वाराणसी के वजीरो को नहीं समझ आई शायद प्रभाकर चौधरी की नजीर, हुआ ट्रांसफर, जाने वो मुद्दे जो है पर्दे के पीछे

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। वाराणसी के एसएसपी प्रभाकर चौधरी का स्थानांतरण हो चूका है। उनके स्थान पर मुरादाबाद के एसएसपी और तेजतर्रार आईपीएस अमित पाठक को वाराणसी का एसएसपी बनाया गया है। प्रभारकर चौधरी भले ही वाराणसी से जा रहे है मगर उन्होंने एक नजीर बनाई है। इस नजीर को बनारस शायद कभी न भूल पाए। एकदम उसी तरह जैसे क्राइम कंट्रोल की बात आते ही लोग आज भी नवनीत सिकेरा को याद करते है और उनकी बाते करते है। लगभग दो दशक होने को आये है, मगर नवनीत सिकेरा का नाम आज भी लोगो के जुबां पर आ जाता है।

वाराणसी में बतौर एसएसपी आने के बाद सबसे पहले अपना गुप्त नम्बर जारी करके भ्रष्टाचार पर लगाम कसने की तैयारी करने वाले प्रभाकर चौधरी इसी के बाद आम जनता के दिलो पर राज करने लगे। वह गलत मुद्दों पर किसी की भी पैरवी नही सुनते थे। जुगाड़ से थाना चौकी लेने वाले पुलिस वालो ने खुद को या तो साइड लाइन कर लिया या फिर सीधे जिले के बाहर ट्रांसफर करवा लिया। इस दौरान पुलिस के अन्दर खौफ भी कायम रहा। कई ने तो अपनी अपनी एग्जाई तक बंद कर दिया। नशे के अवैध कारोबार पर पूरी तरीके से अंकुश लग गया। गांजा बनारस की सीमा को छोड़ कर अन्य जनपदों में खुद को लेकर चला गया।

इस दरमियान प्रभाकर चौधरी की छवि किसी की पैरवी न सुनने की बनी। जिसको स्थानीय “वजीरो” ने “भाजपा की नहीं सुनते है” जैसे तमगो से नवाज़ दिया। विधायको के भी गलत पैरवी को नज़रअंदाज़ करके प्रभाकर चौधरी ने नजीर कायम कर दिया। पुलिस ट्रैक पर थी। क्राइम कंट्रोल था। मगर स्थानीय वजीरो को उनकी कायम की जा रही नजीर पसंद नही आ रही थी। इस दरमियाँन एक अवैध शराब के मामले में भाजपा नेताओं की सभी पैरवी ताख पर रखकर गिरफ़्तारी हो जाना सबसे बड़ा काम हो गया। वही इन स्थानीय वजीरो ने शासन के स्तर तक “भाजपा की नहीं सुनते” वाला गुणगान मशहूर करना शुरू कर दिया। शराब का केस काफी चर्चित रहा और भाजपा के एक नेता को अपना पद भी गवाना पड़ा था।

इसी दरमियान दुर्गाकुंड चौकी इंचार्ज के रिपोर्ट पर चौकी क्षेत्र के एक शराब के ठेके पर प्रभाकर चौधरी की कार्यवाही से वजीर और तमतमा गए। मामले लगातार वजीरो के मुखालिफ चले जा रहे थे और कानून का राज शहर में कायम हो रहा था। तभी लंका थाना क्षेत्र के सुन्दरपुर का असुंदर काण्ड हो गया। इस काण्ड में भाजपा के नेताओं ने पुरे सर्किल के कई दरोगाओ के खिलाफ तहरीर देकर उनको सस्पेंड करवाने का जोर लगा डाला। जिसमे सबसे प्रमुख दुर्गाकुंड चौकी ही थी। मामला सिर्फ इतना था कि भाजपा के नेता चाहते थे कि छ्पेमारी में गए सभी पुलिस वाले सस्पेंड हो। इसमें दुर्गाकुंड चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह का नाम प्रमुखता से स्थानीय वजीरो ने दे डाला था। इस बार खुन्नस एक चाट के ठेले को लेकर भी थी। क्योकि छापेमारी में पूरी सर्किल के सभी दरोगा और इन्स्पेक्टर थे। तो मौका भी शानदार था।

दुर्गाकुंड चौकी इंचार्ज ने अपने इमानदार छवि के बल पर क्षेत्र को पूरी तरीके से नियंत्रित कर रखा था। जानकर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चाट का ठेला एक सत्ता पक्ष के कार्यकर्ता का लगना था जो चौकी के ठीक सामने लगता। वही स्थानीय प्रशासन ने किसी भी ठेले को लगने से प्रतिबंधित कर रखा था। मामला एक ठेले का इतना हाईटेक हुआ था कि एक विधायक के प्रतिनिधि से लेकर कई बड़े नेताओं ने ठेले की पैरवी किया था। मगर ठेला नहीं लगा था। इसकी दिल के अन्दर एक भड़ास थी।

