ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इन्तेज़मियां मसाजिद कमेटी के सचिव एसएम यासीन ने अदालती फैसलों का ज़िक्र करते हुवे कहा ‘मील का पत्थर साबित हो रहे है अदालतों के ये फैसले’

शफी उस्मानी

वाराणसी: पिछले कुछ वक्त से सरकारों को अदालत से जमकर जहाँ फटकार लग रही है, वही अदालतों ने अधिकारियों की भी जमकर क्लास लगाया है। चाहे वह दालमंडी चौडीकरण का प्रकरण हो या फिर आन्ध्र प्रदेश में बुल्डोज़र एक्शन करवाने वाले एसडीएम को डिमोट करते हुवे तहसीलदार बनाने का फैसला हो, यह सभी फैसले सरकारों को अदालत से मिले झटके है। ऐसे फैसलों के सम्बन्ध में ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने जमकर तरीके किया।

एसएम यासीन ने जारी प्रेस नोट में कहा कि ‘सर्व प्रथम माननीय उच्चतम न्यायालय के उस निर्णय की सराहना करना चाहिए जिसके अनुसार आन्ध्र प्रदेश के उस अधिकारी को जिसने बुलडोज़र के ज़रिए एक परिवार का घर गिरा दिया था। उस उन्मादी अधिकारी को डिमोट कर एसडीएम से तहसीलदार बना दिया और एक लाख का हर्जाना अलग। अब वह अधिकारीगण जो आक़ाओं को खुश करने के लिए अपने पदों का दुरुपयोग करने से बाज़ नहीं आते हैं उनके लिए यह एक सबक़ है।’

उन्होंने कहा कि ‘दूसरा माननीय उच्च न्यायालय जिसने मध्य प्रदेश के मंत्री को उनकी अभद्र और अमर्यादित भाषा के लिए डीजी पुलिस को चार घंटे के अन्दर इन ज़लील मंत्री के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश देकर एक सराहनीय कदम उठाया है, अब ऐसे बड़बोले लोगों पर अवश्य लगाम लगेगी। एसे लोगों की हमारे राजनीतिक दलों में खासकर संस्कारी दल में बहुतायत है।’

एसएम यासीन ने कहा कि ‘न्यायालय के इन आदेशों ने न्यायालयों का मान बढ़ाया है। जो आशा है अब रुकेगा नहीं। यह काम सरकार के मुखिया का था, लेकिन अफसोस उनकी चुप्पी ने न्यायालय को दखल देने का मौक़ा दिया। इसको कहते है सत्य मेव जयते’। एसएम यासीन ने कई अन्य फैसलों का ज़िक्र करते हुवे हुवे अदालत की भरपूर तारीफ किया।

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