रायपुर नगर निगम का अजीबो-गरीब फरमान…! अब विरोध करने पर लगेंगे Rs. 500 का अनिवार्य शुल्क

आफताब फारुकी
PNN24 न्यूज़, रायपुर (छत्तीसगढ़): लोकतंत्र में विरोध का अधिकार सबसे बड़ा माना जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नगर निगम (Municipal Corporation) ने इस अधिकार पर ही एक अजीबो-गरीब ‘टैक्स’ लगा दिया है! रायपुर नगर निगम ने अब किसी भी तरह का विरोध प्रदर्शन या धरना-प्रदर्शन करने पर 500 रुपये का अनिवार्य शुल्क (Mandatory Fee) लगा दिया है। यह फैसला सुनते ही आम जनता और सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच तीखी प्रतिक्रियाएं शुरू हो गई हैं।
क्या है नगर निगम का फरमान?
रायपुर नगर निगम ने शहर में विरोध प्रदर्शनों के आयोजन को ‘नियमबद्ध’ करने के नाम पर यह नया शुल्क लागू किया है।
- शुल्क की राशि: किसी भी संगठन, राजनीतिक दल या व्यक्तियों के समूह को धरना या प्रदर्शन करने से पहले 500 का शुल्क जमा कराना होगा।
- उद्देश्य: निगम का दावा है कि यह शुल्क शहर की स्वच्छता बनाए रखने और प्रदर्शन के बाद होने वाली क्षतिपूर्ति (compensation) के लिए लगाया गया है।
- कहां लगेगा शुल्क?: यह शुल्क मुख्य रूप से शहर में प्रदर्शनों के लिए निर्धारित स्थल, जैसे बूढ़ातालाब धरना स्थल (Budhatalab protest site) पर लागू होगा।
विरोध क्यों हो रहा है?
इस फैसले को लेकर विपक्षी दल और सामाजिक संगठन तीखी आलोचना कर रहे हैं, उनका तर्क है कि यह सीधा-सीधा लोकतंत्र पर हमला है:
- गरीबों के विरोध पर ताला: आलोचकों का कहना है कि यह शुल्क गरीबों और वंचित तबकों के विरोध करने के अधिकार को छीनने जैसा है। 500 रुपये की फीस उन लोगों के लिए एक बड़ी रुकावट बन सकती है जो न्याय के लिए छोटी संख्या में आवाज़ उठाते हैं।
- अधिकार पर टैक्स: विपक्षी पार्टियों ने इसे ‘विरोध प्रदर्शन पर टैक्स’ करार दिया है। उनका कहना है कि संविधान हमें शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखने का अधिकार देता है, और उस अधिकार के इस्तेमाल पर पैसे वसूलना अवैध है।
- लोकतंत्र की हत्या: सोशल मीडिया पर भी लोग कह रहे हैं कि सरकारें अब विपक्ष और आम लोगों की आवाज को दबाने के लिए नए-नए तरीके खोज रही हैं।
क्या इससे प्रदर्शन रुक जाएंगे?
निगम भले ही इस शुल्क को स्वच्छता शुल्क बता रहा हो, लेकिन हकीकत में इसे विरोध को हतोत्साहित (discourage) करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है। सवाल यह है कि क्या 500 की मामूली फीस से लोग अपना विरोध जताना बंद कर देंगे? संभवतः नहीं। यह कदम केवल विरोध को और हवा देगा, क्योंकि अब लोग ‘टैक्स’ देकर विरोध करने के बजाए, ‘विरोध के अधिकार पर टैक्स’ का ही विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर सकते हैं। रायपुर नगर निगम को जल्द ही इस अलोकतांत्रिक फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, अन्यथा यह मामला सियासी अखाड़े का रूप ले सकता है।











