तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – कोरोना के कहर को कम और लाकडाउन को मजाक समझने वालो, क्या आपको इसके खतरे का अंदाजा भी है ?

तारिक आज़मी

नजुमियत और पत्रकारिता कभी कभी एक जैसी दिखाई देने लगती है। जिस तरीके से एक दिहाड़ी मजदूर खुद की दिहाड़ी के लिए रोज़ सुबह उठकर काम की तलाश करता है, वैसे ही नजुमियत के खुद को माहिर समझने वाले खुद के नजुमियत का मुजाहिरा करने को बेताब दिखाई देते है कि कौन दिखे और किसको दिखाऊ। इसी तरह पत्रकारिता भी है। कब कहा क्यों कैसे फिर वह चाहे जैसे टॉप ट्रेडिंग न्यूज़ पर भाग दौड़ करो। खुद की सेहत का ख्याल हो न हो मगर समाज के लिए सोचो।

बहरहाल, हमारा क्या है साहब दुनिया में आने के बाद कलम पकड़ी है तो किसी स्याही से निकले हर्फ़ पर ही फनाह हो जाना है। रोज मर्रा की ज़िन्दगी में चंद लम्हे खुद के लिए निकाल लेना ही बड़ी बात हो जाती है। इसी रोजनामो की खबरों की ख्वाहिशे हमको भी आज हालात का जायजा लेने के लिए निकलने को मजबूर कर चुकी थी। चेहरे पर मास्क, हाथो में सनेटाइज़र लगा और जेब में भी एक शीशी रखकर चल पड़ा खुद के लिए खबर की तलाश में। गली के अगले नुक्कड़ पर ही खलियर लोगो का झुण्ड पान की बंद दूकान के बाहर खड़ा अन्दर से पान के इंतज़ार और चाय की तलाश को बेताब दिखाई दिया। अगली गली के नुक्कड़ पर ही काफी बच्चे खुद को सचिन तेंदुलकर बनाने में मसरूफ थे।

कुछ आगे बढ़ा तो बैरिकेटिंग के पास ही खाकी वर्दीधारी, लोगो को उधर से गुजरने पर पूछताछ कर रहे थे कि आखिर कहा जा रहे हो और काम उनका जाने का ज़रूरी है या फिर ऐसे ही तफरी करने निकल पड़े हो। इस दौरान कुछ गाडियों से तीन तीन लडको का जाता झुण्ड भी दिखाई दिया। पुलिस वाले अगर जवाब से मुतमईन नही हो रहे थे तो आने जाने वाले लोगो को वापस भेज दे रहे थे। खुद की जान की फिक्र किये बिना दूसरो को वापस जाना अथवा उनके कागजात देखना फिर उनको सही सलाह देना। शायद उन पुलिस वालो की डयूटी हम समझे। मगर हमारी समझ शायद इस मुद्दे तक रहती है और या फिर हम मन में उन पुलिस कर्मियों अथवा सरकार को कोस रहे है जिसने लाकडाउन किया है तो फिर शायद हमको अपनी समझ का सही इलाज खुद के आयुर्वेदिक चूर्ण से करना चाहिए।

आपके लिए शायद ये लाकडाउन एक मज़ाक हो, शायद आप खुद इसमें अपनी बंदिशे महसूस कर रहे हो, भले आप किसी राजनैतिक सोच के कारण हो हल्ला कर रहे हो या फिर आपके दिमाग में हो कि अमा छोडो हमको तो ये होगा ही नहीं तो बराये मेहरबानी आप मुगालते न पाले और मुगालते से बाहर निकले। वैसे भी हमारे काका कहते थे कि बबुआ कुकुर से लेकर शेर तक पाल लो, मगर मुगालता न पालो। हम शायद इसी मुगालते में ही तो है कि जब प्रशासन खुद के जान पर खेल कर हमारे स्वास्थ की कमाना के लिये पसीने बहा रहा है तो हम उनको खुद की बंदिश का हिस्सा समझे और प्रशासन के बारे में उनके इस कदम के बारे में बुराईया कर डाले।

