चंद्र ग्रहण के साए में है इस बार शरद पूर्णिमा, जानें सही समय, न करें यह गलती

संजय ठाकुर

डेस्क: इस साल शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर शनिवार को है। इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया है। शरद पूर्णिमा की देर रात 01:06 बजे चंद्र ग्रहण लगेगा, जो मध्य रात्रि 02:22 बजे खत्म होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पूर्व ही शुरू हो जाएगा। ऐसे में आप शरद पूर्णिमा के अवसर पर खुले आसमान के नीचे खीर कब रखेंगे? सूतक काल को अशुद्ध माना जाता है, इस वजह से उसमें शुभ कार्य, भोजन बनाना, खाना खाने समेत कई काम वर्जित होते हैं। ऐसे में शरद पूर्णिमा की खीर कब बनाएं और उसे चंद्रमा की रोशनी में कब रखें? ज्योतिषाचार्य बापुनंदन मिश्रा से जानते हैं विस्तार में।

शरद पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 28 अक्टूबर, शनिवार, प्रात: 04:17 बजे से है तथा शरद पूर्णिमा तिथि का समापन 29 अक्टूबर, रविवार, 01:53 एएम पर है। वही साल का अंतिम चंद्र ग्रहण प्रारंभ समय 28 अक्टूबर, देर रात 01:06 बजे और चंद्र ग्रहण समापन समय 28 अक्टूबर, मध्य रात्रि 02:22 बजेहै। सूतक काल का समय 28 अक्टूबर, दोपहर 02:52 बजे से लेकर मध्य रात्रि 02:22 बजे तक है।

28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है और उस दिन चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर से प्रारंभ है। यदि आप इस दिन खीर बनाकर रखते हैं तो व​ह दूषित हो जाएगा। सूतक काल के पूर्व आप खीर बना लेते हैं तो भी वह ग्रहण से दूषित होगा। उसे आप ग्रहण के बाद चंद्रमा की रोशनी में रखकर नहीं खा सकते हैं। दूषित खीर आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

ज्योतिषचार्य भट्ट के अनुसार, आप शरद पूर्णिमा की खीर चतुर्दशी की रात यानि 27 अक्टूबर शुक्रवार की रात बना लें। फिर 28 अक्टूबर को जब शरद पूर्णिमा की तिथि प्रात: 04:17 बजे से शुरू हो तो उस समय उस खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख दें। उस दिन चंद्रास्त प्रात: 04:42 पर होगा। यह समय नई दिल्ली का है। चंद्रास्त के बाद उस खीर को खा सकते हैं। 28 अक्टूबर के प्रात: पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा की औषधियुक्त रोशनी प्राप्त हो जाएगी। दूसरा विकल्प यह है कि आप 28 अक्टूबर के मध्य रात्रि चंद्र ग्रहण के बाद खीर बनाएं और उसे खुले आसमान के नीचे रख दें ताकि उसमें चंद्रमा की रोशनी पड़े। बाद में उस खीर को खा सकते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होकर आलोकित होता है। इस वज​​ह से उसकी किरणों में अमृत के समान औषधीय गुण होते हैं। जब हम शरद पूर्णिमा की रात खीर को खुले आसमान के नीचे रखते हैं तो उसमें चंद्रमा की किरणें पड़ती हैं, जिससे वह खीर औषधीय गुणों वाला हो जाता है। खीर की सामग्री दूध, चावल और चीनी तीनों ही चंद्रमा से जुड़ी वस्तुएं हैं, इसके सेवन से स्वास्थ्य लाभ तो होता ही है, कुंडली का चंद्र दोष निवारण भी होता है।

डिस्क्लेमर:  यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। PNN24 इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है।

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