बिहार सरकार ने ‘नियोजित’ शिक्षको को दिया नए साल का तोहफा, 20 साल पुरानी मांग स्वीकार करते हुवे 4 लाख शिक्षको को दिया ‘राज्यकर्मी’ का दर्जा

अनिल कुमार

डेस्क: बिहार सरकार ने पंचायतों और नगर निकायों की ओर से नियुक्त लगभग चार लाख ‘नियोजित’ शिक्षकों को ‘राज्यकर्मी’ का दर्जा देने का एलान किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने ‘बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2023’ को मंजूरी दे दी है। इस तरह नियमित राज्यकर्मी बनाने की लगभग चार लाख शिक्षकों की दो दशक पुरानी मांग सरकार ने मान ली है।

हालांकि नियोजित शिक्षकों की एक अहम मांग सरकार ने नहीं मानी और उन्हें सहायक शिक्षक की बजाय ‘विशिष्ट शिक्षक’ का नाम दिया है। कैबिनेट की बैठक के बाद कैबिनेट सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने मीडिया को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी है। हालांकि नियमित बनने के लिए इन शिक्षकों को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) की ओर से आयोजित होने वाली एक परीक्षा पास करनी होगी।

यह परीक्षा अगले एक साल के दौरान उन्हें पास करनी होगी। इसके लिए इन्हें तीन अवसर मिलेंगे। तीसरे प्रयास में भी असफल होने वालों या परीक्षा न देने वाले शिक्षकों के लिए सरकार बाद में निर्णय लेगी। राज्यकर्मी का दर्जा मिलने के बाद ये शिक्षक सरकार के अन्य कर्मचारियों की तरह ट्रांसफर, प्रमोशन, कई तरह के भत्ते आदि के हक़दार बन जाएंगे। एस सिद्धार्थ ने बताया कि योग्यता की शर्तें पूरी होने के बाद शिक्षकों को आठ साल के बाद प्रमोशन होगा।

वहीं शिक्षकों के ट्रांसफर पूरे राज्य में हो सकेंगे। हालांकि पूरे सेवाकाल में उन्हें यह लाभ केवल दो बार ही मिलेगा। कक्षा एक से पांच के शिक्षकों का मूल वेतनमान 25 हज़ार, कक्षा छह से आठ के शिक्षकों का मूल वेतनमान 28 हज़ार होगा। कक्षा नौ और 10 के शिक्षकों का मूल वेतनमान 31 हज़ार और कक्षा 11 से 12 तक के शिक्षकों का 32 हज़ार होगा।

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