गीतिका सुसाइड केस: हरियाणा सरकार को बिना शर्त समर्थन देने वाले गोपाल कांडा और मैनेजर अरुण चड्ढा को अदालत ने किया बइज्ज़त बरी, बोले कांडा मेरे खिलाफ कोई सबूत नही था, अदालत ने साफ़ कर दिया

तारिक़ खान

डेस्क: बग़ैर किसी शर्त हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार को समर्थन देने वाले गोपाल कांडा साल 2012 के बेहद चर्चित गीतिका शर्मा सुसाइड केस से बरी हो गए हैं। राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने इस मामले में 11 साल बाद गोपाल कांडा और उनके मैनेजर अरुण चड्ढा को बरी कर दिया है।

हरियाणा लोकहित पार्टी की स्थापना गोपाल कांडा ने किया था। 2019 के विधानसभा चुनाव में कांडा ने सिरसा विधानसभा सीट से अपनी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की थी। हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों में किसी को बहुमत नहीं मिलता दिख रहा था और भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही थी। ऐसे में कांडा ने बिना शर्त भाजपा को समर्थन का ऐलान किया था। भाजपा को 40 सीटें ही मिली थीं और ऐसे में एक-एक विधायक का समर्थन पार्टी के लिए अहम था।

यही नहीं गोपाल कांडा ने 2022 के राज्यसभा चुनाव में कार्तिकेय शर्मा की जीत का रास्ता भी खोला था। कांडा ने निर्दलीय कैंडिडेट कार्तिकेय को समर्थन दिया था। भाजपा भी कांग्रेस के दिग्गज अजय माकन को पटखनी देने के लिए कार्तिकेय शर्मा का समर्थन कर रही थी। कांडा ने तब कहा था कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जिसे भी वोट देने के लिए कहेंगे हमारी पार्टी उसी को वोट देगी।

एयरलाइंस खोलने के एक साल बाद कांडा के ग्राफ में चढ़ाव आया। इस दौरान इंडियन नेशनल लोकदल ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वो सिरसा से निर्दलीय ही उतर गए। इस दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांडा को अपने खेमे में कर लिया। हुड्डा मुख्यमंत्री बने और गोपालकांडा को हरियाणा का गृहमंत्री बना दिया गया। यही नहीं कांडा को शहरी निकाय, उद्योग और वाणिज्य जैसे विभाग भी मिले।

हालांकि इन सबके तीन साल बाद 2012 में जब गीतिका सुसाइड केस हुआ, तब गोपाल कांडा का पतन शुरु हो गया। मामले के बाद कांडा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और गिरफ्तारी देनी पड़ी। हालांकि वो ज़्यादा दिनों तक जेल में नहीं रहे। जेल से छूटने के बाद कांडा ने 2014 में हरियाणा लोकहित पार्टी बनाई। इस दौरान वो 2014 लोकसभा चुनाव में भी उतरे लेकिन मुंह की खानी पड़ी। 2014 के विधानसभा चुनाव में भी गोपाल कांडा को आईएनएलडी के माखन लाल सिंगला ने हरा दिया। इसके बाद साल 2019 के विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा अपनी ही पार्टी के टिकट पर उतरे और सिरसा सीट पर जीत हासिल की।

90 के दशक में रेडियो रिपेयरिंग का काम करने वाले कांडा ने रियल स्टेट कारोबार में हाथ आजमाया और मुकद्दर ने चमक दिखाई शुरू कर दिया। दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करने वाले कांडा के ठिकानों पर 2008 में इनकम टैक्स ने छापेमारी शुरू किया तो इसी वर्ष उन्होंने अपने पिता के नाम पर MDLR नाम से एयरलाइन्स शुरू कर दिया। एयरलाइंस खोलने के एक साल बाद कांडा के ग्राफ में फिर ज़बरदस्त चढ़ाव आया। इस दौरान इंडियन नेशनल लोकदल ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो वो सिरसा से निर्दलीय ही उतर गए।

