलता के सम्बन्ध में सोचा भी नहीं था. वह झूठ पर चोट करने वाली कलम के हत्या के खिलाफ और फिर हत्यारों के समर्थन में सोशल मीडिया पर ज़हर उगलने वाले वो कथित देश भक्त और वह कथित रणबांकुरो के खिलाफ विपक्ष ने एक साथ जब काशी की सड़क पर उतरने की घोषणा किया था तो हर कोई इसकी सफलता को लेकर सशंकित था कि क्या कल तक एक दुसरे के खिलाफ शब्दों के तीर छोड़ने वाले स्थानीय नेता एक साथ सडको पर कंधे से कन्धा मिला कर चल सकेंगे. जबकि इसके नेतृत्व हेतु कोई बड़ा राजनैतिक चेहरा भी नहीं था. सत्ता पक्ष के अन्दर एक बेचैनी तो थी मगर शायद वह भी इसके सफल न होने का मुगालता पाल रखे थे. उस पर इंद्र भगवान की विशेष अनुकम्पा सुबह से शुरू हुई तो सत्ता पक्ष एकदम निश्चिन्त हो गया कि अब यह रैली असफल होना ही होना है. मगर वक्त ने करवट मारी और रैली निकली वह भी इतनी सफल की सत्ता पक्ष का रक्तचाप ही बढ़ गया होगा. केवल पुरे विपक्ष के स्थानीय नेताओ के बल पर निकला या विरोध मार्च जिधर से गुज़रा आम नागरिक भी झूठ पर चोट की कलम के साथ खड़े दिखाई दिये.

विरोध मार्च निकल कर बढ़ता रहा और जन मानस की संख्या भी लगातार बढती रही. विरोध मार्च ने भले ही कुछ देर के लिये शहर के एक बड़े हिस्से को जाम के झाम में फंसा दिया था मगर पहली बार यह जाम ऐसा था कि इतना रश होने के बावजूद भी आम नागरिक असहज नहीं महसूस कर रहा था. शायद झूठ पर चोट की कलम को काशी के निष्पक्ष नागरिको का यह सलाम था. आम जन इस विरोध मार्च की संख्या बढ़ाते ही नज़र आये वही सत्ता के गलियारों की सैर कर रहे नेताओ के माथे पर इस मार्च को देख कर शिकन बढ़ गई. यह शिकन इतनी ही बढ़ी है कि राजनैतिक सूत्र यहाँ तक कह रहे है कि सत्ताधारी दल इसके काट के लिये बड़ी तय्यारी कर रहा है और हो सकता है कि प्रधानमंत्री के प्रस्तावित दौरे के बैठक में भी इसकी चर्चा हो.

ज्ञातव्य हो कि निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार गौरी लंकेश की विगत दिनों उनके आवास के बाहर ही गोली मार कर हत्या हो गई थी. हत्या के बाद देश भर में इस जघन्य हत्या के खिलाफ पत्रकारों और विभिन्न राजनैतिक दलों ने विरोध प्रदर्शन किया था. गौरी लंकेश एक निर्भीक पत्रकारों की श्रेणी की महिला थी जो निडर होकर शासन सत्ता के खिलाफ लिखती थी, उनकी आखरी सम्पादकीय “झूठ पर चोट” थी जिसमे उन्होंने सत्ताधारी दल के खिलाफ कई कटु खुलासे किये थे. इस हत्या के बाद सोशल मीडिया पर कई दिनों से गौरी लंकेश के खिलाफ अभद्र भाषा की टिप्पणी कुछ सोशल मीडिया यूज़र के द्वारा किया जा रहा है और लगातार उनके खिलाफ अनर्गल पोस्ट की जा रही है. इसका देश व्यापी विरोध जारी है जिसके तहत आज वाराणसी में सभी विपक्षी दलों द्वारा संयुक्त रूप से गौरी लंकेश के समर्थन और सत्ता पक्ष के विरोध में एक विरोध मार्च आयोजित हुआ था.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मौसम से बेपरवाह सयुक्त संघर्ष समिति के तत्वाधान में विभिन्न राजनैतिक दलों के हजारों कार्यकत्ताओं ने गांधी प्रतिमा टाउनहाल से आजाद पार्क लहुराबीर तक प्रतिकार मार्च निकाला। हाथों में अलग – अलग नारे लिखी तख्तियों लिए महिला -पुरुष गगनभेदी नारों,गौरी लंकेश के हत्यारों को गिरफ्तार करो ,नफरत की राजनीति बंद करो, झूठ से आजादी, कत्लगाह बने अस्पताल और झूठ बोलना बंद करो, पेट्रोल का दाम कम करो के साथ बारिस में भीगते हुए लहुराबीर स्थित आजाद पार्क पहुंचे। आजाद पार्क में हुई सभा के दौरान वक्ताओं ने देश में पत्रकारों, संपादकों, लेखकों और चिंतको पर लगातार हो रहे हमले की निंदा किया।

