प्रयागराज CAA/NRC के विरुद्ध जारी है मंसूर पार्क में धरना, धरना स्थल पहुची पीएसी, भारी आक्रोश और विरोध देख लौटी वापस

तारिक खान

प्रयागराज। एक तरफ ठंड हांड कपा देने को बेचैन है,रात की सर्द हवाओं ने गर्म कंबलो की जहा याद सता रही है वही नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश का शाहीन गार्डन बना मंसूर पार्क में महिलाओं का जोश वैसे ही गर्म है। आज धरने के छठवे दिन भी भारी संख्या में भीड़ जमा रही। मात्र दस महिलाओं सहित सायरा द्वारा शुरू इस धरने में दिन प्रतिदिन ताय्दात बढती ही जा रही है। शायद सायरा के मन में एक शेर उभर रहा होगा कि “मैं अकेले ही चली थी जानिब-ए-मंजिल मगर, लोग आते गए और करवा बनता गया।”

सायरा का ये करवा रोज़-ब=रोज़ बढ़ता ही जा रहा है। इस धरने में अनवरत महिलाये पिछले 6 दिनों से बैठी है। प्रशासन ने भी मौके पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर रखा है। महिलाओं को न तो ठण्ड की शिद्दत कमज़ोर कर पा रही है और न ही पुलिस द्वारा गिरफ़्तारी का खौफ ही है। वह अपनी मांग पर अटल है और नागरिकता संशोधन कानून का विरोध दर्ज करवा रही है।

आज शुक्रवार के मद्देनज़र नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे इस धरने में भीड़ बढ़ने की संभावना को देखते हुवे महिला सिपाहियों के साथ पीएसी की दो गाड़ियां धरनास्थल पर पहुंचीं लेकिन लोगों के विरोध के कारण उन्हें बैरंग ही लौटना पड़ा। महिला सिपाहियों और पीएसी को देख धरनारत लोगो ने अपना कडा विरोध दर्ज करवाया और बढ़ते आक्रोश को देखते हुवे पीएसी के जवानों और महिला सिपाहियों को वापस लौटना पड़ा।

गौरतलब हो कि बीते रविवार शाम करीब चार बजे अचानक यह विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था। इसकी किसी को जानकारी तक नहीं थी। शायद यही वजह थी कि उस वक्त इस धरने में गिनती की महिलाएं थीं। आठ-दस महिलाएं मंसूर अली पार्क में दरी बिछाकर शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठ गईं थीं। सायरा के साथ इन 8-10 महिलाओं पर किसी ने उस वक्त तवज्जो नही दिया होगा कि ये कुछ वक्त बाद एक हुजूम में तब्दील हो जायेगा। उस वक्त किसी को अंदाजा भी नहीं था कि गिनती की महिलाओं का शुरू किया गया यह धरना बड़ा रूप ले लेगा। रात होते-होते यहां सैकड़ों की संख्या में महिलाएं पहुंच गईं। उन्होंने सीएए को वापस लेने की मांग शुरू कर दी। धरना पूरी रात चला।

ठंड में महिलाओं के लिए बिस्तर आदि के भी इंतजाम किए गए। पुलिस व एलआईयू भी लगातार यह जानने की कोशिश में लगी रही कि आखिर उनका अगुवा कौन है लेकिन हर बार उन्हें यही बताया गया कि यह आम आवाम का विरोध प्रदर्शन है। नेतृत्व करने वाला कोई नहीं है। धीरे-धीरे महिलाओं की संख्या और बढ़ने लगी तो उनके बैठने के इंतजाम भी बढ़ाए गए। लगातार छह दिन से धरना चल रहा है। हर दिन महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। उनके बैठने के इंतजाम के साथ चाय-पानी, व नाश्ते-खाने की व्यवस्था भी लगातार हो रही है।

धरने को महिलाएं संबोधित भी कर रही हैं। कोई इंकलाब का नारा लगा रहा है तो कोई संविधान बचाने की आवाज बुलंद कर रहा है। बीच-बीच में धरने का समर्थन करने वाले भी पहुंच रहे हैं। कम समय में अपनी बात रख रहे हैं। इस हुजूम का कोई नेतृत्व नही है। सिर्फ और सिर्फ आम आवाम है। दिल्ली के शाहीन बाग़ और कानपुर के मुहम्मद अली पार्क के तर्ज पर यहाँ भी धरना जारी है। महिलाओं की संख्या रोज़-ब-रोज़ बढती जा रही है। यदि धरने और मांग का समर्थन करने कोई आता है तो उसको बोलने का थोडा ही वक्त दिया जाता है। महिलाओं के चाय नाश्ते के साथ यहाँ बैठने और कम्बल आदि की भी व्यवस्था है।

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