हत्या के अनसुलझे केस क्या कभी हल हो पायेगे (भाग -1) : थाना लंका में रामू चाचा की आत्मा करे पुकार, मेरी मौत का भी करवा दे साहब इन्साफ

बेदाग़ छवि और 100 फीसद का ट्रैक रिकार्ड रखने वाले भारत भूषण तिवारी के ट्रांसफर तक इस केस के नही हल हो पाने का दर्द उनको था। रईस बनारसी जैसे दुर्दांत अपराधी को सालको के पीछे भेजने वाले भारत भूषण तिवारी को आज भी इस प्रकरण का खुलासा न कर पाने का दर्द है।

तारिक आज़मी

वाराणसी। कहा जाता है कि कानून के हाथ बहुत लम्बे होते है। बेशक कोई भी क्राइम परफेक्ट नही होता है और आज नही कल इसका खुलासा हो ही जाता है। मगर कुछ ऐसे भी अपराध हो जाते है जिसकी फाइल लम्बे समय तक धुल खाती रहती है। ऐसे ही वाराणसी के तीन हत्याओं के केस ऐसे है जिसमे आज भी पुलिस के हाथ खाली है। जिसमे दो हत्याओं के मामले लंका थाने के है तो एक प्रकरण भेलूपुर थाने का है। तीनो मामलो में पुलिस के खाली हाथ सवालो को उठा रहे है। आइये एक एक कर तीनो मामलो पर थोडा रौशनी डालते है।

लंका – रामू चाय वाले की आत्मा मांग रही अपनी मौत का इन्साफ

लंका थाना क्षेत्र के बीएचयु में स्थित आयुर्वेद भवन में चाय की दूकान चलाने वाले बुज़ुर्ग रामजतन उर्फ़ रामू चाचा की सर कुच कर हत्या वर्ष 2019 में हो गई थी। घटना कुछ इस प्रकार हुई थी कि रोज़मर्रा के आदत के अनुसार रामू चाचा के नाम से मशहूर रामजतन अपनी दुकान पर ही खटिया डाल कर सो रहे थे। 23 सितम्बर की वह मद्धिम सर्दी की रात थी। रामू चाचा इस रात ऐसा सोये कि दुबारा फिर कभी नही उठा। रात को किसी समय किसी अज्ञात व्यक्ति अथवा व्यक्तियों ने रामू की ईंट से सर कुचल कर हत्या कर दिया। सुबह होने पर कैम्पस में हडकंप मच गया। तत्कालीन थाना प्रभारी क्राइम एक्सपर्ट के रूप में जाने जाने वाले भारत भूषण तिवारी दल बल के साथ घटना स्थल पर पहुचे।

मौके पर डॉग स्क्वायड से लेकर फारेंसिक टीम तक बुलाई गई। हर तरीके से इलेक्ट्रानिक माध्यमो से लेकर ज़मीनी स्तर तक इस्पेक्टर भारत भूषण तिवारी ने प्रयास किया। ये जाँच चल ही रही थी कि बीच बीच में शांति व्यवस्था के व्यवधान के कारण जाँच की रफ़्तार धीमी हो जाती थी। रामजतन उर्फ़ रामू चाचा के बेटे ओमप्रकश ने 24 सितम्बर 2019 को सुबह 9:30 पर तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करवाया था। इसी दरमियान हुवे स्थानांतरण में भारत भूषण तिवारी का ट्रांसफर हो गया। हमारी एक बार बात उनके ट्रांसफर होने से पहले इस प्रकरण में फालोअप के सम्बन्ध में हुई थी। मुझको याद है कि बेदाग़ छवि और 100 फीसद का ट्रैक रिकार्ड रखने वाले भारत भूषण तिवारी के ट्रांसफर तक इस केस के नही हल हो पाने का दर्द उनको था। रईस बनारसी जैसे दुर्दांत अपराधी को सालको के पीछे भेजने वाले भारत भूषण तिवारी को आज भी इस प्रकरण का खुलासा न कर पाने का दर्द है।

बहरहाल, इसके बाद दिन हफ्तों, हफ्ते महीने और महीने साल में तब्दील होते गए। मगर आज भी पुलिस के हाथ ऐसे ही खाली है। आज भी रामू चाचा की आत्मा स्वर्ग में अपनी मौत का इंसाफ मांग रही होगी। लगभग दो साला का समय बीत गया है। मगर अभी तक पुलिस के हाथ खाली ही है। रामू चाचा के हत्या की फाइल अब शायद धुल ही खा रही है। अन्सल्वड केसेस के भीड़ में इस हत्या के केस ने भी अपनी ताय्दात बढ़ा दिया है।

क्या कहते है ज़िम्मेदार

हत्या के बाद भारत भूषण तिवारी का ट्रांसफर हों जाने के बाद स्थानांतरण पर स्थानान्तरण होते रहे मगर सवाल अभी भी वही अधुरा है कि आखिर रामू चाचा की हत्या क्यों हुई और किसने किया। इस प्रकरण में वर्त्तमान थाना प्रभारी लंका महेश पाण्डेय से बात करने की कोशिश किया गया तो पिछले तीन दिनों से वह फोन ही नही उठा रहे है। शायद साहब काफी व्यस्त होंगे तभी सरकार के द्वारा प्रद्दत सीयुजी नम्बर पर फोन नही उठा रहे है। सवाल ये भी है कि पुरे शनिवार, रविवार और आज सोमवार यानी तीन दिन तक आखिर साहब कितना व्यस्त है कि एक सवाल का जवाब फोन पर देना भी उचित नही समझ रहे है।

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