उपचुनाव के पहले उत्तर प्रदेश के इन दो बड़ी सियासी शख्सियत पर आ सकती है जांच की आंच

आफताब फारुकी

लखनऊ. मायावती और अखिलेश यादव के बीच सपा बसपा गठबंधन भले ही टूट चूका है और दोनों ने अलग अलग उपचुनाव लड़ने की ठानी है। मगर लगता है मुसीबते एक साठ ही दोनों के सर पर मडराने वाली है। उत्तर प्रदेश के दोनों प्रमुख नेताओ पर सीबीआई का शिकंजा उपचुनावों के पहले ही कस सकता है। सीबीआई भष्टाचार के दो नए मामलों की जांच कर रही है, जिनमें ये दोनों नेता संलिप्त होने के साक्ष्य भी तलाशे जा रहे हैं। मामला प्रदेश में 1,100 करोड़ रुपये के चीनी मिल घोटाले में नौकरशाहों और राजनेताओं की सांठगांठ का है जिसकी पोल खुल सकती है।

गौरतलब हो कि सरकारी संपत्तियों की बिक्री में बसपा सुप्रीमो मायावती के पूर्व सचिव नेतराम फंसे हैं, जबकि कई करोड़ के रेत खनन घोटाले का तार समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सहयोगी गायत्री प्रजापति और छह नौकरशाहों से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और तीन आईएएस अधिकारियों के विभिन्न परिसरों की बुधवार को तलाशी हुई है। चर्चाओ के अनुसार सीबीआई अखिलेश यादव से उनके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यकाल में हुए रेत खनन घोटाले के सिलसिले में पूछताछ कर सकती है।

एजेंसी यह सुनिश्चित करने के लिए इन फाइलों का ऑडिट करवा सकती है कि क्या मुख्यमंत्री कार्यालय ने निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किया। गायत्री प्रजापति के मामले में सीबीआई ने पाया है कि अनिवार्य ई-टेंडर नियमों का पूर्ण रूप से उल्लंघन किया गया। मंत्री के रूप में प्रजापति ने कथित तौर पर अपनी पसंद के ठेकेदारों को सीधे पट्टा देना मंजूर किया था। इसके बाद प्रजापति के निर्देश पर उनके अधीनस्थों, खनन सचिव और जिलाधिकारियों ने पट्टा संबंधी फाइलों पर हस्ताक्षर किए।

हालांकि बाद में अखिलेश यादव ने प्रजापति को बर्खास्त कर दिया, मगर चर्चाओं और सूत्री से मिली जानकारी के अनुसार उनके द्वारा कथित तौर पर किए गए उल्लंघन को मुख्यमंत्री कार्यालय ने सीधे तौर पर नजरंदाज कर दिया।  सीबीआई अभी मामले में और साक्ष्य जुटा रही है और आगे मुख्यमंत्री कार्यालय की भूमिका तय करने के लिए तीनों आईएएस अधिकारियों से पूछताछ करेगी।

वही दूसरी तरफ मायावती भी संकट में आती नजर आ रही हैं, क्योंकि चीनी मिल घोटाले में उनके सबसे भरोसेमंद नौकरशाह नेतराम के परिसरों की सीबीआई ने तलाशी ली है। सूत्रों ने बताया कि मायावती का भविष्य अब 21 चीनी मिलों के विनिवेश को मंजूरी देने के संबंध में नेतराम के बयानों से होने वाले खुलासे से तय होगा। सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, वर्ष 2010-11 के दौरान चीनी मिलों को औने-पौने कीमतों पर बेचा गया। मायावती वर्ष 2007 से लेकर 2012 तक प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं।

गौरतलब है कि इससे पहले कर चोरी के 100 करोड़ रुपये के संदिग्ध मामले में नेतराम को आयकर विभाग के छापे का सामना करना पड़ा था। मायावती के एक अन्य करीबी सहयोगी विनय प्रिय दुबे की भी सीबीआई ने चीनी मिल घोटाले में तलाशी ली है। वह उस समय उत्तर प्रदेश चीनी निगम के महाप्रबंधक थे।

बताते चले कि इससे पहले भी मायावती पर आय से अधिक धन मामले में आरोप लगे थे और प्रकरण में जाँच भी हुई थी। मगर मायावती इस जांच में क्लीन चिट पाई थी। लेकिन अब उनको कठिन दौर का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि एजेंसी घोटाले में उनकी करीबियों से पूछताछ कर रही है।

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