कर्णाटक की कांग्रेस सरकार ने याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से लगाया गुहार कि केंद्र सरकार सूखे से निपटने के लिए फंड नही दे रही है, किया देश की सर्वोच्च अदालत से दखल देने की मांग

शफी उस्मानी

डेस्क: कर्णाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाया है की केंद्र सरकार सूखे से निपटने के लिए फंड नही दे रही है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वो केंद्रीय गृह मंत्रालय को आपदा प्रबंधन क़ानून के तहत सूखा राहत राशि जारी करने का निर्देश दें। कर्णाटक की कांग्रेस सरकार के तरफ से यह याचिका दाखिल हुई है।

आईएमसीटी ने 4 अक्टूबर से 9 अक्टूबर, 2023 के बीच कर्नाटक का दौरा किया था। दक्षिण पश्चिम मॉनसून का प्रदर्शन बेहतर न रहने पर राज्य के 236 में से 223 तालुकों को सूखे का सामना करना पड़ा था। इनमें से 196 तालुकों को बहुत प्रभावित और 27 को प्रभावित क़रार दिया गया।

इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह भी अनुरोध किया गया है कि केंद्र सरकार अगर आर्थिक मदद ठुकराती है, तो इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत कर्नाटक के लोगों को दी गई मौलिक अधिकार की गारंटी का उल्लंघन माना जाए। इस याचिका में कहा गया है, ‘सूखा प्रबंधन मैनुअल के अनुसार केंद्र सरकार को इंटर मिनिस्ट्रियल सेंट्रल टीम (आईएमसीटी) से रिसीट मिलने के एक महीने के भीतर एनडीआरएफ से राज्य को मिलने वाली मदद पर अंतिम निर्णय लेना होगा।’

राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पत्रकारों से कहा, ‘हमने पांच महीनों तक अपने हिस्से का इंतज़ार किया। हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया, क्योंकि हमारे पास कोई और विकल्प नहीं बचा है।’ वहीं राज्य के राजस्व मंत्री केबी गौड़ा ने मीडिया को बताया कि ‘हमने केंद्र सरकार के सचिवों, वित्त मंत्री, गृह मंत्री और प्रधानमंत्री से मुलाक़ात की। हमने अक्टूबर से फरवरी के बीच उनसे कई अनुरोध किए। इसके बावजूद भारत सरकार ने कर्नाटक के किसानों को सूखे से राहत देने के लिए एनडीआरएफ से मदद नहीं दिलवाई।’

उन्होंने कहा कि ‘अंतिम उपाय के तौर पर अपने किसानों के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया है।’ अनुमान है कि खेती और वानिकी के क्षेत्र में राज्य को 35,162 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। राज्य सरकार ने 18,171 करोड़ रुपये की मांग की है। कर्नाटक से पहले केरल ने केंद्र सरकार से आर्थिक मदद लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था।

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