नदिया ही ब्रहमाण्ड रूपी वृक्ष की नाड़िया

बलिया। आश्वासन का घूंट पिलाकर गंगा को जिंदा नहीं रखा जा सकता है। सरकार एक तरफ दावा कर रही है कि वह 2018 तक गंगा को प्रदषूण मुक्त कर देगी, वहीं दूसरी ओर बांधो से खण्डित अविरलता के सवाल पर उसके तरकश में एक भी तीर नहीं।

उक्त बातें गंगा मुक्ति एवं प्रदूषण विरोधी अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी रमाशंकर तिवारी ने स्थानीय बिचला गंगा घाट पर ‘गंगा रक्षा संकल्प सूत्र‘ कार्यक्रम के समापन के दौरान सोमवार को प्रातः कहीं। उन्होंने कहा कि नदिया ब्रम्हाण्ड रूपी वृक्ष को नाड़िया है, जिसकी रक्षा नहीं होने पर प्राकृतिक असंतुलन पैदा होगा। कहा, नमामि गंगे के नाम पर जिले में करोड़ों खर्च किया जा रहे है, जबकि गंगा को सबकी आंखों के सामने गंदा करने वाले कटहल नाले तथा सोहॉव ब्लाक क्षेत्र के कोटवां में गिरने वाले गंदे नालों के प्रति प्रशासनिक जवाबदेही शून्य है। सरकार को श्वेत पत्र जारी कर जनमानस को बताना चाहिए कि अविरलता की राह में कौन-कौन सी कठिनाईयां है और केन्द्र ने उसके निवारण के लिए क्या उपाय किये।

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