क्या सीएए और एनआरसी को विरोध करने वालों के लिए उत्तर प्रदेश की जेल भी सुरक्षित नहीं है?

नीलोफर बानो

लखनऊ विवादित नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान गिरफ़्तार हज़ारों लोगों के बीच कई समाजिक कार्यकर्ता और पूर्व अधिकारी भी शामिल है। इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता सदफ़ जाफ़र और पूर्व आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी को मंगलवार को जेल से रिहा कर दिया गया।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़,  भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक स्थानीय अदालत ने 13 अन्य लोगों के साथ सदफ़ जाफ़र और पूर्व आईपीएस अधिकारी दारापुरी को शनिवार को ज़मानत दी थी लेकिन काग़ज़ी कार्रवाई पूरी नहीं होने के कारण उनकी जेल से रिहाई नहीं हो सकी थी। सदफ़ जाफ़र को 19 दिसंबर जबकि दारापुरी को 20 दिसंबर को यूपी पुलिस ने गिरफ़्तार किया था।  शनिवार को कार्यकर्ताओं को 50,000-50,000 रुपये के निजी मुचलके और ज़मानत राशि जमा करने को कहा गया था। दारापुरी और सदफ़ जाफ़र पर आईपीसी की धारा 307, 332, 353, 147 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया।

इस बीच भारत के प्रसिद्ध समाचार पत्र द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक़, लखनऊ की सेंट्रल जेल से रिहा होने के बाद दारापुरी ने कहा, ‘यह गिरफ़्तारियां सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ को दबाने का सरकार का एक प्रयास थीं।’ उन्होंने कहा, ‘पूरा देश जिस तरह से सीएए का विरोध कर रहा है, उससे सरकार हिल गई है और लोगों की आवाज़ को दबाने का हथकंडा अपना रही है। पूर्व आईपीएस ने कहा कि, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इस रणनीति के तहत जेल भेजा ताकि बाहर प्रदर्शन कर रहे लोग बिना किसी के नेतृत्व में अलग-थलग पड़ जाएं लेकिन सरकार इसमें नाकामयाब रही।’ दारापुरी ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें ठंड में कंबल नहीं मुहैया कराया और न ही खाने को भोजन दिया। उन्होंने कहा कि मुझे ठंड लगती रही, मैंने पुलिस से कंबल मांगा लेकिन उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया।

वहीं समाजिक कार्यकर्ता वहीं, सदफ़ जाफ़र ने कहा, ‘मुझे तरस आता है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार डरी हुई है। उन्होंने कहा कि, मैं शुरुआत में ग़ुस्से में थी लेकिन मुझे हंसी आ रही थी कि उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के बावजूद मुझ पर किस तरह की धाराएं लगाईं हैं।’ सदफ़ ने कहा कि उन्हें बिना किसी महिला कॉन्स्टेबल के गिरफ़्तार किया गया और बर्बरता से पीटा गया। बता दें कि, लखनऊ की स्थानीय निवासी सदफ़ जाफ़र एक शिक्षिका, कवि, कार्यकर्ता, कलाकार, अनुवादक और कांग्रेस कार्यकर्ता हैं, जिन्हें 19 दिसंबर को परिवर्तन चौक से गिरफ़्तार किया गया था।

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