और भड़ास निकालने का मौका कुछ वजीरो को मिल गया जब छापेमारी में दुर्गाकुंड चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह और बीएचयु चौकी इंचार्ज अमरेन्द्र पाण्डेय भी थे। इन दो के सस्पेंशन पर ख़ास तवज्जो स्थानीय वजीरो को थी। क्योकि अमरेन्द्र पाण्डेय भी शांति व्यवस्था हेतु “किसी की नहीं सुनने” का नाम है। एक लम्बी जद्दोजेहद के बाद जिसमे सूत्र बताते है कि प्रभाकर चौधरी को बड़े दबाव के आगे झुकना पड़ा और फर्द बदलवाने के बाद कई दरोगा, एक इस्पेक्टर तथा क्षेत्राधिकारी पर बड़ी कार्यवाही करनी पड़ी थी।

वही जानकार गोपनीय सूत्र बताते है कि प्रभाकर चौधरी सर्किट हाउस में हुई बैठक में अपने स्टैंड पर कायम थे और नेताओं को बक्श्ने मूड में नहीं थे और न ही खुद की टीम पर कार्यवाही के मूड में दिखाई दे रहे थे। मगर “बड़े दबाव” के बाद उनको झुकना पड़ा था। वही एक सूत्र ने ये भी बताया कि पुलिस टीम पर हुई कार्यवाही से खुद एसएसपी खासे नाराज़ और उदास रहे। उनको मालूम था कि उनकी टीम का मनोबल टूट गया है। एक सूत्र ने तो यहाँ तक बताया कि काफी देर तक वह किसी से मिले भी नही थे। जिसके बाद उन्होंने कहा भी था कि टीम का मनोबल टूट गया।

मगर इस पुरे सीन में एसएसपी प्रभाकर चौधरी अमरेन्द्र पाण्डेय और प्रकाश सिंह पर कोई कार्यवाही न करने के स्टैंड पर लास्ट तक खड़े रहे क्योकि उनको अच्छी तरीके से मालूम था कि ये दोनों अपने क्षेत्र को सही नियंत्रण में रखे है वरना क्षेत्र को बिगड़ते वक्त नही लगेगा। विशेषतः दुर्गाकुंड चौकी पर प्रकाश सिंह की पोस्टिंग एसएसपी के खुद की पसंद पर हुई थी क्योकि कई थाना प्रभारी प्रकाश सिंह को अपनी टीम में लेना चाहते थे। वही एसएसपी दुर्गाकुंड को नियंत्रण में रखना चाहते थे। एक बड़ी चढ़ा उपरी के बावजूद भी प्रकाश सिंह की पोस्टिंग दुर्गाकुंड पर हुई थी। वही अमरेन्द्र पाण्डेय को भी हटाने के लिए एक लाबी पूरी तरह सक्रिय थी और अभी भी है मगर वहा भी यही स्थिति हुई।

इन सबके बीच कही न कही दे कई दरोगाओ का मनोबल टूट सा गया। कई ने खुद को ज्ञानवापी ड्यूटी के लिए नाम प्रस्तावित करवाया है तो कई ने खुद आवेदन कर दिया है। इन दरोगाओ में एक ने औपचारिक बातचीत में इस बात को स्वीकार भी किया कि हाथ पाँव बाँध कर काम कैसे हो सकता है। कोई लोड लेगा नहीं तो फिर क्राइम पर कैसे नियंत्रण होगा। वही गलत करने के लिए ज़मीर गवारा नहीं करता है। इससे बेहतर है कि 12 घंटे ज्ञानवापी ड्यूटी के बाद 8 घंटे की भरपूर नींद लेकर थोडा पढाई किया जायेगा।

बहरहाल, एसएसपी के ट्रांसफर की सुचना मिलने के बाद जहा आम जनता में उदासी का माहोल है तो वही कुछ मेज़ के नीचे से खुद का महल खड़ा करने वालो में ख़ुशी का ठिकाना नही रहा है। वो तो अभी से अपनी एग्जाई को फोन करके बुला कर सेट करने में व्यस्त है। दूसरी तरफ सत्ता पक्ष के वजीर खुश है कि उन्होंने जो चाहा वह हुआ।

खैर, नए आने वाले एसएसपी अमित पाठक का भी बड़ा नाम है। कई पेचीदा मामलो को हल करने के लिए मशहूर आईपीएस अमित पाठक इसके पहले मुरादाबाद के एसएसपी थे। उनकी छवि एक तेज़ तर्रार और अपराध पर अच्छी जानकारी तथा नियंत्रण रखने वाले आईपीएस में होती है। जुगाड़ डॉट काम वाले लोग उनके आगमन की पलके बिछाकर इंतज़ार कर रहे है क्योकि पहले बुके लेकर पहुच कर उनका स्वागत कर खुद का बड़ा परिचय करवा दे। ताकि आने वाले वक्त में काम आये।

(तारिक आज़मी की मोरबतियाँ में अगले अंक में पढ़े क्या भाजपा वही गलती कर रही है जो इसके पहले सपा और बसपा ने किया है। जुड़े रहे हमारे साथ)

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