फिलिस्तीनी संगठनों के मिसाइलों की बढ़ती शक्ति से हिल गया इस्राईल

शानिवार के टकराव के बाद बहुत कुछ सोचने पर मजबूर है जायोनी शासन

आफ़ताब फ़ारूक़ी आदिल अहमद

शुक्रवार को ज़ायोनी सैनिकों द्वारा ग़ज़्ज़ा पट्टी में शांति पूर्ण प्रदर्शनकारियों पर किए गए हमले में 6 प्रदर्शनकारियों की शहादत के बाद ग़ज़्ज़ा पट्टी से फ़िलिस्तीनी संगठनों ने इस्राईली क्षेत्रों पर लगभग 50 मिसाइल फ़ायर किए जिनमें से केवल 17 मिसाइल इस्राईली मिसाइल ढाल व्यवस्था आयरन डोम रोक पायी जबकि शेष मिसाइल अपने निशाने पर लगे।

मिसाइल हमले इस्राईल को वार्निंग देने के लिए थे अतः जान बूझ कर एसे इलाक़ों को निशाना बनाया गया जो आबादी से ख़ाली थी मगर मिसाइल हमलों ने इस्राईल में हड़कंप मचा दिया है क्योंकि इससे यह साबित हुआ कि वर्षों से इस्राईल के कड़े परिवेष्टन में रहने के बावजूद फ़िलिस्तीनी संगठन अपनी रक्षात्मक क्षमता और मिसाइल शक्ति में निर्णायक विस्तार करने में सफल हुए हैं।

शनिवार के हमले के बाद इस्राईल में यह मांग उठी कि फ़िलिस्तीनी संगठनों को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया जाए लेकिन इस्राईली मीडिया के अनुसार मुसादा, शाबाक और अमान सहित सभी इस्राईली सुरक्षा व इंटैलीजेन्स एजेंसियां इसी तरह इस्राईल युद्ध मंत्री एविग्डर लेबरमैन संयुक्त रूप से यही राय रखते हैं कि ग़ज़्ज़ा के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ना इस्राईल के लिए ख़तरनाक होगा।

इस्राईल के मंत्री साही हैंगबी ने कहा कि फ़िलिस्तीनी प्रशासन के प्रमुख महमूद अब्बास इस्राईल को प्राक्सी वार में खींचना चाहते हैं वह चाहते हैं कि इस्राईल ग़ज़्ज़ा पर क़ब्ज़ा करके उनके हवाले कर दे मगर हमास ने साफ़ शब्दों में कहा है कि वह अपनी रक्षा क्षमता में कोई कमी नहीं करेगा। इस्राईली मंत्री का कहना है कि हमास के पास इस समय जो मिसाइल हैं वह इस्राईल के किसी भी क्षेत्र तक पहुंचने में सक्षम हैं।

इस्राईली मीडिया का कहना है कि ग़ज़्ज़ा से क़रीब रहने वाले ज़ायोनियों में भय फैला हुआ है और उन्होंने धमकी दी है कि यदि इस्राईली सेना हालात को ठीक कर पाने में नाकाम रहती है तो वह आम हड़ताल शुरू कर देंगे। इन ज़ायोनियों का कहना है कि गत 30 मार्च से जब से वापसी मार्च शुरू हुआ है लगभग नौ महीने का समय हो रहा है और हम लगातार भय के वातावरण में जी रहे हैं।

वरिष्ठ टीकाकार सेफ़ीका फ़ोगल का कहना है कि इस्राईल की सरकार को अब अपनी सेना की क्षमता पर भी पूरा भरोसा नहीं रह गया है। हालिया परिस्थितियों के कारण इस्राईली सरकार को यह डर है कि यदि ग़ज़्ज़ा पट्टी के विरुद्ध व्यापक युद्ध छेड़ा गया तो इस्राईली सेना अपना मिशन पूरा कर पाएगा इसका यक़ीन नहीं है। इस्राईली टीकाकार यह कहते हैं कि ग़ज़्ज़ा के विरुद्ध युद्ध छेड़ने के बजाए यह कोशिश की जाए कि फ़िलिस्तीनी संगठनों के नेताओं और कमांडरों की टारगेट किलिंग की जाए।

वहीं दूसरे टीकाकार यह मानते हैं कि अब हालात एसे नहीं है कि इस्राईल किसी भी युद्ध का जोखिम उठाए क्योंकि बहुत सयम से यह हो रहा है कि इस्राईल की सेना किसी भी युद्ध में विजयी नहीं हो पा रही है। वह युद्ध शुरू तो कर देती है लेकिन आगे के हालात उसकी इच्छा और योजना के अनुसार नहीं रहते बल्कि बहुत कुछ उसके हाथ से निकल जाता है।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *