वर्ष 1960 के बाद पहली बार होगा जब अमेरिका में विरोध प्रदर्शन रोकने के लिए सडको पर होगी सेना, ट्रंप के आदेश पर पूर्व सैनिक और कानूनी मामलो के जानकार है चिंतित

आफताब फारुकी

डेस्क: अमेरिकी इमिग्रेशन और कस्टम प्रवर्तन विभाग (आईसीई) के अधिकारियों ने हालिया दिनों में सबसे अमीर राज्य कैलिफोर्निया में अवैध प्रवासियों को पकड़ने और अप्रवासियों के दस्तावेजों की जांच के लिए अभियान चलाया। यह अभियान कैलिफोर्निया के लॉस एंजेलिस तक पहुंच गया, जिसे अमेरिका में रहने वाले अप्रवासियों का अहम केंद्र माना जाता है।  जिसके बाद ट्रंप और उनकी सरकार को ज़बरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है. हजारों की संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन शुरू कर दिए।

कुछ जगहों पर आगजनी और हिंसा की घटनाएं भी दर्ज की गईं। अब ट्रंप ने इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए अमेरिका की जमीन पर ही सेना के जवानों को उतारने का फैसला किया है। ट्रंप के अमेरिकी धरती पर सैन्यबलों को उतारने के फैसले को लेकर पूर्व सैनिकों और कानूनी मामलों के जानकारों ने चिंताएं जताई हैं। हालांकि, ट्रंप ने आलोचकों को अनसुना कर दिया है। अमेरिका में 1965 के बाद यह पहली बार था, जब किसी राष्ट्रपति ने गवर्नर की सहमति के बिना ही किसी राज्य में नेशनल गार्ड भेजने का फैसला किया हो। 1965 में तत्कालीन राष्ट्रपति लिंडन बी. जॉनसन ने अलाबामा में नागरिक अधिकारों की मांग वाले एक मार्च की सुरक्षा के लिए नेशनल गार्ड को भेजने का फैसला किया था।

बताते चले कि अवैध प्रवासियों को पकड़ने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद से ही अमेरिका में आव्रजन के रिकॉर्ड रखने वाली संघीय एजेंसी- इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट ने कई राज्यों में छापेमारी की है। अमेरिका के सबसे अमीर कैलिफोर्निया राज्य में भी आईसीई अधिकारियों की तरफ से अवैध प्रवासियों के खिलाफ छापेमारी जारी थी। रिपोर्ट्स की मानें तो आईसीई के अधिकारी अवैध प्रवासियों को पकड़ने वाली छापेमारी के दौरान कई बार वैध तरीके से अमेरिका में रह रहे प्रवासियों की भी तलाशी लेते थे और इन पर सार्वजनिक तौर पर बल प्रयोग करने लगे।

ऐसा एक मौका तब आया, जब करीब 238 लोगों को वेनेजुएला के एक गैंग का सदस्य बताकर सीधा अल-साल्वाडोर भेज दिया गया, जहां उन्हें अमेरिका की ही बनाई बड़ी जेल में रखा गया। इस मामले में कोर्ट ने ट्रंप सरकार को फटकार भी लगाई है। संघीय एजेंसी के अधिकारी कुछ इसी तरह का बर्ताव करते हुए शुक्रवार (6 जून) को लॉस एंजेलिस में भी अवैध प्रवासियों को पकड़ने की कोशिश करने लगे। आईसीई अफसरों के इस रवैये पर लॉस एंजेलिस की मेयर कैरेन बेस ने साफ किया था कि इससे आम लोगों के मन में आतंक पैदा हो सकता है।

हालांकि, अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज किया। इस बीच शुक्रवार को ही देर रात लॉस एंजेलिस के पैरामाउंट इलाके में एक हार्डवेयर स्टोर पर फेडरल एजेंट्स ने छापेमारी की। इस स्टोर से कई प्रवासी गिरफ्तार हुए। स्थानीय लोगों की शिकायत थी कि आईसीई के अधिकारियों की यह छापेमारी सैन्य अंदाज में हुई। आरोप है कि कई सरकारी अधिकारियों हथियार लिए हुए थे और कुछ ने भीड़ को नियंत्रित करने वाले डंडे और शील्ड ली हुई थीं। बताया गया है कि इन अधिकारियों को देखते ही पूरे इलाके में भगदड़ मच गई और लोग सकते में आ गए। आईसीई ने बाद में बताया कि शुक्रवार को 118 लोगों को आव्रजन से जुड़े अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, उसने किसी हार्डवेयर स्टोर पर छापेमारी की बात से इनकार किया।

इन घटनाओं के कई वीडियो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। PNN24 न्यूज़ इन वीडियोज की पुष्टि नहीं करता। कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया कि गिरफ्तार किए गए अप्रवासियों को लॉस एंजेलिस के डाउनटाउन में एडवर्ड आर रॉयबल फेडरल बिल्डिंग में रखा गया है। इसके बाद प्रदर्शनकारी सैकड़ों की संख्या में इस इमारत के बाहर ही जुट गए। इन लोगों ने बिल्डिंग के गेटों को बंद कर दिया और गिरफ्तार लोगों को छुड़ाने के लिए नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान कुछ उपद्रवियों ने आईसीई की गाड़ियों को रोकने की कोशिश की और अधिकारियों से भिड़ गए।

बाद में जब लॉस एंजेलिस पुलिस विभाग (एलएपीडी) ने प्रदर्शनकारियों को बिल्डिंग से दूर हटने और वापस लौटने की सलाह दी तो लोग भड़क गए। पुलिसकर्मियों ने उन्हें नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और रबड़ बुलेट से फायरिंग की। हालांकि, इससे स्थितियां नियंत्रण में आने की जगह और बिगड़ गईं। कुछ प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की। आईसीई एजेंट्स ने भी रबड़ बुलेट्स और मिर्च स्प्रे से जवाब दिया। एक समय हालात ऐसे हो गए कि कई जगहों पर आगजनी देखी गई। हालांकि, जब एलएपीडी ने एलान किया कि प्रदर्शन अब गैरकानूनी जुटाव के वर्ग में रखे जाएंगे और घर न लौटने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा, वैसे ही स्थिति नियंत्रण में लौटने लगी। हालांकि, चीजों को पूरी तरह सामान्य होने में समय लग गया।

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