कानपुर – अपनों ने ही खामोश कर दिया एक बोलती कलम, नवजवान पत्रकार विजय गुप्ता की हत्या, लाश हुई बरामद, जाने हत्या के कारण और देखे मौके की तस्वीरे

तारिक आज़मी/आदिल अहमद

कानपुर। जब सगा भाई ही जान का दुश्मन हो तो दुनिया का क्या कसूर। वह एक बोलती हुई कलम थी। रोज़ कम से कम दो खबरों को खुद से कवर करके जनता के सामने प्रस्तुत करना उसका रोज़मर्रा का काम था। मगर अपनों ने ही इस बोलती नवजवान कलम को ख़ामोशी के अन्धकार में धकेल दिया। एक मासूम पत्रकार की दर्दनाक मौत देने वाले कोई और नही बल्कि अपने खुद के सगे थे।

File Photo Vijay Gupta

कानपुर पत्रकारिता का एक उभरता हुआ नाम विजय गुप्ता अब खामोश हो गया है। विजय गुप्ता की हत्या हो चुकी है। उन्नाव जनपद के अचलगंज थाना क्षेत्र के बदरका चौकी क्षेत्र के आज़ाद मार्ग पुलिया से पत्रकार विजय गुप्ता की लाश पुलिस ने बरामद कर लिया है।

Investigation of Police at Achalganj Unnav

बताया जा रहा है कि रायपुरवा थाना क्षेत्र का रहने वाला पत्रकार विजय गुप्ता कल से घर नही वापस आया था। पत्रकार विजय गुप्ता की पत्नी ने इसकी सुचना रायपुरवा थाना प्रभारी ने इस सम्बन्ध में विजय गुप्ता के भाई मनोज गुप्ता से बातचीत किया। बातचीत में कुछ शक होने पर पुलिस मनोज गुप्ता को लेकर थाने आई। पहले तो मनोज गुप्ता पुलिस को इधर उधार टालता रहा, मगर जब पुलिस सख्त हुई तो मनोज नर्म पड़ा और टूट गया।

Dead Body of Vijay Gupta

मनोज को साथ लेकर पुलिस उन्नाव जनपद के अचलगंज थाना क्षेत्र के बदरका चौकी स्थित आज़ाद मार्ग पुलिया पहुच कर मनोज के निशानदेही पर पत्रकार विजय की लाश को बरामद करती है। मौके पर लाश को देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा था विजय की मौत 24 घंटे से अधिक समय पहले हो चुकी होगी। मृतक पत्रकार विजय गुप्ता के शरीर पर गोली लगने का आभास हो रहा था। पुलिस ने लाश को सील करके पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया है।

Dead Body of Vijay Gupta

उफ़ रे ज़ालिम भाई ही है भाई का कातिल

पत्रकार विजय गुप्ता का दुश्मन और कोई नही बल्कि उसके खुद के सगे भाई मनोज गुप्ता और रतन गुप्ता ही है। दोनों भाइयो ने अपने तीसरे सगे भाई का अपहरण करके उसकी हत्या कर दिया। इस हत्या में कई अन्य भी एक राय संदिग्ध है ऐसा विजय गुप्ता की पत्नी के तहरीर से ज़ाहिर हो रहा है। हकीकत है जब सांप आस्तीन में हो तो क्या ज़रूरत है किसी और दुश्मनी की। शायद आज विभीषण भी शर्म कर रहा होगा, उसने तो रावण के अन्याय के खिलाफ न्याय का साथ देते हुवे रामचंद्र का साथ दिया था। यहाँ तो कातिल ही सगा भाई है।

