(देखे वीडियो) – शिक्षा के मन्दिर में बाल श्रम – मासूम  बच्चो से ईंट ढुलाई का कराया जा रहा कार्य

मुकेश यादव

मधुबन (मऊ): मधुबन थाना क्षेत्र के बेलौली भोजीपुर में स्थित राम वृक्ष चौबे स्वाधीन शिक्षा निकेतन स्कूल पर शिक्षा के मन्दिर में बाल श्रम कि खुलयाम धज्जियां उड़ाने का मामला संज्ञान में आया है। कल बुधवार 23 अक्टूबर को जब विद्यालय में शिक्षा देने का कार्य चल रहा था, तब स्कूल के प्रधानाचार्य शायद बच्चो को ईंट ढोने की शिक्षा दे रहे थे। तस्वीरो में आप साफ़ देख सकते है कि किस प्रकार मासूम बच्चो से ईंट ढुलवाई जा रही है।

राम वृक्ष चौबे स्वाधीन शिक्षा निकेतन में मासूमों से ईंट ढुलाई का कार्य करवाने वाले प्रधानाध्यापक से जब इस सम्बन्ध में हमने बात किया तो उनका कहना था कि अगर दो चार ईंट बच्चे उठा कर इधर से उधर रख देते है तो आपको क्या हर्ज है। किसी अभिभावक को तो आपत्ति नही है। उन्होंने कहा कि आप को खबर चलानी हो तो चला सकते हैं। मैं जवाब दे लूँगा। प्रिंसिपल साहब बड़े जलाल में थे और उन्होंने हमको मिर्ज़ापुर का उदहारण तक दे डाला कि किस प्रकार क्या हुआ था ? मेरा कुछ बिगड़ेगा नहीं ?

सबसे मजेदार बात तो ये है कि शिक्षा विभाग से संपर्क करने पर खंड शिक्षा अधिकारी ने वही घिसापिटा सा जवाब देकर मामले को टाल दिया, उन्होंने कहा कि मामले की मैं जाँच करवाऊंगा और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होगी। मगर सवाल तो अधुरा ही रह गया कि साहब जाँच कौन करेगा और कब तक होगी। जाँच निष्पक्ष होगी ये कैसे विश्वास कर सकते है। वैसे विश्वास करने हेतु हम आपको खबर के साथ ही वीडियो भी उपलब्ध करवा रहे है जिसमे जवाब्देहो के सामने ईंट ढुलाई का काम बच्चो से करवाया जा रहा है।

वैसे एक और प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि प्रधानाचार्य को आखिर इतना जज्बा क्यों होगा। कही न कही से उनके सर पर किसी का हाथ ज़रूर होगा। वही दूसरी तरफ शिक्षा के मंदिर में जहा अभिभावक बच्चो को शिक्षा ग्रहण करने को भेजते है, वहा शिक्षा के जगह इस प्रकार से बाल श्रम करवाना कहा तक जायज़ है। हम जानते है कि मामला तुल पकड़ेगा तो पैनलो में बैठ कर बड़ी बड़ी बहस होगी, मगर निष्कर्ष वही रहेगा। जिसको ठेठ भाषा में कहते है ढाक के तीन पात। अब देखना है कि स्थानीय शिक्षा विभाग क्या करता है अथवा प्रिंसिपल को ही प्रकरण में जाँच अधिकारी नियुक्त कर देते है, ये तो आने वाला समय ही बताएगा। वैसे जांच भी खंड शिक्षा अधिकारी करेगे अथवा वह भी ठन्डे बसते में चली जाएगी इसका जवाब तो साहब या फिर आने वाला समय ही बताएगा।

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