अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् में हुआ दो फाड़, नए धड़े के अध्यक्ष बने महंत रविन्द्र पूरी

तारिक़ खान संग शाहीन बनारसी

प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् में आपसी मनमुटाव अब खुल कर सामने आने लग गया और इसमें अब दो फाड़ हो गया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के 13 में से 7 अखाड़े टूट कर अलग हो गये है। इस नए धड़े ने अपना अलग अखाडा परिषद् का गठन करते हुए महंत आनन्द गिरी की जगह महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्र पूरी को अपना अध्यक्ष चुन लिया। वही महामंत्री राजेन्द्र दास को नियुक्त किया है। 13 में से 7 अखाड़ो के इस अलग धड़े के पास स्पष्ट बहुमत है। जबकि दुसरे धड़े के पास महज़ 6 अखाड़े है। यह उस समय हुआ है जब चुनावी एजेंडे के तहत निरंजनी अखाड़े के बाघम्बरी गद्दी मठ में 25 अक्टूबर को बैठक आहूत थी। इसके एक 5 दिन पूर्व कल बृहस्पतिवार को इस नए धड़े ने अपने अध्यक्ष की घोषणा कर दी।

बाघंबरी मठ में महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद रिक्त हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष पद को लेकर संन्यासी और वैरागी अखाड़ों का कलह बृहस्पतिवार को अलग धड़े के रूप में सामने आ गया। हरिद्वार के कनखल स्थित पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी में बृहस्पविार को सात अखाड़ों ने अलग अखाड़ा परिषद के गठन का एलान कर दिया।

उधर, अखाड़ा परिषद की ओर से अधिकारिक रिक्त अध्यक्ष पद पर को भरने के लिए चुनावी एजेंडा जारी करने वाले मौजूदा महामंत्री हरि गिरि ने इस गठन को अवैधानिक और शून्य बताते हुए सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि अखाड़ा  परिषद की चुनावी बैठक निर्धारित समय और तय स्थान पर ही होगी।

इसमें पंचायती महानिर्वाणी, अटल अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, निर्मोही अनी, निर्वाणी अनी और दिगंबर अनी अखाड़े शामिल हुए।  इसमें संन्यासियों, वैष्णवों के अलावा निर्मल और उदासीन संप्रदाय के सात अखाड़ों ने मिलकर नए अध्यक्ष व महामंत्री समेत कई पदाधिकारियों की घोषणा कर दी। इसमें महानिर्वाणी अखाड़े के सतिव महंत रवींद्रपुरी को नव गठित अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष और निर्मोही अनी अखाड़े के महंत राजेंद्र दास को महामंत्री घोषित किया गया।

इस एलान के बाद नए महामंत्री महंत राजेंद्र दास ने कहा कि यही अखाड़ा परिषद वैधानिक रूप से सही है। इसके तहत सभी धर्माचार्यों को एक मंच पर लाया जाएगा। अटल अखाड़े के महंत सत्यम गिरि ने कहा कि नवनिर्वाचित अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी के नेतृत्व में ही अब प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होने वाले कुंभ मेले कराए जाएंगे।

बाबा हठयोगी, महंत धर्मदास, महंत गौरीशंकर दास, महंत रामकिशोर दास शास्त्री, महंत मोहनदास खाकी, महंत ईश्वरदास, महंत श्यामदास, महंत रघुवीर दास, महंत गोविंद दास, महंत दामोदर दास, नागा महंत सुखदेव दास, महंत बिहारी शरण, महंत अंकित शरण सहित अखाड़ों के कई संत महंत मौजूद रहे। चुनाव के बाद सभी नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने दक्ष महादेव मंदिर में जलाभिषेक किया।

नई कार्यकारिणी में पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदर दास को उपाध्यक्ष, पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह शास्त्री को कोषाध्यक्ष, पंच दिगंबर अणि अखाड़े के महंत रामकिशोर दास को मंत्री, पंच निर्वाणी अणि अखाड़े के महंत गौरीशंकर दास को प्रवक्ता, पंचायती निर्वाणी अणि अखाड़े के महंत धर्मदास और पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के महंत महेश्वरदास को संरक्षक बनाया है।

निर्मल अखाड़े के सचिव और अखाड़ा परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र शास्त्री ने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से मैंने चुनावी प्रक्रिया पूरी कराई है।  कोरम पूरा होने के बाद ही अखाड़ा परिषद का चुनाव कराया गया। यह गठन पूरी तरह संवैधानिक और लोकतांत्रिक है।  महंच देवेंद्र सिंह शास्त्री, कार्यवाहक अध्यक्ष।

नए अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कहा कि व्यवस्थाएं बदलती रहती हैं। पिछले 13 वर्षों से परंपरा रही है कि अखाड़ा परिषद के सर्वोच्च दो पदों में एक संन्यासियों और एक बैरागी अखाड़ों के पास रहता है। लोकतंत्र में बहुमत का महत्व है। बहुमत के आधार पर महानिर्वाणी, अटल, निर्मल, पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन, निर्मोही, निर्वाणी, दिगंबर अखाड़ों ने अध्यक्ष और महामंत्री का चयन किया है।

विचार-विमर्श के लिए किसी को भी मनाही नहीं है। मुझे जानकारी मिली कि कुछ संतों ने हरिद्वार में बैठक कर मनन-चिंतन किया है, लेकिन अखाड़ा परिषद का चुनाव कराने का दावा निराधार है। अखाड़ा परिषद एक संवैधानिक आध्यात्मिक संस्था है और इसके अस्तित्व से खिलवाड़ करने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती। 25 अक्तूबर को ही प्रयागराज में अखाड़ा परिषद की चुनाव बैठक निर्धारित है और उसमें लिए जाने वाले फैसले मान्य होंगे। -महंत हरि गिरि, महामंत्री, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद।

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