Dead Body of Vijay Gupta

क्या थी विवाद की वजह

पत्रकार विजय गुप्ता खुद काफी सज्जन और शालीन किस्म का इंसान था। मगर कहते है पांचो उंगलिया एक बराबर नही होती उसी तर्ज पर विजय गुप्ता जितना सभ्य था उसका भाई मनोज उतना ही असभ्य था। विजय का उठना बैठना सभ्य समाज में था, जबकि मनोज के अपराधी प्रवित्ति के कारण मनोज का उठना बैठना अपने जैसे अपराधियों के साथ ही था। दोनों भाइयो का कारोबार एक ही था मगर कारोबार की दुकाने अलग अलग थी। डिप्टी पड़ाव पर दोनों भाइयो की अगल बगल दुकाने तो थी मगर मनोज के क्रूर स्वभाव और विजय गुप्ता के सभ्य शालीन स्वाभाव का असर दोनों के कारोबार पर भी पड़ता था। विजय गुप्ता के पास ग्राहक आना पसंद करते थे, जबकि मनोज गुप्ता के दुकान पर नही जाते थे।

Application of Vijay Gupta’s Wife

इस बात की खुन्नस अपराधी प्रवित्ति के मनोज गुप्ता को काफी दिनों से थी। दोनों भाइयो में अक्सर इस मुद्दे पर तू तू मैं मैं होती रहती थी। इसी क्रम में दीपावली के दिन जब विजय गुप्ता पूजा कर रहा था तब भी मनोज गुप्ता उससे झगडा करने लगा। इस सम्बन्ध में उसी दिन विजय गुप्ता ने लिखित तहरीर अपने जान के खतरे की पुलिस को दिया था। मगर पुलिस इसको मामूली घरेलु विवाद के नज़र से देख कर खामोश हो गई।

पुलिस अगर पहले चेत जाती तो आज जिंदा होता विजय गुप्ता

इसको कानपुर के रायपूरवा थाना प्रभारी की हिला हवाली नही तो और क्या कहेगे। विजय गुप्ता की पत्नी रोली गुप्ता की तहरीर और उसके बताये अनुसार विजय गुप्ता लगातार रायपुरवा थाना पुलिस को इस मामले में शिकायत देता रहता था कि उसकी जान को खतरा है। मगर आराम तलबी के कारण रायपूरवा थाना प्रभारी कभी इस मामले को लेकर गंभीर नही हुवे।

Dead Body of Vijay Gupta

इसी क्रम में दीपावली वाले दिन भी विजय गुप्ता ने मारपीट और धमकी की तहरीर दिया था। इस तहरीर को स्थानीय थाना पुलिस ने मामले में हिला हवाली केवल इस कारण किया कि मामला दो भाइयो का है। इसी तरह दीपावली के दिन भी हुआ जिसकी विजय ने लिखित शिकायत थाना स्थानीय पर किया था। इस बार की पुष्टि विजय गुप्ता की पत्नी रोली गुप्ता ने लिखित तहरीर में किया है। मगर पुलिस मामले को हलके में लेकर छोड़ दिया। अब अगर पीडिता के तहरीर को आधार माने तो उसी दिन से विजय गुप्ता घर से गायब है।

बहरहाल, विजय गुप्ता की लाश बरामद हो चुकी है। मृतक की पत्नी की तहरीर पर पुलिस कई नामज़द सहित एक अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की कार्यवाही कर रही है। घटना में दो अभियुक्तों मनोज गुप्ता और रतन को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। लाश का पंचनामा करके पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया गया है। मृतक पत्रकार के एक दो साल का बेटा है जो अभी भी अपने पापा का इंतज़ार कर रहा है। उस मासूम को कोई कैसे समझाए कि उसके पापा अब नही आने वाले है।

नम आखो से हम पत्रकार विजय गुप्ता को श्रधांजलि अर्पित करते हुवे उनके हत्यारों को सजा-ए-मौत की मांग करते है। साथ ही हम सरकार से अनुरोध करते है कि मृतक के परिवार को सुरक्षा मुहैया करवाते हुवे उनके आजीविका और आर्थिक सहायता हेतु कदम उठाये।

 

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