आप भले ही इस वायरस के इफेक्ट को हल्का लेकर समझ बैठे हो मगर आपकी जानकारी को एक छोटी सी जानकारी दे दू कि इटली चिकित्सा के मामले में दुनिया में दुसरे नंबर की सुविधा रखती है। उस इटली जैसे देश ने इस महामारी से बचाओ के लिए खुद को कैद कर रखा है और हाथो को खड़े कर दिए है। वही दूसरी तरफ हम अपनी स्वास्थ सेवाओं पर नज़र डाले तो साफ़ हो जायेगा कि हमको ढंग से डेंगू के इलाज के लिए भी जद्दोजेहद करना पड़ता है। देश की विशालता का अंदाजा इसी से लगा सकते है कि हर 84 हज़ार लोगो पर एक वेंटिलेटर बेड है। अब आप बताओ कहा से भारत ऐसी महामारी से अगर फ़ैल जाए तो लड़ने के लिए तैयार है।इसके लिए हम सावधानी तो कर सकते है।

फ्री के मास्क मिल रहे है। आपको घरो में रहने को कहा जा रहा है। मगर आप लोकडाउन को तोड़ कर खुद टहलने निकल जा रहे है। हम अपने बच्चो और जवान लडको को घरो में नहीं रोक पा रहे है उसकी वजह ये है कि एक बीड़ा पान खाने खुद ही हम बाहर निकल जा रहे है। गली नुक्कड़ पर खुद जमावाडा लगा रहे है। खुद ही डाक्टर बनकर कह दे रहे है कि हमको कहा से कोरोना हो जायेगा। भाई क्या कोरोना बैंड बाजे के साथ आपके पास आएगा कि आप पहचान लो। क्या लोहे के बने हुवे हो कि आप को कोरोना छू कर खुद टूट जायेगा। या फिर आप खुद को मिस्टर इण्डिया समझ रहे हो जो आप कोरोना को देख लेंगे और कोरोना आपको नही देखेगा।कमाल करते हो आप भी साहब।

बताता चल रहा हु कि देश में कोरोना का कहर तेजी से बढ़ता जा रहा है। भारत में अब 470 लोग कोरोनावायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 9 लोगों की जान जा चुकी है। सोमवार को संक्रमित दो लोगों की मौत हो गई। इस बीच अब ये बात सामने आ रही है कि भारत में भी इसके मामले तेजी से बढ़ सकते हैं। NDTV ने अपनी खबर में लिखा है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि काफी कोशिश की जाए और सबकुछ देशहित में होगा तभी कोविड-19 को तेजी से फैलने को रोका जा सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, अगर स्थिति अच्छी रही तो दिल्ली में इसके 15 लाख मामले हो सकते हैं, वहीं मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु में 5-5 लाख लोग इसके संक्रमण के शिकार हो सकते हैं।

आईसीएमआर की तरफ से 27 फरवरी को जारी रिपोर्ट में कहा गया था कि फरवरी से शुरू होकर 200 दिनों तक यह वायरस भारत में अपने चरम पर होगा। वहीं अगर बदतर हालात बनते हैं तो फरवरी से अगले 50 दिनों में ही भारत में इसके मामले काफी तेजी से बढ़े हुए दिख सकते हैं। ऐसे हालात में दिल्ली में संक्रमण का मामला एक करोड़ तक पहुंच सकता है, वहीं मुंबई में 40 लाख तक लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं।

अब आप बताये कि आपके शहर का प्रशासन आपको घरो में रहने को कहता है तो क्या गलत कर रहा है। भाई इस तेज़ भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में थोडा वक्त आप अपने साथ और अपने परिवार के साथ बिठाये। टीवी के पैसे फ़ालतू के जाते है आप टीवी देखे। भागदौड़ में ढंग से सो भी नही पाते है तो थोड और आराम करे। अगर किसी काम से  निकलना बहुत ज़रूरी हो तो आप खुद के चहरे पर मास्क लगाकर हाथो को ढंग से धोकर जाए और फटाफट काम निपटा कर आये और फिर से खुद के हाथो को अच्छी तरह धो ले। सेनेटाइज़र का प्रयोग लगातार करते रहे। किसी से भी बात एक मीटर की दुरी से करे। प्रशासन की बातो को माने और घरो में महफूज़ रहे। काम को थोडा टाले। साहब मान कर चलिए कि जान है तो जहान है। लॉकडाउन आपकी खुद की सुरक्षा के लिए है। और आपकी सुरक्षा से समाज की सुरक्षा जुडी है। ध्यान रखे ये वायरस छूने से भी फैलता है,।

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