अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में 2 साल की सजा, विधायकी रहेगी या जाएगी?, अगर अब्बास अंसारी की विधायकी गई तो होगा भाजपा को तगड़ा नुकसान, एनडीए की एकता रहेगी चुनौतीपूर्ण

शहनवाज़ अहमद
गाजीपुर: यूपी की मऊ सीट से सुभासपा के विधायक और बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में कोर्ट ने दो साल की सजा सुना दी है। अब्बास को शनिवार की सुबह ही कोर्ट ने इस मामले में दोषी करार दिया है। मऊ के सीजेएम डॉ0 केपी सिंह की अदालत ने इस मामले की सुनवाई के बाद आज अपना फैसला सुनाया।

अब एक बड़ा सवाल विधायकी को लेकर उठता है कि अब्बास अंसारी की विधायकी रहेगी या जाएगी। दरअसल कानून के अनुसार विधानसभा की सदस्यता पर इस फैसले का सीधा असर पड़ेगा। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार अगर किसी विधायक या सांसद को 2 साल या उससे अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता चली जाती है। ऐसे में अब कोर्ट के फैसले के बाद अब्बास अंसारी की सदस्यता जा सकती है और मऊ में उपचुनाव हो सकते हैं। मगर दूसरा भी मार्ग इस मामले में है कि इस सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में चैलेन्ज किया जाये, जिसमे हाई कोर्ट इस सजा पर रोक लगाये और फिर विधायकी को बरक़रार रखने के लिए अदालती हुक्म लिया जाए।
अगर अब्बास अंसारी की विधायकी जाती है तो समाजवादी पार्टी से ज्यादा यूपी में बीजेपी गठबंधन (एनडीए) को तगड़ा झटका लग सकता है। दरअसल अब्बास अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से विधायक है। सुभासपा 2022 विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में थीं। उस चुनाव में सुभासपा मुखिया ओपी राजभर ने अखिलेश यादव के साथ चुनाव लड़ा था, लेकिन चुनाव के दौरान ही अब्बास अंसारी ने एक चुनावी जनसभा में एक विवादित बयान दे दिया था।
अब्बास अंसारी ने खुले मंच से अखिलेश यादव का बगैर नाम लिए कहा था कि भैया से बात हो गई है, सबका हिसाब किताब लिया जाएगा। इस विवादित बयान को बीजेपी ने खूब भुनाया था, उनके इस बयान का विधानसभा चुनाव पर भी पड़ा था। वहीं अब्बास अंसारी की अगर विधायकी जाती है तो 2027 विधानसभा चुनाव से पहले ही मऊ सदर सीट पर उपचुनाव की संभावना बढ़ जाएगी। जो भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
खासकर जब उसके सहयोगी दलों, जैसे अनुप्रिया पटेल की अपना दल और संजय निषाद की निषाद पार्टी अधिक सीटों की मांग कर रहे हैं। इन दलों के तेवर कड़े होने से बीजेपी को गठबंधन की एकता बनाए रखने में कठिनाई हो सकती है। इस स्थिति में, सपा के लिए भी अवसर है कि वह उपचुनाव में मजबूत उम्मीदवार उतारकर पूर्वांचल में अपनी पकड़ मजबूत करे। अब्बास अंसारी की विधायकी समाप्ति न केवल एक व्यक्तिगत नुकसान है, बल्कि यह प्रदेश की राजनीति में नए समीकरणों और चुनौतियों को जन्म दे सकती है।










