30 हज़ार घरो में घुसा पानी गंगा यमुना का कहर जारि खतरे के निशान के ऊपर दोनों नदिया

तारिक खान

प्रयागराज: खतरे का निशान पार कर चुकी गंगा और उफान पर यमुना का बाढ़ कछारी इलाकों में कहर बरपा रहा है। हर घंटे बढ़ रहा नदियों का जल शहरवासियों के लिए आफत बना है। मंगलवार को कछार के एक दर्जन से अधिक मोहल्लों के करीब 30 हजार घरों में पानी घुस गया। बिजली कटौती और पेयजल न मिलने से परेशान लोग पलायन कर रहे हैं। सड़क और गलियों में नावें चल रही हैं। लोगों को बचाव के लिए रास्ता नहीं सूझ रहा है।

शहर के कछारी मोहल्लों में मंगलवार को बाढ़ का पानी नालियों के रास्ते घुसा। ज्यादा प्रभावित मोहल्लों में द्रौपदी घाट, राजापुर, गंगानगर, नेवादा, ऊंचवागढ़ी, सरकुलर रोड का निचला हिस्सा, बेली कछार, मऊसरइयां, शंकरघाट, स्वामी सदानंद नगर, मेंहदौरी, छोटा बघाड़ा, बड़ा बघाड़ा, दारागंज, बक्शी कला, गऊघाट, करेलाबाग आदि मोहल्लों में लोग सांसत में रहे। किसी ने ऊपरी मंजिल पर सामान चढ़ाया तो किसी ने गठरी में बांधा गया सामान प्रभावित इलाकों से दूर परिचितों, रिश्तेदारों के घर पहुंचाया।

द्रौपदी घाट के किनारे द्रौपदी मंदिर तक गंगा का पानी पहुंच गया है। देवी दरबार पूरी तरह जलमग्न है। यहां रहने वाले दो दर्जन से अधिक परिवार सड़क पर डेरा जमाए हैं। छोटा हाथी और ट्रैक्टरों पर गृहस्थी का सामान रखा गया है। सीडीए पेंशन के आवासीय परिसर की चहारदीवारी के बगल फुटपाथ पर काली-नीली पन्नी की छावनी बनाकर महिलाएं और बच्चे रह रहे हैं। यहां पशुपालकों की संख्या अधिक है। जानवरों को छुट्टा छोड़ दिया गया है। बकरियों और पशुओं के झुंड सड़क घेरे हैं। बिजली गुल होने से सांप, बिच्छू और मच्छरों के प्रकोप से लोग परेशान है।

राजापुर इलाके में मंगलवार सुबह चार बजे चुपके से घुसा पानी दोपहर बाद तक परेशानी का कारण बन गया। आनन-फानन में लोगों ने सामान समेटा। महिलाओं के जिम्मे गृहस्थी और बच्चे किताबों, टीवी आदि सामान हटाते रहे। घर से सड़क तक सिर पर सामान ढोकर लाना मजबूरी बनी। किसी ने छत पर तो किसी ने दूसरी मंजिल पर ठिकाना बनाया। 500 से अधिक लोगों ने जरूरी सामान समेटकर परिचितों के घर शरण ली है।

शंकरघाट, रसूलाबाद इलाके के स्वामी सदानंद नगर में गंगा किनारे बने दर्जनों मकान लबालब हैं। शंकरघाट निवासी पूर्व जिला सूचना अधिकारी जेएन यादव बताते हैं कि लहरों को देख दहशत हो रही है। उन्होंने न केवल ऊपरी मंजिल पर सामान पहुंचाया बल्कि ढिबरी, लालटेन और मिट्टी का तेल भी खरीद लाए।

सलोरी में बाढ़ का कहर पीड़ा का कारण बना है। यहां गंगेश्वरनाथ धाम मंदिर मार्ग पर पानी लगा है। अमिताभ बच्चन पुलिया पर लहरें हिलोरें मार रही हैं। सलोरी गांव के बीच सड़क पर पानी भरा है। इस कारण लोग गोविंदपुर नहीं जा पा रहे हैं। अपट्रान चौराहे से सलोरी जाने वाला नाला ओवरफ्लो होकर मुसीबत बना है। यहां कैलाशपुरी कॉलोनी निवासी सुभाष नेता, संजय मिश्रा, नीरज तिवारी समेत सैकड़ों लोगों के घरों में पानी भरा है।

छोटा और बड़ा बघाड़ा इलाके में सबसे पहले बाढ़ से परेशानी का शुरू दौर अब चरम पर पहुंच चुका है। स्थानीय रमाकांत, छविनाथ, हरिप्रताप, सधन लाल, परमेश्वर लाल, शांति देवी, सुशीला आदि के घरों का पहला तल बाढ़ के पानी से लबालब है। बिजली और पानी किल्लत सिर का दर्द बनी है। जहरीले जंतुओं से खतरा बना है। राशन जुटाने और मिट्टी का तेल खोजने में लोगों को पसीना छूट रहा है।

शिवकुटी में सीताराम मंदिर धाम के बगल रहने वाले एक दर्जन से अधिक परिवारों के लिए सोमवार की रात सांसत भरी रही। किसी ने रतजगा किया तो किसी ने झपकी ली। हड़बड़ाए लोगोें ने किसी तरह पहले खुद को संयत किया फिर सामान समेटकर दूसरे तल पर पहुंचाया। 20 से अधिक लोगों ने छत पर रात गुजारने का इंतजाम किया है। यहां गनीमत है कि अभी बिजली नहीं काटी गई है। इसलिए पानी भी मिल रहा है।

