जाने दालमंडी के एसआई जमीलुद्दीन खान ने आखिर ऐसा क्या किया था कि आम व्यापारी उनके स्थानांतरण पर ग़मगीन हो गये

तारिक आज़मी

वाराणसी। वैसे तो लोग कहते है कि पुलिस वाले की न दोस्ती अच्छी न दुश्मनी। किसी पुलिस कर्मी की कही पोस्टिंग होती है तो वह परमानेंट नही होती। आखिर उसको कही न कही और कभी न कभी स्थानांतरित होना होता है। इस बार लम्बी लिस्ट के साथ एसआई के तबादले हुवे है। इन तबादलों में काफी एसआई अपने चार्ज देकर ताबतला स्थल पर जाकर ज्वाइन कर चुके है। शायद क्षेत्रीय जनता को इन तबादलों का कोई ख़ास असर नहीं हुआ होगा। मगर आज चौक थाने में पोस्टेड दालमंडी चौकी इंचार्ज जमीलुद्दीन के साथ नंदू यादव का स्थानांतरण हुआ। जमीलुद्दीन विगत वर्ष से दालमंडी चौकी इंचार्ज थे। उनके तबादले के खबर ने दालमंडी के व्यापारियों में उदासी का माहोल देखने को मिला।

आज तबादले के क्रम में दालमंडी व्यापर मंडल ने जमीलुद्दीन खान के लिये विदाई समारोह रखा और थाना परिसर में उनको अंगवस्त्र सहित उपहार और फुल मालाओ से लाद दिया। इस विदाई समारोह में क्षेत्र के पार्षद और व्यापार मंडल अध्यक्ष मो सलीम, महामंत्री शाहनवाज़ खान शानू, बदरुद्दीन अहमद, मुनाजिर हुसैन, नुरुज्ज़मा, विक्की मिर्ज़ा, मो फरहान, आफ़ताब अहमद, रिंकू ओझा के साथ क्षेत्र के संभ्रांत नागरिक और व्यापारी उपस्थित थे। लोगो की आँखों में विदाई की नमी थी। आखिर जमीलुद्दीन ने अपने कार्यकाल में ऐसा क्या किया था कि क्षेत्र में उदासी का माहोल हो गया।

हमारा कही से इस खबर को लिखने का तात्पर्य किसी चापलूसी से नही है। मगर जिस बात में हकीकत छुपी हो उसको जगजाहिर करना भी हमारा काम है। जमीलुद्दीन ने व्यापारियों और क्षेत्र के लिये आखिर ऐसा क्या किया था कि क्षेत्रीय नागरिक और व्यापारियों को इस तबादले का इतना अफ़सोस हुआ। आइये हम आपको जमीलुद्दीन खान के उन उपलब्धियों के सम्बन्ध में बताते है जो वक्त के रफ़्तार के धुंध में दबकर रह गई और कोई इसको ज़ाहिर नही कर सका।

बंद करवाया हिरोईन का कारोबार

मुन्ना घोडा नामक एक तत्कालीन अपराधी ने 90 के दशक में मिर्ज़ापुर से आकर इस इलाके में अपना पैर जमाया था और नशे का कारोबार पहली बार शहर में अपनी दस्तक दिया था। मुन्ना घोडा के मरने के बाद उसके गुर्गे इस कारोबार को लगातार पालते पोसते रहे। मगर संरक्षण मजबूत नही रहा। जुगाड़ से कारोबार चल रहा था। इसके बाद अन्नू गैंग ने इस इलाके में दस्तक इसी कारोबार के साथ दिया था। अन्नू के मरने के बाद उसके बड़े स्तर के गुर्गे तो इधर उधर होकर अपने अन्य कारोबार को चलाने लगे। मगर टूटपूंजियो ने इस कारोबार को लगातार इस इलाके में जारी रखा। हिरोईनबाजों से पूरा इलाका त्रस्त रहता था। मगर प्रशासनिक दृष्टि इन पेचीदा दलीलों सी गलियों के पेंचदार घुमाव में खोकर रह जाती थी। इस इलाके की सबसे कुख्यात नशा कारोबारी पारो है।

जमीलुद्दीन ने आते के साथ पहले इस इलाके की हर पेचीदा दलीलों सी गलियों से खुद को रूबरू करवाया। हर गली का हर छोर और उससे निकलने वाले रास्ते देखे। इसके बाद दशको से चले आ रहे इस कारोबार को बंद करवाने और इसके ऊपर शिकंजा कसने के लिये जमीलुद्दीन ने तैयारी कर लिया। अपनी तैयारी के सम्बन्ध में तत्कालीन और इत्तिफाक से वर्त्तमान दुबारा पोस्टिंग पाई क्षेत्राधिकारी स्नेहां तिवारी को अवगत करवाया। क्षेत्राधिकारी ने पूरी अनुमति प्रदान किया तो जमीलुद्दीन ने टीम बनाकर पारो के आवास पर उस समय छापा मारा जब उस इलाके में लोग इसकी दहशत से जाने में डरते थे। आपको याद होगा कि वह महिला हिरोईन तस्कर इस छापे से इतना घबरा गई थी की ऊपर से नीचे गली में कूद पड़ी थी। जिससे उसका एक पैर भी टूट गया था।

