सुल्तानपुर गांव में दावते इफ्तार का हुआ आयोजन

सुहैल अख्तर 

घोसी(मऊ)। रमज़ान पाक महीने में घोसी क्षेत्र के सुल्तानपुर गांव में बुधवार को मगरिबी मस्जिद में दावते इफ्तार का आयोजन हुवा। जिसमें भारी संख्या में लोग उपस्थित हुए। पवित्र माह रमज़ान की इबादत और रोज़ा आखरी दौर में पहुंच गया है।शिद्दत की गर्मी के बावजूद भी मुसलमान भाई रोज़ा रख रहे है। 15 घण्टे तक बिना खाये पिए सारा दिन रहते है शाम को मगरिब की अज़ान कान में गूजने पर खजूर खाके इफ्तार शुरू करते है। मस्जिदे रमज़ान की इबादत और इफ्तार की खुशबू से आबाद है।

बुधवार की 25 वां रोज़ा को मगरिबी मस्जिद में सामूहिक दुआ के साथ रोज़ा इफ्तार किया गया। गौर तलब हो कि इस्लाम में एक माह के रोजे रखना मोमिन पर फर्ज है। मुस्लिमों के लिए गुनाहो से मुक्ति और रोजी की तरक्की के लिए यह बड़ा अजमत वाला माह माना जाता है।रमजान को नेकियों या पुन्यकार्यों का मौसम-ए-बहार (बसंत) कहा गया है। रमजान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है। इस महीने में मुस्लमान अल्लाह की इबादत (उपासना) ज्यादा करता है। यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है। इस महीने में रोजादार को इफ्तार कराने वाले के गुनाह माफ हो जाते हैं। पैगम्बर मोहम्मद सल्ल. से आपके किसीसहाबी (साथी) ने पूछा- अगर हममें से किसी के पास इतनी गुंजाइश न हो क्या करें। तो हज़रात मुहम्मद ने जवाब दिया कि एक खजूर या पानी से ही इफ्तार करा दिया जाए।यह महीना मुस्तहिक लोगों की मदद करने का महीना है। रमजान के तअल्लुक से हमें बेशुमार हदीसें मिलती हैं और हम पढ़ते और सुनते रहते हैं लेकिन क्या हम इस पर अमल भी करते हैं। ईमानदारी के साथ हम अपना जायजा लें कि क्या वाकई हम लोग मोहताजों और नादार लोगों की वैसी ही मदद करते हैं जैसी करनी चाहिए? सिर्फ सदकए फित्र देकर हम यह समझते हैं कि हमने अपना हक अदा कर दिया है।जब अल्लाह की राह में देने की बात आती है तो हमें कंजूसी नहीं करना चाहिए। अल्लाह की राह में खर्च करना अफज़ल है। ग़रीब चाहे वह अन्य धर्म के क्यों न हो, उनकी मदद करने की शिक्षा दीगयी है। दूसरों के काम आना भी एक इबादत समझी जाती है।ज़कात, सदक़ा, फित्रा, खैर खैरात, ग़रीबों की मदद, दोस्त अहबाब में जो ज़रुरतमंद हैं उनकी मदद करना ज़रूरी समझा और माना जाता है।अपनी ज़रूरीयात को कम करना और दूसरों की ज़रूरीयात को पूरा करना अपने गुनाहों को कम और नेकियों को ज़्यादा करदेता है।

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