जिला न्यायालय के वकीलों ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। निर्णय लिया गया है कि बाढ़ में फंसे लोगों  विशेष कर अधिवक्ता परिवारों की सहायता हेतु अभियान चलाया जाएगा। संघ ने वकीलों से अपील की है कि अपने आपपास बाढ़ में फंसे लोगों की हर संभव सहायता करें। मंगलवार को संघ के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण बिहारी तिवारी की अध्यक्षता में बैठक हुई।

मंगलवार को तीन और बाढ़ चौकियां खोल दी गईं। इस तरह से इस समय आठ चौकियों में बाढ़ पीड़ितों के रहने की व्यवस्था की गई है। इनमें 1300 से अधिक लोग हैं और सभी का बड़ा दर्द है। उनका परिवार दो हिस्सों में बिखर गया है। इसके बावजूद तमाम तरह की आशकाएं हैं।

कई विद्यालयों में परीक्षाएं चल रही हैं। ऐसे में बाढ़ में फंसे परिवारों की परेशानी बढ़ गई है। महबूब अली इंटर कालेज शिविर में पहुंची सुमन की बेटी नेहा मेरी वाना मेकर में कक्षा छह की छात्रा है। शिवानी समेत कई अन्य छात्राएं भी ड्रेस में ही शिविर में पहुंची थीं। उनका कहना था कि परीक्षा चल रही है। इसलिए स्कूल जाना ही पड़ेगा।

बाढ़ क्षेत्र के अलावा राहत शिविरों में बुखार का प्रकोप भी बढ़ गया है। बीमार पड़ने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। ज्यादातर लोग बाढ़ के पानी में होते हुए शिविरों में पहुंचे हैं। ऐसे में संक्रमण का डर है। इसके अलावा ज्यादातर शिविर स्कूलों में हैं। वहां शौचालय आदि की व्यवस्था तो है लेकिन स्नान के लिए बाथरूम नहीं है। ऐसे में खासतौर पर महिलाओं और बच्चियों के लिए स्नान की समस्या भी खड़ा हो गई है। ऊपर से राहत शिविर का माहौल। इससे भी बीमारी का खतरा बढ़ गया है और कई बुखार की चपेट में हैं। इसे देखते हुए हर शिविर में चिकित्सकों की टीम लगाई गई है।

राहत शिविरों में शौचालय हैं। इसके अलावा मोबाइल शौचालय की भी व्यवस्था की गई है, लेकिन कई जगहों पर वे फुल हो गए हैं। शिविर में तैनात कर्मचारियों के अलावा बाढ़ पीड़ितों ने भी इसकी शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

गंगा व यमुना में उफान के बाद बाढ़ की स्थिति के मद्दनेजर पुलिस विभाग ने भी कमर कस ली है। इसके तहत कुल 18 बाढ़ राहत चौकियां स्थापित की गई हैं। जिनमें कुल 108 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। यह 12-12 घंटे की दो शिफ्ट में चौकियों पर तैनात रहकर  लोगों की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। पुलिसकर्मियों ने बताया कि प्रत्येक चौकी पर एक दरोगा व दो कांस्टेबल तैनात रहेंगे।

अफसरों की ओर से यह भी कहा गया है कि बाढ़ की स्थिति में लोग घरों से पलायन करते हैं जिस स्थिति में चोरी की वारदातें बढ़ जाती हैं। ऐसे में सभी सीओ व थाना प्रभारी अपने-अपने क्षेत्रों में लगातार भ्रमणशील रहकर ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने केलिए उचित कदम उठाएंगे। थाना प्रभारियों से यह भी कहा गया है कि वह अपने-अपने क्षेत्रों में रहने वाले नाविकों, नावों की संख्या व प्राइवेट गोताखोरों की सूची तैयार करा लें जिससे किसी भी आकस्मिक स्थिति में उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग किया जा सके।

संभावित बाढ़ को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह से तैयारी में जुट गया है। जल स्तर पर लगातार नजर रखी जा रही है। बाढ़ पर नजर रखने तथा राहत के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गईं हैं। इनमें सभी संबंधित विभागों के अफसर तथा कर्मचारी शामिल किए गए हैं। क्षेत्र और बाढ़ चौकियों के लिए नोडएल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। सभी एसीएम के नेतृत्व में रिस्क्यू टीम बनाई गई है।

वहीं डीएम जल निगम और गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के महाप्रबंधक के खिलाफ मुकदमा लिखाने का निर्देश दिया है। दोनों अफसरों पर बाढ़ राहत कार्य में लापरवाही बरतने का आरोप है। डीएम ने मंगलवार को बाढ़ की तैयारियों की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई थी लेकिन दोनों अफसर मौजूद रहे। इस तरह की परिस्थितिया में अफसरों की लापरवाही को डीएम ने गंभीरता से लिया और एफआईआर लिखाने का निर्देश दिया।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में एनडीआरएफ की टीम लोगों के लिए सहारा बनी हुई है। दो नावों में सवार सदस्यों ने छोटा बघाड़ा और सलोरी में राहत कार्य किया तथा 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। आगे बाढ़ का खतरा और बढ़ने जा रहा है। ऐसे में एनडीआरएफ की दो और टीम बुलाई गई है। एडीएम वित्त एवं राजस्व मार्तंड प्रताप सिंह ने बताया कि नई टीम बुधवार को आ जाएगी। उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ की भी एक टीम यहां मौजूद है।

सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने अफसरों से वार्ता कर बाढ़ तथा राहत कार्यों की जानकारी ली। उन्होंने सभी जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया। सांसद के निर्देश पर कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल ने बाढ़ क्षेत्रों का दौरा किया। सदस्यों ने करेलाबाग में सीवर लाइन न बिछने तथा उससे होने वाली परेशानियों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कंजासा आदि क्षेत्रों का भी दौरा किया।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *