साढ़े तीन हज़ार करोड़ की सौगात के लिये ताज नगरी आ रहे मोदी, वायरल हुआ वीडियो जिसमे ढके जा रहे गरीबो के झोपड़े

अंजनी राय

लखनऊ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज आगरा में होंगे। वो यहां साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व राज्यपाल राम नाईक सहित प्रदेश सरकार के कई मंत्री मौजूद रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी कोठी मीना बाजार मैदान पर 3571 करोड़ रुपये लागत की 12 योजनाओं का लोकार्पण व 7 योजनाओं का शिलान्यास करेंगे। लोकार्पण में 2887 करोड़ की गंगाजल योजना प्रमुख है। इसके बाद कोठी मीना बाजार मैदान में जनसभा संबोधित करेंगे।

वहीं, शिलान्यास में स्मार्ट सिटी के तहत 285 करोड़ की एकीकृत कमांड एवं नियंत्रण केंद्र का निर्माण, 200 करोड़ रुपये की एसएन मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक का निर्माण का शामिल है। प्रधानमंत्री दोपहर 3.15 बजे खेरिया एयरपोर्ट पहुंचेंगे।

मगर इसी बीच कल देर रात से सोशल मीडिया पर एक तस्वीर और वीडियो वायरल होना शुरू हो गया है। जिसमे रैली स्थल के आस पास अवैध झोपड़पट्टी के झोपड़ो को टेंट हाउस के पर्दों से ढाका जा रहा है। यहाँ के रहने वालो का आरोप भी वायरल होना शुरू हुआ। जिसमे उनका कहना है कि उनको घरो से न निकलने की सख्त हिदायद दिया गया है और उनके झोपड़ो को पर्दों से ढक दिया है। उनका आरोप है कि हमको हमारे घरो में ही लगभग कैद कर दिया जा रहा है। एक वेब मीडिया द्वारा उठाये गये इस मुद्दे को जमकर सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया। इस वीडियो के वायरल होने के बाद तो पक्ष और विपक्ष के द्वारा कथित रूप से एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गया। मगर इस सबके बीच किसी ने इन गरीबो के पुनर्वास की बात नही किया।

साढ़े तीन हज़ार करोड़ की इस परियोजनाओ के बावजूद आज गंगा कि क्या स्थिति है आपको बताने की आवश्यकता तो नही है. चुनावो के पहले उमा भारती ने वायदा किया था कि 2018 तक मैंने गंगा का निर्मलीकरण नही किया तो जल समाधी ले लुंगी। आज वह वक्त बीत चूका है मगर न तो गंगा का निर्मलीकरण हुआ न ही उमा भारती ने जल समाधी लिया। ऐसा नही है कि हम सरकारी परियोजनाओ पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे है मगर सवाल सिर्फ इतना है कि इन झोपड़ी वालो के लिये पुनर्वास योजना शायद इस राशि से काफी कम में हो जाये। प्रशासन अपनी वाह वाही के चक्कर में इनको पर्दों के पीछे ढक रहा है। वही प्रशासन इतनी ही मेहनत करता और अनेको आवास योजनाओ के तहत खाली पड़े अथवा अवैध कब्ज़े वाले आवासों को खाली करवा कर इन गरीबो का पुनर्वास करवा सकता था। इस काम से शायद प्रशासन स्थानीय को कोई वाह वाही तो नही मिलती मगर ये ज़रूर था कि गरीबो को रहने के लिये एक छत ज़रूर मिल जारी

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