वाराणसी – 8 महीने से खुलासे का इंतज़ार में बब्लू सिंह हत्याकांड भाग (2) – पुलिस के पकड़ से एक कदम आगे हत्यारोपी

तारिक आज़मी

वाराणसी। बबलू सिंह की मौत को आज 8 माह लगभग गुज़र चुके है। इसके बावजूद पुलिस के हाथ खाली है। एक बार फिर बबलू सिंह हत्याकांड की फाइल पर पड़ी धुल झाडी जाने लगी है। एक बार फिर से प्रशासन इस मामले के खुलासे में जोर लगा रहा है। प्रकरण में गिरधारी का नाम सामने आने के बाद वाराणसी पुलिस ने अब गिरधारी पर 50 हज़ार का इनाम घोषित कर दिया है। 4 जून को आईजी विजय सिंह मीना ने चोलापुर थाना क्षेत्र के ग्राम लखनपुर निवासी गिरधारी पर इनाम राशि की घोषणा किया और फिर एक बार बबलू सिंह हत्याकांड की फाइल पर पड़ी धुल हटने लगी है। अचानक फिर से गिरधारी का नाम सामने आने लगा है और पुलिस उसकी गिरफ़्तारी की कोशिश कर रही है।

वाराणसी – 8 महीने से खुलासे के इंतज़ार में बब्लू सिंह हत्याकांड – भाग (1)

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पुलिस का दावा है कि सदर तहसील में बबलू सिंह की हत्या गिरधारी उर्फ़ डाक्टर ने ही किया है। अगर ऐसा रहा तो फिर गिरधारी के साथ एक नाम और भी सामने आना चाहिए वह है अखंड का। मगर अखंड ने खुद एक ऊपर घोषित हुवे इनाम के बाद गैंगेस्टर कोर्ट में सरेंडर कर दिया और पुलिस की पूछताछ से बच गया। बहरहाल, ऐसा नहीं है कि पुलिस ने आज इस नाम को उजागर किया है। घटना के कुछ समय के बाद से ही गिरधारी का नाम तत्कालीन क्राइम ब्रांच प्रभारी विक्रम सिंह ने सामने किया था। उस वक्त भी गिरधारी की गिरफ़्तारी का प्रयास जारी हुआ था। क्राइम पर अच्छी पकड़ रखने वाली पुलिस टीम ने भी काम शुरू कर दिया। इसके बाद से मची सफेदपोशो के बीच हडकम्प।

तत्कालीन उच्चाधिकारियों के बीच भी इस नाम को उजागर विक्रम सिंह ने किया था। केस में नाम उजागर करने की बात पर मामला अटका रहा। प्रकरण में तत्कालीन क्राइम ब्रांच प्रभारी विक्रम सिंह ने घटना के सम्बंधित जानकारी तत्कालीन अधिकारियो को दिया था। वही सूत्रों की माने तो लंका थाना प्रभारी भारत भूषण ने भी प्रकरण में पूरी डिटेल रिपोर्ट अपनी एडीजी के सामने रखा था। प्रकरण में गिरधारी की गिरफ़्तारी पर जोर हो रहा था। इसी दरमियान विक्रम सिंह का स्थानांतरण मैनपुरी हो गया। मामला धीरे धीरे ठंडा पड़ता रहा।

मामले में गिरधारी की गिरफ़्तारी करने के प्रयास में सभी लगे थे। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार शिवपुर थाना प्रभारी को सर्विसलांस के माध्यम से एक बढ़िया जानकारी प्राप्त हुई और एक टीम गिरधारी की गिरफ़्तारी के लिए गई भी। गिरधारी एक शादी समारोह में आने वाला था। गिरधारी शादी में आया भी और हवा के तरह निकल गया। जबकि गिरफ़्तारी के लिए लगी टीम को इसकी जानकारी तक नही हो पाई। शायद ये सबसे बड़ी चुक थी या फिर गिरधारी का नेटवर्क तगड़ा निकला और उसको जानकारी हो गई।

बड़ा अपराधिक इतिहास है गिरधारी का

आया राम गया राम की दुनिया में लम्बी पारी खेलने वाले गिरधारी का सबसे पहले अपराध जगत में नाम आया था वर्ष 2001 में जब लूट के एक मामले में वाराणसी के जैतपुरा पुलिस ने इसको पकड़ा था। इसके बाद 2002 में जौनपुर के चंदवक में अवैध असलहो के साथ पकड़ा गया है। बताया जाता है कि यही से यह जौनपुर के सफेदपोश के संपर्क में आया। इसके बाद वाराणसी के चोलापुर पुलिस ने इसके ऊपर 2005 में 110G की कार्यवाही किया। इसके बाद 2005 में ही इसका नाम जौनपुर के केराकत थाना क्षेत्र में हुई हत्या में आया। जिसके बाद केराकत जौनपुर पुलिस ने इसी वर्ष इसके ऊपर गैंगेस्टर की कार्यवाही किया था।

वाराणसी के बाद जौनपुर में अपनी दहशत बनाने के बाद इसने खुद का कदम आगे बढ़ाया और 2008 में ही दो हत्याओ में इसका नाम आया। पहली हत्या घोसी थाना क्षेत्र एके मऊ में हुई थी और दूसरी हत्या कोतवाली आजमगढ़ में हुई थी।। इसके बाद वर्ष 2010 में आजमगढ़ के जीयनपुर, फिर कोतवाली थाना क्षेत्र के मऊ, इसके बाद जीयनपुर आजमगढ़ में हुई हत्याओं में इसका नाम आया। इसी वर्ष 2010 में आजमगढ़ के जहानाबाद में हत्या के प्रयास में इसका नाम सामने आने के बाद इसका वर्चस्व वाराणसी, जौनपुर, आजमगढ़ और मऊ में फ़ैल चूका था। वर्ष 2011 में जीयनपुर पुलिस ने इसको अवैध असलहे के साथ जेल भेजा तो वर्ष 2013 में आजमगढ़ के फूलपुर पुलिस ने भी अवैध असलहो के साथ इसको हिरासत में लिया था। इसके बाद आजमगढ़ के ही जीयनपुर में इसी वर्ष एक और हत्या में इसका नाम सामने आया। इस प्रकार कुल 14 अपराधिक मामलो में से इसके ऊपर हत्या के ही 7 मामले दर्ज है।

ये केवल वह अपराधिक मामले है जिसको पूर्वांचल के क्राइम रिकार्ड से हमने ट्रैक करके निकाला है। इसके अपराध का सिलसिला सिर्फ यही तक नही है। जानकर सूत्रों की माने तो बिहार व झारखंड में हत्या और हत्या का प्रयास जैसे गंभीर आरोपों में डेढ़ दर्जन से ज्यादा मुकदमे इसके ऊपर दर्ज हैं। शातिर गिरधारी अपने ठिकाने अक्सर बदलता रहता है और उसकी भनक किसी को नहीं लग पाती है। इसके सूत्र भी बड़े मजबूत है। सूत्रों की माने तो अक्सर इसको आजमगढ़ के मोहम्दाबाद गोहाना के भीदड में देखा जाता है। मगर इस इलाके से इसकी गिरफ़्तारी एक टेढ़ी खीर होगी क्योकि एक सफेदपोश के संरक्षण में रहते हुवे इसने ग्रामीणों को अपने साथ मिला रखा है और खुद की भूमिका एक रोबिन हुड जैसी बना रखा है। क्रमशः – 3

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