ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा ‘पुरातत्व सर्वेक्षण रिपोर्ट कोई प्रमाण नहीं है, विरोधी पक्ष ने इसे प्रचारित कर जनता में अराजकता पैदा कर दी है’

तारिक़ आज़मी

डेस्क: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट इस विवादास्पद मामले में निर्णायक सबूत नहीं है। विरोधी पक्ष ने ऐसा करके समाज में अराजकता और असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। बताते चले कि वादिनी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद के पहले वहाँ भव्य मंदिर था।

उन्होंने कहा कि ‘हमें विश्वास है कि बाबरी मस्जिद मामले में पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट का जो परिणाम हुआ था वही परिणाम इस रिपोर्ट का भी होगा। हमें खेद है कि हमारे महत्वपूर्ण संस्थान संप्रदायवादियों के हाथों का खिलौना बनकर अपना महत्व खो रहे हैं।’

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के प्रवक्ता डॉ0 सैयद क़ासिम रसूल इलियास ने एक प्रेस बयान में कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद के संबंध में हिंदू सांप्रदायिक संगठन कई वर्षों से जनता को गुमराह कर रहे हैं। इसका ताज़ा उदाहरण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक रिपोर्ट है जिसे उन्होंने अदालत में दाख़िल किया और अदालत के आदेश पर ही वादी और प्रतिवादी को उपलब्ध कराया। यह रिपोर्ट उनके अध्ययन और तैयारी के लिए थी लेकिन विरोधी पक्ष ने इसे प्रेस में प्रकाशित करके न केवल न्यायालय का अपमान किया है बल्कि देश की सीधी-सादी जनता को भी गुमराह करने का प्रयास किया है। इसी तरह कुछ महीने पहले जब सर्वेक्षण टीम ने अपनी रिपोर्ट में जलाशय में मौजूद फ़व्वारे को शिवलिंग बताया था तब भी विरोधी पक्ष ने इसे खूब प्रचारित कर जनता को गुमराह करने और समाज में अशांति पैदा करने की पूरी कोशिश की थी, भले ही विशेषज्ञों के द्वारा इसकी जांच-पड़ताल न हो सकी और न ही न्यायालय ने इस पर कोई निर्णय दिया।

बोर्ड के प्रवक्ता ने आगे कहा कि इससे पहले बाबरी मस्जिद मामले में भी पुरातत्व विभाग ने बाबरी मस्जिद के नीचे एक भव्य मंदिर होने का दावा किया था लेकिन जब बोर्ड की ओर से देश के दस प्रमुख पुरातत्वविदों ने अदालत में परीक्षण करके उसकी पोल खोल दी और इसके उलट खुदाई में मिली चीज़ों से बाबरी मस्जिद के समर्थन में दलीलें दीं तो इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस रिपोर्ट को विचार करने लायक़ नहीं माना और सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणियों में कहा कि खुदाई में मिली वस्तुएं बाबरी मस्जिद के निर्माण से चार शताब्दी पहले की हैं इसलिए मौजूदा रिपोर्ट पर कोर्ट का अंतिम फैसला क्या होगा ये तो समय ही बताएगा। हमें विश्वास है कि बाबरी मस्जिद मामले में पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट का जो परिणाम हुआ था वही परिणाम इस रिपोर्ट का भी होगा। हमें खेद है कि हमारे महत्वपूर्ण संस्थान संप्रदायवादियों के हाथों का खिलौना बनकर अपना महत्व खो रहे हैं।

डॉ0 सैयद क़ासिम रसूल इलियास ने आगे कहा कि बोर्ड की क़ानूनी समिति और हमारे वकील इस रिपोर्ट की विस्तार से जांच करेंगे और इसे मस्जिद के अंजुमन प्रशासन द्वारा अदालत में पेश किया जाएगा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पूरे मामले पर नज़र रख रहा है। बोर्ड ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन के साथ भी संपर्क में है। बोर्ड की लीगल कमेटी भी पूरे मामले की समीक्षा करती रहती है। अल्लाह ने चाहा तो इस मामले में हर संभव प्रयास किया जाएगा। मुसलमानों को उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए और दुआ करते रहना चाहिए और सर्वशक्तिमान अल्लाह से माफ़ी मांगनी चाहिए वही कारणों का रचियता है। हम देश की जनता से भी अपील करते हैं कि कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक इस रिपोर्ट पर कोई राय न बनाएं।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *