मुहब्बत-ए-दालमंडी हाय तौबा, फिर वही मैं वही नया चौक: दालमंडी के चौडीकरण हेतु तैयार सरकार के बुल्डोज़र पर हाई कोर्ट ने एपीसीआर की याचिका की सुनवाई कर लगाया ब्रेक

शफी उस्मानी

वाराणसी: मशहूर शायर यासीराना चंगेजी का एक कलाम है ‘शिद्दत-ए-लखनऊ हाय तौबा, फिर वही मैं वही अमीनाबाद।’ आज यही शेर मुझको दालमंडी के मुताल्लिक ख्याल आया और मन में आवाज़ आई मुहब्बत-ए-दालमंडी हाय तौबा, फिर वही मैं वही नया चौक’। इस कलाम के ख्याल आने की वजह है दालमंडी की प्रस्तावित परियोजना चौडीकरण के लिए तैयार खड़े बुल्डोज़र पर हाई कोर्ट ने एपीसीआर की याचिका पर सुनवाई करते हुवे ब्रेक लगा दिया है।

हाई कोर्ट इलाहाबाद ने कल एपीसीआर की याचिका जो वाराणसी के दालमंडी गली के चौडीकरण परियोजना को चुनौती देते दाखिल थी पर सुनवाई हुई। इस याचिका में वाराणसी के ऐतिहासिक दालमंडी क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत प्रस्तावित विध्वंस पर स्थायी स्थगन आदेश की मांग की गई थी। याचिका पर एपीसीआर के तरफ से पेश हुवे वरिष्ठ अधिवक्ता सैयद फरमान अहमद नक़वी ने याचिकाकर्ता की ओर से अदालत में पक्ष हुवे इस इलाके के एतिहासिक महत्व पर अदालत का ध्यान आकर्षित करवाए।

सुनवाई के दौरान राज्य के वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि याचिकाकर्ता के कब्जे में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा और जब तक राज्य वैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत अधिग्रहण नहीं करता, तब तक निर्माण को नहीं तोड़ा जाएगा। इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ता हेतु मांगी गई राहत देते हुवे यथास्थिति बनाये रखने का आदेश पारित कर दिया। यह आदेश दालमंडी क्षेत्र के निवासियों और व्यापारियों के लिए राहत लेकर आया है, जो बिना कानूनी प्रक्रिया के जबरन बेदखली और विध्वंस को लेकर चिंतित थे।

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