हमास और इसराइल का समझौता: ‘जंग खत्म’ या बस एक लंबा ब्रेक? गाज़ा में शांति की राह इतनी मुश्किल क्यों

निलोफर बानो
डेस्क: दो साल से चल रहे इज़राइल-हमास युद्ध में आखिरकार एक बड़ी कामयाबी मिली है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से दोनों पक्षों ने शांति योजना के पहले चरण (First Phase of Peace Plan) पर सहमति जता दी है। इस घोषणा ने पूरी दुनिया को राहत दी है, लेकिन सवाल अभी भी अपनी जगह कायम है: क्या यह समझौता गाज़ा में चल रहे खूनी संघर्ष का स्थायी अंत है, या महज़ एक अस्थाई विराम?

समझौता क्या है? बंधक रिहाई से आगे की कहानी
यह शांति योजना एक 20-सूत्रीय प्रस्ताव का हिस्सा है, जिस पर दोनों पक्ष सहमत हुए हैं। समझौते के पहले चरण में मुख्य रूप से तीन बातें शामिल हैं:
- बंधकों की रिहाई: हमास सभी बचे हुए इज़रायली बंधकों (लगभग 20 जीवित) को रिहा करेगा।
- कैदियों की अदला-बदली: इसके बदले में इज़राइल अपनी जेलों से लगभग 2000 फ़िलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
- इज़रायली सेना की आंशिक वापसी: इज़रायली सेना गाज़ा पट्टी के कुछ हिस्सों से एक तय सीमा तक पीछे हटेगी।
इसके अलावा, इस समझौते के लागू होते ही गाज़ा में युद्धविराम प्रभावी होगा और मानवीय सहायता (भोजन, पानी, दवाइयाँ) की असीमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी।
‘स्थायी शांति’ के रास्ते में तीन बड़ी रुकावटें
समझौते के पहले चरण पर जश्न मनाया जा रहा है, लेकिन जंग पूरी तरह ख़त्म होगी या नहीं, यह तीन प्रमुख, अनसुलझे सवालों पर निर्भर करता है:
1. हमास का निरस्त्रीकरण (Demilitarisation of Hamas)
इज़राइल और अमेरिका की सबसे बड़ी मांग है कि हमास अपनी सैन्य क्षमता (रॉकेट, सुरंग नेटवर्क और सशस्त्र ब्रिगेड) को ख़त्म करे या आत्मसमर्पण कर दे।
- इज़राइल की शर्त: प्रधानमंत्री नेतन्याहू स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर हमास हथियार डालने से इनकार करता है, तो वे हमले जारी रखेंगे।
- हमास का रुख़: हमास ने हालांकि समझौते पर सहमति दी है, लेकिन उसने साफ़ कहा है कि वह अपने ‘राष्ट्रीय अधिकारों’ को नहीं छोड़ेगा। इसका मतलब है कि वह अपनी सैन्य विंग को ख़त्म करने की बात को आसानी से नहीं मानेगा।
2. गाज़ा का भविष्य (Future Governance of Gaza)
जंग के बाद गाज़ा का शासन कौन संभालेगा? यह सबसे पेचीदा सवाल है।
- इज़राइल की मांग: इज़राइल चाहता है कि गाज़ा की कमान फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) को सौंपी जाए, लेकिन इस शर्त पर कि हमास राजनीतिक परिदृश्य से दूर हो जाए।
- हमास का विरोध: हमास, जिसने 2007 से गाज़ा पर शासन किया है, इस बात पर सहमत हो गया है कि वह फ़िलिस्तीनी अथॉरिटी को सत्ता सौंपेगा, लेकिन अभी भी इसमें कई अनसुलझे पेच हैं।
3. भरोसे की कमी और पिछला इतिहास
यह पहला मौक़ा नहीं है जब इज़राइल और हमास ने युद्धविराम किया है। इससे पहले नवंबर 2023 और जनवरी 2025 में हुए अस्थायी समझौते कुछ ही हफ़्तों या महीनों में टूट गए थे। दोनों पक्षों के बीच भरोसे की भारी कमी है, जिससे यह डर बना हुआ है कि कोई भी छोटी सी घटना इस नए शांति प्रयास को भी पटरी से उतार सकती है।
क्या है आगे की राह?
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और अमेरिका ने इस समझौते को ऐतिहासिक बताया है। कतर, मिस्र और तुर्की जैसे मध्यस्थों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
इस समझौते का पहला चरण गाज़ा के लोगों के लिए अत्यावश्यक राहत लेकर आएगा। खान यूनिस और तेल अवीव दोनों में जश्न का माहौल है, जो दिखाता है कि दोनों पक्षों के नागरिक युद्ध से थक चुके हैं।
लेकिन, स्थायी शांति तभी आएगी जब ट्रम्प की 20-सूत्रीय योजना के अगले चरणों पर भी सहमति बनेगी। अगर हमास निरस्त्रीकरण पर सहमत नहीं होता है, या गाज़ा के शासन पर कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं बनता है, तो यह केवल एक लंबा विराम साबित होगा, जंग का अंत नहीं।
PNN24 की नज़र: यह समझौता एक उम्मीद की किरण ज़रूर है, पर इस क्षेत्र में ‘स्थायी शांति’ की स्थापना अभी भी बहुत दूर की कौड़ी है।











