बदबख्त और कमज़र्फ निकला बेटा – जायदाद बहन को कही न मिल जाए, इसीलिए फैजान ने सुपारी देकर करवाई थी अपने पिता डॉ इबादुर रहमान की हत्या

रोबिन कपूर

फर्रुखाबाद। संपत्ति इंसान को कितना लालची बना देती है कि वह अपने उस माँ बाप का नही होता जो माँ बाप ने उसको पैदा करके पाल पोस कर इतना बड़ा किया और इतना समझदार बनाया कि वह अच्छे बुरे का फैसला कर सके। इसकी एक मिसाल फर्रुखाबाद जनपद में देखने को मिली जब संपत्ति की लालच में खुद की औलाद ने ही उस बुज़ुर्ग चिकित्सक की हत्या हेतु सुपारी देकर उसकी जान ले लिया।

शायद स्वर्ग में बैठे डॉ इबादुर रहमान की रूह भी अपनी परवरिश पर ये सोच कर शर्मिंदा हो रही होगी कि इस कलयुग की औलाद ने ही उसका खुद का क़त्ल करवा दिया। वह भी महज़ संपत्ति की लालच में। आखिर मुझको आज नही कल सब कुछ इन्ही बेटी बेटो को देकर जाना ही था। तो फिर थोडा बहुत अगर अपनी बेटी को मैंने दे दिया तो क्या हर्ज था ? आखिर फैजान को यह इतना नागवार गुज़र गया। आखिर क्या कमी छोड़ी थी परवरिश में ?

जी हाँ, कटु सत्य है। संपत्ति के लिए आपने सुना होगा कि औलाद अपने वालदैन को घर से बेघर कर देते है मगर एक कलयुगी औलाद ऐसा भी है जिसने अपने खुद के बाप की हत्या हेतु सुपारी देकर उनका कत्ल करवा दिया। घटना को अंजाम देने के लिए उसने अपने साढू को सुपारी दिया जिसने अलीगढ से तीन भाड़े के हत्यारों को बुलवा कर हत्या करवा दिया। पुलिस ने दर्ज रिपोर्ट के आधार पर आरोपी बेटे को पकड़ लिया है और उसके साढ़ू की तलाश में दबिश दी जा रही है।

घटना जनपद के गांव कटिया की है जहा के निवासी डॉ। इबादुर रहमान (70) की गला घोटकर हत्या कर दी गई थी। वह 14 दिसंबर को घर से सुबह नौ बजे टहलने के लिए खेत की ओर गए थे। गुरुवार को उनका शव अचरा कायमगंज मार्ग पर मिला था। इसी दिन शाम को पुत्र फैजान ने उनकी गुमशुदगी दर्ज कराई थी, जबकि शनिवार को ही डॉक्टर की विवाहित पुत्री निशा की तहरीर पर पुलिस ने फैजान व उसी गांव के निवासी उसके साढ़ू आलम के खिलाफ पिता के अपहरण, हत्या करके शव को छिपाने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।

पुलिस के अनुसार पकड़े गए फैजान ने पूछताछ में बताया कि बहन निशा की गंजडुंडवारा में शादी हुई थी। ससुराल वालों से विवाद के बाद वह पिता के पास ही आकर रहने लगी। पिता ने तीन माह पहले बहन के नाम जमीन करने की बात कही थी। इस पर उसका पिता से विवाद हुआ था। जिसके बाद मामला ठंडा हो गया फिर कुछ दिन पहले उन्होंने तीन डिस्मिल जमीन बेचकर मिले दो लाख रुपये निशा को दिए थे। इस कारण उसने साढ़ू आलम को तीन लाख रुपये में पिता की हत्या की सुपारी दी थी। एक लाख रुपये पेशगी देने के बाद बाकी रकम हत्या के बाद देने की बात तय हुई थी। इससे पहले भी उससे सुपारी एक पेशेवर अपराधी को दिया था और हत्या के लिए पेशगी की रकम 70 हजार रुपये भी उस पेशेवर अपराधी को दिया था। लेकर वह पेशेवर अपराधी रकम लेकर भाग गया था।

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