ईरान पर अमेरिकी हमले पर इस्लामी राष्ट्रों ने एक जुट जताई नाराज़गी, पढ़े किस मुल्क का क्या आया बयान सामने

ईदुल अमीन

डेस्क: ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमले के बाद मध्य पूर्व में तनाव गहरा गया है। अमेरिका की इस सैन्य कार्रवाई ने न सिर्फ इसराइल-ईरान टकराव के और बढ़ने का ख़तरा पैदा कर दिया है, बल्कि इस पर मुस्लिम और अरब देशों की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है।

सऊदी अरब से लेकर पाकिस्तान तक, कई देशों ने इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन बताया और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर गंभीर ख़तरे की बात कही। इनमें से ज़्यादातर सरकारों ने अमेरिका के हमले की आलोचना करते हुए तुरंत तनाव कम करने और कूटनीतिक संवाद बहाल करने की अपील की है। इन बयानों में अंतरराष्ट्रीय नियमों के पालन की मांग की गई है।

सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक एक्स पोस्ट में लिखा है, ‘सऊदी अरब इस्लामी गणराज्य ईरान में हो रहे घटनाक्रम को लेकर गहरी चिंता के साथ स्थिति पर नज़र बनाए हुए है, विशेषकर अमेरिका की तरफ़ से ईरानी परमाणु ठिकानों को निशाना बनाए जाने को लेकर। सऊदी अरब 13 जून 2025 को जारी अपने बयान की बात दोहराता है, जिसमें इस्लामी गणराज्य ईरान की संप्रभुता के उल्लंघन की आलोचना की गई थी। सऊदी अरब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील करता है कि इस बेहद संवेदनशील समय में अपनी कोशिशों को तेज़ करें, ताकि संकट का राजनीतिक समाधान निकल सके और क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता हासिल करने के लिए एक नया अध्याय शुरू किया जा सके।’

क़तर ने ईरानी परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमलों की वजह से स्थिति के बिगड़ने पर जोखिम जताते हुए क्षेत्रीय तनाव को लेकर गहरी चिंता ज़ाहिर की है। उसने सभी सैन्य अभियानों को तुरंत रोकने की अपील की है। क़तर के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है ‘क़तर हाल ही में हुए हमलों के बाद की स्थिति पर गहरी चिंता के साथ नज़र बनाए हुए है, जिनमें इस्लामी गणराज्य ईरान के परमाणु ढांचे को निशाना बनाया गया। विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा है, ‘क्षेत्र में मौजूदा ख़तरनाक तनाव, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विनाशकारी परिणामों की ओर ले जा सकता है। क़तर को उम्मीद है कि सभी पक्ष विवेक, संयम और आगे किसी भी तरह से मामले को बढ़ने से रोकने का रास्ता अपनाएंगे, क्योंकि इस क्षेत्र के लोग पहले ही संघर्ष और उसके दुखद मानवीय प्रभावों से पीड़ित हैं।’

ओमान ने ईरान के भीतर अमेरिकी हवाई हमलों पर गहरी चिंता जताई है और इसकी कड़ी निंदा की है। ओमान ने इसे ग़ैर-क़ानूनी हमला बताया है और कहा है कि यह अंतरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सीधा उल्लंघन है। उसने सभी पक्षों से हालात को शांत करने की अपील की है। ओमान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘अमेरिका की ये कार्रवाई संघर्ष के दायरे को और बढ़ा सकती है और ये अंतरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन है। राष्ट्र प्रणाली के तहत हर देश को शांतिपूर्ण उद्देश्यों से परमाणु कार्यक्रम विकसित करने का अधिकार है, बशर्ते ये काम अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी में हो। जिनेवा समझौते समेत कई अंतरराष्ट्रीय नियम परमाणु ठिकानों को निशाना बनाने पर रोक लगाते हैं, क्योंकि इससे विकिरण और प्रदूषण फैलने का ख़तरा होता है।’

इराक़ ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले की कड़ी निंदा की है और इसे मध्य पूर्व की शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा बताया है। इराक़ ने कहा है कि ऐसे हमलों से पूरे क्षेत्र की स्थिरता पर असर पड़ सकता है। इराक़ सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘इराक़ सरकार इस्लामी गणराज्य ईरान की सीमा के भीतर परमाणु ठिकानों को निशाना बनाए जाने की निंदा करती है। यह सैन्य कार्रवाई मध्य पूर्व में शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर ख़तरा है और ये क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारी जोखिम पैदा करता है। इराक़ अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बल प्रयोग के ख़िलाफ़ है और सभी देशों की संप्रभुता और उनकी ज़रूरी संरचनाओं की सुरक्षा का पक्षधर है, ख़ासकर वो सुविधाएं जो शांतिपूर्ण उद्देश्यों से परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी में चल रही हैं।’

मिस्र ने चेतावनी दी है कि ‘इस हमले के बाद अब इस क्षेत्र में अराजकता और तनाव के बढ़ने का ख़तरा पैदा हो गया है।’ मिस्र ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ‘मौजूदा स्थिति में सैन्य समाधान नहीं बल्कि राजनीतिक समाधान और कूटनीतिक बातचीत से संकट से बाहर निकलने का रास्ता खोजा जाना चाहिए।’ इस बीच लेबनान के राष्ट्रपति जोसेफ़ आउन ने कहा है, ‘ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका की बमबारी से तनाव बढ़ने का ख़तरा बढ़ गया है, इससे एक से अधिक क्षेत्रों और देशों में सुरक्षा और स्थिरता के लिए ख़तरा पैदा हो गया है।’

पाकिस्तान ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के हमलों की निंदा की है। पाकिस्तान ने कहा है कि ये हमले इसराइल के हमलों के बाद हुए हैं और इससे पूरे क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है। पाकिस्तान सरकार की ओर से कहा गया है, ‘पाकिस्तान ईरानी परमाणु ठिकानों पर अमेरिका के उन हमलों की निंदा करता है जो इसराइल के सिलसिलेवार हमलों के बाद हुए हैं। हमें क्षेत्र में तनाव के और बढ़ने की आशंका को लेकर गहरी चिंता है।’

बयान में आगे कहा गया है, ‘हम दोहराते हैं कि ये हमले अंतरराष्ट्रीय क़ानून के सभी मानकों का उल्लंघन हैं और ईरान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत आत्मरक्षा का वैध अधिकार प्राप्त है। ईरान के ख़िलाफ़ जारी आक्रामकता के कारण जो अभूतपूर्व तनाव और हिंसा बढ़ी है, वह बेहद चिंताजनक है। अगर हालात और बिगड़े तो इसका असर न सिर्फ़ इस क्षेत्र पर, बल्कि दुनिया के और हिस्सों पर भी पड़ सकता है।’

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