सप्त दिवसीय कार्यशाला “ऑनलाइन नेशनल वर्कशॉप ऑन रियाज़” में गूँजी शास्त्रीय स्वरलहरियां

करिश्मा अग्रवाल

11/06/2020 को “पं० रामाश्रय झा ‘रामरंग’ समिति” द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय कार्यशाला “ऑनलाइन नेशनल वर्कशॉप ऑन रियाज़” के द्वितीय दिवस का आयोजन भी सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। द्वितीय सत्र का शुभारंभ कार्यशाला के आयोजक डॉ० रामशंकर के संचालन में, कार्यशाला (द्वितीय सत्र) के गुरु एवं विख्यात शास्त्री गायक सुधाकर देवले के स्वागत एवं संक्षिप्त परिचय से किया गया।

सुधाकर देवले पद्मश्री पं० जितेंद्र अभिषेकी के वरिष्ठ शिष्य एवं प्रख्यात शास्त्रीय गायक हैं। देवले ने सत्र के आरंभ में आयोजन के लिये, ‘रामरंग’ समिति के संरक्षक, विदुषी शुभा मुद्गल एवं डॉ० रामशंकर का धन्यवाद ज्ञापन कर किया। तत्पश्चात विद्यार्थियों को सर्वप्रथम सुरों की साधना के लिए सर्वथा उचित समय प्रातः 3:45 से सूर्योदय तक बताया, साथ ही प्रत्येक स्वर को अलग – अलग ढंग से लगाने की विधि एवं 22 श्रुतिओं पर स्वरों के स्थान से अवगत कराया। खड़ज की साधना में प्रातः प्रतिदिन मध्य सा से मंद्र सा तक रियाज़ करने तथा विभिन्न रागों में मूर्च्छनाओं का अभ्यास करना आवश्यक बताया, जैसे- रे की मुर्च्छना में, रे ग म प ध नि सा रे, रे सा नि ध प म ग रे इसी प्रकार ग, म, प, ध, नी आदि की भी मुर्च्छनाओं के अभ्यास विधि से विद्यार्थियों को अवगत कराया।

मुर्च्छनाओं के बाद अलग-अलग तालों की जातियों में निबंध अलंकार का अभ्यास विधि, साथ ही पलटों को विभिन्न रागों तथा लयों में निबंध कर अभ्यास करने की विधि भी बताई। तानों की तैयारी के लिए कुछ तानयुक्त बंदिशों का रियाज़ आवश्यक बताते हुए राग अहिर भैरव में निबद्ध ‘रामरंग’ जी द्वारा रचित बंदिश “मान ले मोरा मनवा तुम…” को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत भी किया।

वर्तमान गायकी में विलुप्त हो रही बेहलावा से भी विद्यार्थियों को अवगत कराया। राग के स्वरावलीयों को बंदिश के शब्दों में बांधकर भिन्न-भिन्न लयों में बेहलावा करने की विधि भी बताई।

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