धिन्ना की आप बीती से देश के लाखों परिवारों का वास्ता

फारुख हुसैन

पलिया कलां खीरी. “रोज कमाते थे रोज खाते थे, दस दिन से काम बंद है, अब आपसे सुन रहे हैं 21 दिन और बंद रहेगा। जो राशन था वो सब खत्म हो गया है, हमारे पास तो जमा पूंजी भी नहीं है। परिवार को 21 दिन कैसे जिंदा रखेंगे?” सोच में बैठे मोहल्ला रंगरेजान निवासी धिन्ना के इस वाक्य से देश के लाखों परिवारों का वास्ता होगा ।

सुबह आँख खुलते ही तौले ने जब यह सुना कि 21 दिन भारत बंद रहेगा तो उनकी जुबान से पांच शब्द ही निकले, “कैसे कटेंगे ये 21 दिन?”. फुटपाथ पर रहने वाले पैंसठ वर्षीय धिन्ना  के लिए लॉक डाउन के 21 दिन काटना हमारे और आपके दिनों जैसे बिलकुल नहीं हैं। “रोज कमाते थे रोज खाते थे, दस दिन से काम बंद है, अब आपसे सुन रहे हैं 21 दिन और बंद रहेगा। जो राशन था वो सब खत्म हो गया है, हमारे पास तो जमा पूंजी भी नहीं है। परिवार को 21 दिन कैसे जिंदा रखेंगे?” सोच में बैठे धिंना के इस वाक्य से देश के लाखों परिवारों का वास्ता होगा …

धिन्ना जैसे देश के लाखों मजदूरों के लिए ऐसे हालात तब बने जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को घोषणा की कि 24 मार्च की रात 12 बजे से 21 दिनों तक पूरा देश पूरी तरह से बंद रहेगा। ये मजदूर इस बड़ी बंदी के लिए आर्थिक रूप से सक्षम नहीं थे। इन मजदूर परिवारों के लिए एक-एक दिन काटना भारी पड़ रहा है। इनके पास रहने का न तो कोई सुरक्षित ठिकाना है और न ही पेट भरने के लिए 21 दिन के राशन का इंतजाम।

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