कांग्रेस नेता शेलेन्द्र सिंह ने कहा हमारे देश में बहुत कुछ बदलने के वायदे के साथ सत्ता में आयी भाजपा के शासनकाल में कुछ भी नहीं हुआ है जिसे ढंकने के लिए झूठ और नफरत का इतना बड़ा जंजाल फैलाया जा रहा है। प्रोपेगैंडा ही एकमात्र एजेंडा बना दिया गया है। यह कैसा समाज है जो न एक महिला के लिए खड़ा हो रहा है न एक पत्रकार के लिए। आज तक किसी बड़े नेता ने राम रहीम को चुनौती देने वाली दो लड़कियों का समर्थन नहीं किया है। ये कैसा हिन्दुस्तान बना रहे है साहेब जहां किसी महिला पत्रकार की हत्या पर लोग जश्न मना रहे हैं? क्या हिन्दुस्तान की माताओं ने इसी हिन्दुस्तान के लिए अपने बेटों को गोद में लेकर जागते हुवे रात काटा है ?

पूर्व प्रदेश मंत्री सुरेंद्र पटेल ने कहा कि किसी भी लोकतान्त्रिक व्यवस्था वाले देश व समाज में अभिव्यक्ति की आजादी और असहमति का अधिकार बुनियादी शर्त हैं। प्रदेश के पूर्व मंत्री अजय राय ने कहा कि काशीवासी किसी भी कीमत पर लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे। सपा के महानगर अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल ने कहा कि उत्तर -प्रदेश में समाजवादी पार्टी फ़ासीवादी ताकतों को अखिलेश यादव जी के नेतृत्व में उखाड़ फेंकेगी और साम्प्रदायिक ताकतों के खिलाफ सड़कों पर उतरकर संघर्ष करेंगी।

पूर्व सांसद डा. राजेश मिश्रा ने कहा कि देश में पिछले कुछ दिनों से आतंक और असहिष्णुता का माहौल बनाया जा रहा हैं। इस दौरान आम आदमी पार्टी के पूर्वांचल संयोजक संजीव सिंह ने कहा कि बनारस से उठी आवाज अब देश की आवाज बनेगी जो आने वाले दिनों में भय, झूठ, नफरत, जुमलों से आजादी चाहती हैं जिसका शंखनाद बाबा विश्वनाथ और भगवान इंद्र के आशीर्वाद से हो चूका हैं।

पूर्व सांसद रामकिशुन ने कहा कि देश को सांप्रदायिक शक्तियां बांटने पर तुली हैं। CPI के विजय कुमार ने वादाखिलाफी करने वाली सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। सी.पी.एम. के डा. हीरालाल यादव ने कहा कि झूठ की राजनीति का पर्दाफाश जनता के बीच हो चूका हैं। अपना दल (कृष्णा पटेल) के प्रदेश महासचिव राधेश्याम पटेल ने देश को गुमराह करने वाले प्रधानमंत्री से सावधान रहने की बात की।

सभा में विचार व्यक्त करने वाले वक्ताओ में अरविन्द सिंह (पूर्व एमएलसी), पूर्व विधायक समद अंसारी,महेंद्र पटेल, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा, महानगर अध्यक्ष सीताराम केशरी, अनिल श्रीवास्तव, सपा के ओ. पी. सिंह, किशन दीक्षित, राजू यादव, लालू यादव, जिया लाल राजभर, BHU के पूर्व अध्यक्ष शिवकुमार सिंह, कुँवर सुरेश सिंह, प्रदीप जायसवाल, शमीम मिल्की, प्रवीण सिंह – बब्लू, सतनाम जी,रजनीश राय, राहुल सिंह, डा. आनंद प्रकाश तिवारी, प्रो. दीपक मालिक, प्रो.सुरेंद्र प्रताप, प्रो.उदित नारायण चौबे, राजेश पटेल, नन्दलाल पटेल, शमशेर, मायापति यादव, अब्दुल्लाह खाँ, रामानंद राय और मुकेश सिंह आदि प्रमुख थे।

इसके अतिरिक्त महिला वक्ताओ ने भी खूब बढ़ चढ़ कर इस सभा में हिस्सा लिया जिसमे प्रमुख रूप से ममता दुबे, आशा सेठ, मधु भारती, सोमा सिंह,  प्रेमशीला पटेल, मोहसिना परवीन, मीरा सेठ, रेखा शर्मा,जागृति राही, अर्चना श्रीवास्तव, मोहिनी महेंद्रू, रेखा जायसवाल आदि सम्मिलित थी।

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