मध्य प्रदेश के दतिया में किशोर न्याय बोर्ड से हत्या का आरोपी फ़रार….! सिस्टम पर उठे गंभीर सवाल

तारिक खान

PNN24 न्यूज़, दतिया (मध्य प्रदेश)। मध्य प्रदेश के दतिया में एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसने न केवल सुरक्षा व्यवस्था पर बल्कि हमारे किशोर न्याय (Juvenile Justice) के पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहाँ किशोर न्याय बोर्ड (Juvenile Justice Board) की कस्टडी से एक हत्या का आरोपी फ़रार हो गया है।

यह कोई सामान्य चोरी का मामला नहीं है। यह आरोपी किशोर साल 2025 में हुए एक जघन्य हत्याकांड में शामिल था, जब वह नाबालिग था। यही वजह है कि उसका केस सामान्य कोर्ट की जगह किशोर न्याय बोर्ड के सामने चल रहा था।

क्या है पूरा मामला?

हत्या का यह आरोपी किशोर अपनी अपराध की गंभीरता के कारण दतिया के किशोर न्याय बोर्ड की निगरानी में था। बताया जा रहा है कि किशोर न्याय बोर्ड परिसर में सुरक्षा के इंतज़ाम सामान्य जेल जितने कड़े नहीं होते, क्योंकि वहाँ का उद्देश्य सज़ा देना नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास (Rehabilitation) होता है।

  • फरार होने का तरीका: शुरुआती जानकारी के अनुसार, आरोपी ने सुरक्षाकर्मियों की लापरवाही का फायदा उठाया और चकमा देकर बोर्ड परिसर से भाग निकला।
  • अपराध की प्रकृति: इस आरोपी पर साल 2025 में एक युवक की हत्या का आरोप है। एक जघन्य अपराध का आरोपी होने के कारण, उसे और अधिक सख्ती से निगरानी में रखा जाना चाहिए था।

न्याय प्रणाली और सुरक्षा पर बड़ा प्रश्नचिह्न

एक हत्या के आरोपी का इस तरह आसानी से फ़रार हो जाना, कई पहलुओं पर चिंता पैदा करता है:

  1. सुरक्षा में चूक: क्या किशोर न्याय बोर्ड जैसे संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त नहीं है? अगर किसी आरोपी ने इतना गंभीर अपराध किया है, तो क्या उसे सामान्य निगरानी में रखना सही है?
  2. कानून का डर: आरोपी के भाग जाने से न केवल न्याय की प्रक्रिया बाधित हुई है, बल्कि पीड़ित परिवार में भी दहशत का माहौल पैदा हो गया है। उन्हें अब आरोपी के दोबारा सामने आने का डर सता रहा होगा।
  3. सुधार या सुविधा?: किशोर न्याय प्रणाली का मूल मंत्र सुधार है। लेकिन जब आरोपी कस्टडी से भाग जाता है, तो यह सवाल उठता है कि क्या सुधार के नाम पर दी गई ढील का फायदा उठाकर उसने कानून को चुनौती दी है।

पुलिस अब फ़रार आरोपी की तलाश में जुटी है और जगह-जगह दबिश दे रही है। दतिया पुलिस के लिए यह मामला न केवल कानून-व्यवस्था बल्कि अपनी प्रतिष्ठा के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि सुधार और सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए, ताकि जघन्य अपराधों के आरोपी कानून की गिरफ्त से दूर न भाग पाएं।

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