वाराणसी: पुलिस की कथित काली कमाई, सियासत खाए मोटी मलाई, ज़हरीली हवाए चेतगंज के बागबरियार सिंह निवासियों के हिस्से में आई, अवैध भट्टियो के निकलते धुआ ने किया जीना मुहाल

तारिक आज़मी
वाराणसी: एक बात तो स्पष्ट है कि पुलिस अगर पूरी ईमानदारी से काम करे तो कोई अवैध कार्य नहीं हो सकता है। मगर जब पुलिस और सियासत दोनों ही मलाई खाना शुरू कर दे तो फिर आवाम की ज़िन्दगी किसी जहन्नम से बद्दतर हो जाती है। ऐसा ही कुछ हाल है चेतगंज थाना क्षेत्र स्थित बाग़बरियार सिंह इलाके का, जहाँ बियर की केन गलाने की अवैध भट्टियो ने आम नागरिको के ज़िन्दगी में ज़हर घोल रखा है। इस पुरे गोरखधंधे में पुलिस और सियासत दोनों की ही भूमिका संदिग्ध है।

भट्टियो के सम्बन्ध में ऐसा नही है कि इलाके के लोगो ने अधिकारियो को अवगत नहीं करवाया। स्थानीय सपा नेता ने हमसे नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर बताया कि कई बार लिखा पढ़ी किया गया। पुलिस कुछ दिन एक्टिव रही और भट्टियां बंद हुई। सांस लेने में आसानी हुई। मगर ये कार्यवाही कुछ दिन ही चली और स्थानीय नेताओं और पुलिस की मिलीभगत से ये भट्टियां दुबारा चालु हो गई। स्थानीय सूत्र बताते है कि हर रविवार को एक सिपाही इस इलाके में आता है और हर भट्टी संचालक के द्वारा उसकी मुट्ठी गरम किया जाता है।
इस सम्बन्ध में जब हमने स्थानीय पुलिस के सूत्रों को खंगाला तो जानकारी निकल कर सामने आई कि भट्टियो को बंद करवा दिया गया था। जिसके बाद सत्ता के करीबी एक नेता के द्वारा मामले में पैरवी किया गया और भट्टी का सञ्चालन दुबारा शुरू हो गई है। अब अगर पुलिस कार्यवाही की सोचती भी है तो सत्ता पक्ष के नेताओं का दबाव बन जाता है और इन दबाव के सामने पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर पाती है। स्थानीय सूत्र बताते है कि इस इलाके के अवैध भट्टी संचालक सिर्फ बियर के केन ही नही बल्कि चोरी के सामान भी गला देते है। एक सूत्र ने तो यहाँ तक बताया कि अल्युमिनियम के बिजली तार भी यहाँ गला दिया जाता है।
स्थानीय एक सपा नेता ने अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर एक उदाहरण देते हुवे बताया कि खुद उनके आवास के पास स्थित पटाखा किंग बाबा खान के भाई और उनके बेटो द्वारा अपने भू भाग पर दो भट्टियाँ किराये पर दिया गया है। जिसमे एक भट्टी का किराया 500 रुपया प्रतिदिन होता है। रोज़ ही भूमि स्वामी शाम को दोनों भट्टी का पैसा लेता है। वह खुद तो मोटी रकम महीने की खा रहा है, मगर खँडहर नुमा इस मकान में चलती इन अवैध भट्टियो के कारण लोगो का सांस लेना मुश्किल हो चूका है।
बताते चले कि नियमानुसार ऐसी भट्टियां बस्तियों के आसपास अथवा शहरी इलाके में नहीं हो सकती है। यदि कोई इस प्रकार के भट्टियो का सञ्चालन करता है तो उसको विभिन्न नियमो के पालन करने होंगे और नियमो के तहत यह पूरा कारोबार शहरी इलाके में नहीं हो सकता है, ग्रामीण इलाके में भी चिमनी आदि के प्रावधान इसके नियमो के तहत दिए गए है। मगर इस इलाके में पुलिस और सत्ता के संरक्षण में सब कुछ जायज़ ठहरा दिया जाता है। यदि कोई इलाके के निवासी इसकी शिकायत करता है तो पहले इलाके के ये बाहुबली और फिर भी न माने तो पुलिस के द्वारा उसको समझा दिया जाता है।
इस क्षेत्र में आप गली के अन्दर जायेगे तो घरो के बाहर चबूतरो और गली में ही बियर के केन और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बोरो में भर कर रखी रहती है। सब देख सकते है मगर पुलिस को ही नहीं दिखाई देता है। अब अगर सूत्रों के दावे की बात करे तो उनके इस दावे को बल मिलता है कि पुलिस अपने आँखों पर अवैध कमाई की पट्टी बाँध कर बैठी हुई है। फिर कौन सवाल उठाये ? सत्ता के करीबी लोगो ने पहले तो आपत्ति किया मगर अब उनकी ख़ामोशी मेरे पुलिस सूत्रों के दावो को बल देती है कि मलाई का बटवारा तो बराबर बराबर होता होगा। अब देखने की बात ये होगी कि चेतगंज थाना प्रभारी इन अवैध भट्टियो के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेगी अथवा खुद के मैनेज सिस्टम को कमज़ोर न हो और मामले को प्रदुषण नियंत्रण के तरफ फेक देगा ? अगर कार्यवाही के लिए प्रदुषण नियंत्रण की बात होती है तो बात फिर ये पुख्ता होगी कि कमिश्नर मोहित अग्रवाल के टीम पर बड़ा सवाल खड़ा होता है।