मगर जमीलुद्दीन खान के द्वारा लगाई गई फील्डिंग को वह भेद नही पाई और अपने साथियों सहित पकड़ी गई। ये पहला अवसर था जब पारो पर इतनी बड़ी कार्यवाही किसी पुलिस वाले ने किया था। भले प्रेस विज्ञप्ति में जितने दावे दिये गये थे मगर इस कार्यवाही में क्षेत्राधिकारी स्नेहा तिवारी और एसआई जमीलुद्दीन खान की भूमिका प्रशासनीय रही। मुझको वह मंज़र याद है जब इस छापे की खबर और फिर पारो द्वारा ऊपर से छलांग लगा देने की खबर क्षेत्राधिकारी को लगी तो तत्काल अपने कार्यालय से चौक थाने पहुची थी। मैं उस वक्त इसी समाचार की जानकारी हेतु चौक पर ही था। बाहर सड़क पर जाम की स्थिति थी। वह मंज़र मेरी आँखों ने खुद देखा था कि क्षेत्राधिकारी अपनी गाडी छोड़ लगभग दौड़ती हुई थाना परिसर में आई थी।

इस गिरफ़्तारी और कार्यवाही के बाद जमीलुद्दीन ने क्षेत्रीय जनता और व्यापारियों का विश्वास जीत लिया। इसके बाद पारो के कारोबार को कभी भी जमीलुद्दीन ने सांस नही लेने दिया और आखिर ऐसा हुआ कि पारो को कारोबार इस इलाके में बंद करना पड़ा। इस इलाके को हिरोईन के कारोबार से मुक्ति दिलवाने का श्रेय जमीलुद्दीन को ही जाता है। इस कार्यवाही के बाद जमीलुद्दीन को क्षेत्र के नागरिको और व्यापारियों द्वारा विशेष सम्मान इस कारण मिलने लगा कि इस प्रकार की कार्यवाही इसके पहले कभी हुई नही थी।

दशको पुराने जुआ के अड्डे बंद करवा डाले।

दालमंडी एक समय था जब अपनी हसीन और रंगीन शाम के लिये मशहूर था। वक्त के करवट लेने से इस इलाके ने वाणिज्यिक रूप में अपनी एक अमिट पहचान बना लिया है। इस बीच 80 के दशक में इस इलाके की तंगदस्त गलियों ने खुद के तरफ जुआरीओ को आकर्षित किया। जुआ की लत लिये लोगो ने इस इलाके में अपने अड्डे बनाना शुरू कर दिये। और देखते देखते इस इलाके में लाटरी से लेकर मोबाइल लाटरी और पर्ची पर हुआ होना शुरू हो गया। ये 80 के दशक से बदस्तूर जारी रहा। यहाँ के आम नागरिक और व्यापारी इससे त्रस्त थे। हर शिकायत कही रद्दी के टोकरी में चली जाती थी। काफी दबाव पड़े तो बड़े जुआ अड्डो से दो चार की गिरफ़्तारी करके कोरम पूरा होता था। मगर मजबूत और माकूल कोई कार्यवाही कभी नही हुई। जुआ अपने पाँव मजबूती से पसारे हुवे था। इस इलाके के कुछ कथित स्वयंभू द्वारा इस जुआ को संरक्षण मिला हुआ होने की चर्चाये भी फिजा में रहती थी।

अब क्षेत्रीय जनता की रोज़ ही इस जुआ अड्डो के खिलाफ शिकायते आने लगी। इस जुआ अड्डो को बंद करवाना कोई आसान नही था। तत्कालीन थाने चौकी पर पकड़ रखने वाले कुछ लोगो का संरक्षण इस जुआ अड्डो को हुआ करता था। पुलिस कोई कार्यवाही करती उसके पहले ही सटोरियों पर खबर पहुच जाती थी। इस जुआ के गोरखधंधे को बंद करवाना थोडा कठिन प्रतीत हो रहा था। यहाँ जमीलुद्दीन की सुझबुझ काम आई और पहले उन थाने चौकी पर लेफ्ट राईट करने वाले सटोरियों पर शिकंजा कसना शुरू किया। जिससे उनका थाना चौकी में आमद कम होने लगी। इसके बाद जब उनकी आमद रफत बंद हुई तो फिर शुरू हुई जुआ अधिनियम के तहत चालान का क्रम। जुआरियो में हडकंप मच गया था। और आखिर में दशको पुराना इस इलाके में होने वाला जुआ अब बंद हो चूका है। इसके बंद होने के बाद व्यापारियों और क्षेत्रीय नागरिको ने राहत की साँस लिया है।

अब जब इस क्षेत्र के एसएसआई चन्द्र प्रकाश कश्यप के साथ ही दोनों क्षेत्र को भली भाति जानने वाले एसआई जमीलुद्दीन और नंदू यादव का स्थानांतरण हो चूका है और नवागंतुक प्रशांत पाण्डेय के साथ नागेन्द्र बाबु क्षेत्र में आ चुके है तो क्षेत्रीय व्यापारियों और नागरिको को अब शंका बलवती हो रही है कि जब तक ये नवागंतुक क्षेत्र को समझ पायेगे तब तक कही दुबारा पुराने गोरखधंधे फिर न शुरू हो जाए। इस सम्बन्ध में क्षेत्रीय व्यापारी और व्यापार मंडल के महामंत्री शाहनवाज़ खान शानू ने हमसे बात करते हुवे कहा कि भले हम पुलिस के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे, मगर हम अपने जीवन का एक दिन बिना पुलिस के खुद को सुरक्षित नहीं महसूस कर सकते है। जिस प्रकार से चुनाव सर पर है और इलाके के पुराने पुलिस कर्मियों के स्थानांतरण हुवे है उससे इस बात की शंका बढ़ जाती है कि कही फिर से पुराने गोरखधंधे न शुरू हो जाए क्योकि आने वाले की क़ाबलियत पर तो कोई शक नही है मगर उसको भी इलाके को समझने में वक्त लगेगा।

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