क्या बिहार में अडानी को ‘1 रुपये में 1 एकड़’ ज़मीन मिली? जानिए आरोपों का असली सच

तारिक खान
PNN24 News डेस्क: बिहार की राजनीति में इन दिनों एक बड़ा हंगामा मचा हुआ है। मुद्दा है भागलपुर के पीरपैंती में अडानी समूह को पावर प्लांट लगाने के लिए ज़मीन दिए जाने का। विपक्षी दलों ने सीधे तौर पर यह आरोप लगाया है कि बिहार सरकार ने अडानी ग्रुप को लगभग 1050 एकड़ ज़मीन केवल ‘1 रुपये प्रति एकड़‘ के सालाना किराये पर लीज़ (पट्टे) पर दे दी है, और यह सब 33 सालों के लिए हुआ है। तो, क्या यह आरोप बिल्कुल सच है? आइए जानते हैं इस पूरे मामले का असली सच।
राजनैतिक आरोप क्या हैं?
कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी दलों का दावा है कि केंद्र और राज्य सरकारें अपने ‘पसंदीदा उद्योगपति‘ गौतम अडानी को फायदा पहुंचा रही हैं। उनके मुख्य आरोप ये हैं:
- सस्ते में ज़मीन: भागलपुर के पीरपैंती में 1050 एकड़ ज़मीन मात्र 1 रुपये सालाना प्रति एकड़ की दर से 33 साल के लिए लीज़ पर दी गई।
- किसानों के साथ अन्याय: यह ज़मीन किसानों से अधिग्रहित की गई थी, और उन पर दबाव डाला गया।
- पेड़ों की कटाई: इस ज़मीन पर आम और लीची के लाखों पेड़ लगे हैं, जिन्हें अब पावर प्लांट के लिए काटा जाएगा।
कैसे हुआ ज़मीन का अधिग्रहण
बिहार सरकार ने साल 2010 से 2012 के बीच पीरपैंती की पाँच पंचायतों में ज़मीन का अधिग्रहण किया था। क़रीब 900 किसानों से कुल 988.33 एकड़ ज़मीन ली गई। भागलपुर के ज़िलाधिकारी नवल किशोर चौधरी ने मीडिया को बताया, “बिहार में बिजली की ज़रूरत को समझते हुए सरकार ने कई जगहों पर थर्मल पावर प्लांट बनाने का संकल्प लिया था। इसी के तहत पीरपैंती में ज़मीन का अधिग्रहण किया गया। 97 फ़ीसदी से ज़्यादा लोगों को हम भुगतान कर चुके हैं। इनमें से ज़्यादा भुगतान बिहार सरकार ने 2015 से पहले ही कर दिया था। किसानों से ज़मीन बिहार इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी के नाम पर ली गई थी, जिसे अथॉरिटी ने विद्युत विभाग को दे दिया। जिन किसानों का मामला भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन प्राधिकरण बोर्ड (लारा कोर्ट) या सिविल कोर्ट में लंबित नहीं है और उनका मुआवज़ा बकाया है। वे भुगतान के लिए आवेदन देकर तुरंत पैसा ले सकते हैं।”
सरकार का स्पष्टीकरण और असली सच
इन आरोपों पर, बिहार सरकार के मंत्रियों ने कड़ा खंडन किया है और तथ्यों को सामने रखा है:
1. ‘1 रुपये’ की कहानी का सच
- स्वामित्व सरकार का: उद्योग मंत्री ने साफ किया है कि ज़मीन का स्वामित्व (Ownership) पूरी तरह से बिहार सरकार के ऊर्जा विभाग के पास ही रहेगा। यह ज़मीन केवल अडानी समूह को 33 साल के लिए ‘लीज‘ पर दी गई है, बेचा नहीं गया है।
- लीज़ की प्रक्रिया: ज़मीन का यह आवंटन टैरिफ बेस्ड कंपीटिटिव बिडिंग (TBCB) प्रक्रिया के तहत किया गया है। इसका मतलब है कि बोली लगाई गई थी कि कौन सी कंपनी बिहार को सबसे कम दर पर बिजली सप्लाई करेगी।
- अडानी को क्यों मिली? अडानी पावर लिमिटेड ने सबसे कम बोली (Lowest Tariff) लगाई थी, जो कि रुपये 075 प्रति यूनिट थी, जिसके कारण उन्हें यह प्रोजेक्ट मिला।
- रुपया 1 किराया क्यों? असल में, सरकार ने जिस जमीन का अधिग्रहण (Acquisition) किया था, उसका मुआवजा किसानों को पहले ही दे दिया गया है। जब सरकार इस अधिग्रहित ज़मीन को किसी बिजली परियोजना के लिए लीज पर देती है, तो लीज रेंट प्रतीकात्मक रूप से ₹1 सालाना रखा जाता है, ताकि कागज़ों में यह स्पष्ट रहे कि ज़मीन का कानूनी कब्ज़ा किसके पास है और यह किसी व्यावसायिक लेनदेन के बजाय एक विकास परियोजना का हिस्सा है। यह प्रावधान नई औद्योगिक परियोजनाओं के लिए अक्सर इस्तेमाल होता रहा है।
2. ज़मीन अधिग्रहण और पेड़
- पुराना प्रोजेक्ट: इस थर्मल पावर प्रोजेक्ट को मंजूरी देने का काम 2010 में ही शुरू हो चुका था, जब बीजेपी-जेडीयू की सरकार थी।
- पेड़ों की संख्या: सरकार का दावा है कि भूमि अधिग्रहण के समय 10,055 पेड़ों की गिनती की गई थी, जिनमें अधिकांश बाद में लगाए गए थे। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए, केवल पावर प्लांट एरिया (लगभग 300 एकड़) और कोल हैंडलिंग एरिया में ही कुछ पेड़ काटे जाएंगे।
- हरित पट्टी: मुआवजे के तौर पर वनरोपण (Afforestation) के तहत एक ग्रीन बेल्ट विकसित करने की भी योजना है।
निष्कर्ष: क्या यह ‘गिफ्ट’ है?
आरोपों में इस्तेमाल किया गया ‘1 रुपये में 1 एकड़’ का आंकड़ा, ज़मीन की बिक्री या खरीद को नहीं, बल्कि एक औद्योगिक लीज समझौते को दर्शाता है, जहाँ ज़मीन का वास्तविक मालिक सरकार ही रहती है। यह विवाद मुख्य रूप से राजनीतिक है, जिसमें विपक्ष एक प्रतीकात्मक ‘1 रुपया’ दर को भुनाकर सरकार पर ‘गिफ्ट‘ देने का आरोप लगा रहा है। जबकि सरकार इसे न्यूनतम बोली के आधार पर राज्य को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने की एक वैधानिक प्रक्रिया बता रही है।
इस विषय पर अधिक जानकारी और ग्राउंड रिपोर्ट आप इस वीडियो में देख सकते हैं: Bihar में Adani को जमीन… Congress के आरोपों का सच क्या? यह वीडियो भागलपुर में अडानी पावर प्लांट के लिए जमीन दिए जाने पर कांग्रेस के आरोपों की सच्चाई पर प्रकाश डालता है।