इस दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांडा को अपने खेमे में कर लिया। हुड्डा मुख्यमंत्री बने और गोपालकांडा को हरियाणा का गृहमंत्री बना दिया गया। यही नहीं कांडा को शहरी निकाय, उद्योग और वाणिज्य जैसे विभाग भी मिले। हालांकि इन सबके तीन साल बाद 2012 में जब गीतिका सुसाइड केस हुआ, तब गोपाल कांडा का पतन शुरु हो गया। मामले के बाद कांडा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और गिरफ्तारी देनी पड़ी। हालांकि जेल से छूटने के बाद कांडा ने 2014 में हरियाणा लोकहित पार्टी बनाई। इस दौरान वो 2014 लोकसभा चुनाव में भी उतरे लेकिन मुंह की खानी पड़ी। 2014 के विधानसभा चुनाव में भी गोपाल कांडा को आईएनएलडी के माखन लाल सिंगला ने हरा दिया। इसके बाद साल 2019 के विधानसभा चुनाव में गोपाल कांडा अपनी ही पार्टी के टिकट पर उतरे और सिरसा सीट पर जीत हासिल की।

कौन थी गीतिका शर्मा और क्या था मामला

5 अगस्त 2012 गीतिका शर्मा नाम की लड़की ने घर के पंखे से लटकर आत्महत्या कर ली थी। गीतिका शर्मा ने अपने घर उत्तरी पश्चिमी दिल्ली में सुसाइड किया था। आत्महत्या करने से पहले उन्होंने दो पेज का एक सुसाइड नोट भी लिखा था, जिसमें गोपाल कांडा और उसके एक कर्मचारी पर उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इस सुसाइड नोट में लिखा था कि ‘आज मैं अपने आप को खत्म कर रही हूं, क्योंकि मैं अंदर से टूट गई हूं। मेरे साथ धोखा हुआ है और मेरे विश्वास को तोड़ा गया है। दो लोग मेरी मौत के ज़िम्मेदार हैं, जिनके नाम गोपाल गोयल कांडा और अरुण चड्ढा है। इन दोनों ने मेरे साथ-साथ मेरे घर वालों को भी बर्बाद कर दिया।‘

बताया जाता है कि गीतिका शर्मा एयर होस्टेस बनना चाहती थीं, दिल्ली के अशोक विहार निवासी गीतिका को 18 साल से भी कम उम्र में कांडा ने साल 2008 में अपनी एयरलाइंस में भर्ती कर लिया। उसे ट्रेन केबिन क्रू का लेटर दिया गया। गीतिका, गोपाल कांडा की इतनी ही करीबी थी कि 6 महीने बाद 18 साल की होते ही उसे एयर होस्टेस बना दिया गया। इसके बाद एयरलाइंस बंद हुई, लेकिन गीतिका की तरक्की होती रही और महज 3 साल में वह कंपनी की डायरेक्टर बन गईं।

इस तेज रफ्तार तरक्की के बीच किसी बात पर कांडा और गीतिका की अनबन हो गई, गीतिका ने कांडा से दूरी बनाई और सीधे दुबई पहुंच गई नौकरी करने के लिए। आरोप है कि ‘यहां से कांडा ने गीतिका का मानसिक उत्पीड़न शुरू किया। कांडा ने अपने राजनीतिक रिश्तों के दम पर गीतिका को दुबई की नौकरी छोड़कर भारत लौटने पर मजबूर किया। आरोप ये भी है कि दिल्ली वापस आने पर भी कांडा गीतिका के पीछे लगा रहा। इसी से गीतिका इतना मानसिक दबाव में आ गई कि उसने सुसाइड जैसा कदम उठा लिया था।’

क्या बोले कांडा

अदालत द्वारा केस से बरी होने के बाद कोर्ट के बाहर गोपाल कांडा ने मीडिया से बात की। इस दौरान उन्होंने ख़ुद पर लगे सारे आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि मेरे ख़िलाफ कोई सुबूत नहीं था। ये सिर्फ मनगढ़त तरीके से तैयार किया गया था, लेकिन इसके पीछे कारण क्या है, आज कोर्ट ने सब कुछ साफ कर दिया।

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