अनटोल्ड स्टोरी आफ मोस्ट वांटेड विश्वास नेपाली – पुलिस की पकड़ से दूर खौफ का दूसरा नाम – (क्या कभी पकड़ा जायेगा, आखिर क्यों है पुलिस के गिरफ्त से दूर) भाग – 4

तारिक आज़मी

विश्वास नेपाली ने अपराध का रंग ढंग ही करीब करीब बदल दिया है। नकली नोट के कारोबार की जानकारी हमको सूत्रों के द्वारा मिली है। बताने वाले तो यहाँ तक बताते है कि बनारस की कुछ प्रमुख मंडियों में सफ़ेदपोशो के द्वारा ये सिंडीकेट के रूप में काम हो रहा है। सफ़ेदपोशी के कारण ये गैंग पुलिस के पकड़ से दूर रहता है। क्षेत्र के लोगो को शक भी होता है तो नोट बदल दिया जाता है ये कहते हुवे कि किसी ने शायद टोपी पहना दिया है। जिनको शक पुख्ता भी रहता है वो खमोशी की चादर ओढ़ लेते है।

ओढ़े भी क्यों नही आखिर ? नाम शायद इतने बड़े होते होंगे कि उनके खिलाफ बोलने की हिम्मत किसी की नहीं होती होगी। फिर दूसरा सबसे बड़ा हमारी सोच का तरीका होता है जिसमे हमको अपने मोहल्ले में एक दो क्रांतिकारी ज़रूर चाहिए होते है मगर कोई क्रन्तिकारी अपने घर में नही बल्कि पडोसी के घरो में चाहिए होते है। हमारी आवाज़ खुद की बंद करने की सोच ही हमारे आसपास अपराधो को संरक्षण दे जाती है। वो जानते है कि कोई आवाज़ नही उठाएगा। लोग सोचते है कि कौन बुराई भलाई ले। मुहल्लेदारी है। वगैरह वगैरह

बहरहाल, अगर हम गौर करे तो विश्वास नेपाली पूरी तरीके से उत्तर प्रदेश पुलिस से दूर है। इसके कई कारण है। पुलिस अपने अभी तक के पुराने ढर्रे पर काम करती थी। थोडा मॉडर्न लुक भी आया उत्तर प्रदेश की पुलिस के अन्दर तो पुराने फार्मूले को छोड़ दिया जबकि सतही जगहों पर पुराने फार्मूले ही काम करते है। एक हाईटेक अपराधी को पकड़ने के लिए काफी स्टडी करने की ज़रूरत होती है। मगर ढेर सारे काम पुलिस के हवाले करके फिर उससे ये उम्मीद करना कि पुलिस किसी केस पर जमकर स्टडी करेगी मुमकिन नही लगता है।

हमने खुद लगभग इन सब जानकारी के लिये लगभग 4 महीने का समय बिताया। गौरीफंटा से लेकर निचलौल तक के क्राइम रिपोर्टर्स से बातचीत किया। इनके माध्यम से नेपाल से इनपुट लेना पड़ा। इनके संपर्क के नेपाल के रिपोर्टर्स अपनी सूचनाओ और समाचारों का आदान प्रदान होता रहता है। भाषा की दिक्कत वगैरह वगैरह।

सुरक्षा व्यवस्था से लेकर परीक्षा करवाती यूपी पुलिस को सोने की भी फुर्सत नही

इतनी मेहनत अभी की व्यस्त उत्तर प्रदेश पुलिस से करना कही से इमानदारी नही होगी। सुरक्षा व्यवस्था से लेकर परीक्षा तक करवाती उत्तर प्रदेश पुलिस को भर नींद सोने तक की फुर्सत नही मिलती है। ऐसे में किसी एक अपराधी को लेकर इतनी बड़ी स्टडी का समय कैसे मिलेगा। ये भी नही है कि किसी को इस पर काम करते नही देखा है।

किसने किसने किया है प्रयास

अगर ध्यान दिया जाये तो विपिन राय, अनिरुद्ध सिंह, विक्रम सिंह तथा भारत भूषण ने भी इस पर अपनी पकड़ बनाने का प्रयास किया था। तत्कालीन सिगरा थानाध्यक्ष और वर्त्तमान में मुगलसराय थाना प्रभारी शिवानन्द मिश्रा ने भी प्रयास किया था। मगर किसी को किसी भी लेवल तक सफलता हाथ नही लगी। पूर्व सेकेण्ड अफसर चौक और वर्त्तमान में बलिया में पोस्टेड चन्द्र प्रकाश कश्यप ने भी प्रयास किया था। मगर शायद किसी सफलता की हद के आसपास भी नही पहुच सकने से मात्र निराशा ही हाथ लगी है। वर्त्तमान दुर्गाकुंड चौकी प्रभारी प्रकाश सिंह द्वारा भी इस अपराधी पर लगाम कसने की काफी कोशिशे जारी है। जिस प्रकार की जानकारी उनके द्वारा इकठ्ठा किया गया है वह वाकई काबिल-ए-तारीफ है। एक एक बिंदु को सलीके से इकठ्ठा करने वाले एसआई प्रकाश सिंह के पास शायद ऐसी कई अन्य जानकारिया भी है जो विश्वास और सफ़ेदपोशो के सम्बन्धो के बारे में खुलासा कर सकते है। शायद वह खुद इस जानकारी को अभी सार्वजनिक नही करना चाहते होंगे और गोपनीयता के तहत हमारे सवालो को भी टाल दिया। वैसे इस प्रकार की जानकारी इकठ्ठा करना भी बड़ा काम है।

मगर शायद विश्वास एक कदम इस भागदौड़ में आगे है। जानकर तो इस बात की भी जानकारी देते है कि विश्वास बनारस आता जाता रहता है। मगर उसके आने जाने के बारे में कोई ठोस जानकारी अभी तक नही मिल सकी है। नेपाल में खुद का गढ़ बना कर भारत में अपना साम्राज्य चलाना भी बड़ी बात कही जारी है. सूत्रों के द्वारा मिली जानकारी तो यहाँ तक है कि विश्वास अपने खुद के बच्चो को भारत में ही शिक्षा दे रहा है. वही ट्रेवेल एजेंसी के आड़ में सभी काले कारोबारों को ढके हुवे है.

क्या है ताज़ी जानकारी

बहरहाल, हमारे सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार विश्वास नेपाली उर्फ़ विश्वास शर्मा नेपाल में बिश्वा शर्मा के नाम से जाना जाता है। माओवाद आन्दोलन में अहम गोपनीय भूमिका निभाने वाला विश्वास नेपाल में स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है। सूत्र तो यहाँ तक बताते है कि विश्वास नेपाली इसके लिए कन्वेंसिंग भी जारी करवा चूका है। मगर उसका कोई पोस्टर बैनर नही छपा है। अगर सूत्रों से प्राप्त इस जानकारी पर गौर करे तो यदि विश्वास नेपाली ये चुनाव लड़ता है और जीत जाता है तब फिर उसको गिरफ्तार करना मुश्किल नही बल्कि बहुत मुश्किल होगा।

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