तहसील प्रशासन काली पालीथीन में पैक कर भेज रहा क्वॉरेंटाइन सेंटरों में भोजन, नहीं दिखाई दे रही कोई एहतियात

फारुख हुसैन

पलिया कलां खीरी ÷ कोरोना जैसी महामारी से जहां पूरा देश या कुछ इस तरह से कहें की पूरा विश्व ही इस महामारी की चपेट में है जिसके चलते लोग डरे-सहमें दिखाई दे रहें हैं हर रोज ही इस महामारी की चपेट में हर रोज लगभग हजारों के हिसाब से मौते भी हो रहीं हैं ।जिसकी वजह से महामारी के स॔क्रमण से बचाव के लिये लगातार ऐहितयात भी बरती जा रही है।

इसी के वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र के द्वारा मोदी पूरे देश को लाकडाउन किया गया है और उन्होने जनता से अपील की है कि वह लगातार सोशल डिस्टेंस बनाये रखें और अपने घरों में ही रहें, तो वहीं इस महामारी पर रिसर्च कर रहे. हमारे वैज्ञानिक और चिकत्सकों की माने तो इस महामारी जैसे स॔क्रमण से बचने के लिये हाथों में ग्लब्स, मुंह पर मास्क और सैनेटाइजर का उपयोग सहित अन्य बचाव की प्रक्रिया करने की बात कहीं है और इस वजह से अब लोग लगातार इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इन पर अमल कर रहें हैं।

इसके अलावा शासन प्रशासन पूरी तरह से कोरोना योद्धा बनकर इस महामरी को हराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रहें हैं। इसी में ऐहितयातन तौर पर बाहर शहरों में रह रहे रोजमर्रा मजदूर या अन्य ऐसे लोग जो बाहर अपना जीविका पार्जन कर रहे थे, जो अपने घरों को वापस लौटने पर उन्हे क्षेत्र में बनाये गये क्वाॅरेनटाइन सेटरों में चौदह दिनों के लिये रखा जा रहा है जहां पर उनके खाने पीने और सुरक्षा की पूरी सुविधा शासन प्रशासन के द्वारा की जा रही है ।

ऐसे में जिले की तहसील पलिया कलां में भी तहसील के ही बलदेव वैदिव विद्यालय इंटर कालेज में बनाये गये क्वाॅरेंटाइन सेंटर में भी तहसील प्रशासन के द्वारा लगभग एक डेढ़ महीने से क्वॉरेंटाइन में रहने वालों के लिए भोजन बनाया जा रहा है जिसकी जिम्मेदारी लेखपालों को दी गयी है जहां से उनके देखरेख में ही भोजन बनने के बाद भोजन को पैक कर भेजा जा रहा है। लेकिन ऐसे में जो वीडियो और फोटों सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो तहसील प्रशासन की कार्यशाली पर एक प्रश्नचिन्ह लगता नज़र आया कि जो भोजन सेटरों में जा रहा है उस भोजन को बनाने वालों का तो पता नहीं लेकिन भोजन को पैक करने वालों के हाथों में न तो ग्लब्स या फिर कैप पहने नज़र आये,न ही मास्क और यही नहीं उनके पैरों में भी जूते चप्पले पहने दिखाई दे रहें हैं,वह काली पाॅलीथीन में पैक होकर जा रहा है जो सेटरों मे रह रहे लोगों के स्वास्थय से खुलेआम खिलवाड़ होता दिखाई दे रहा है ।देखा जाये तो पलिया तहसील प्रशासन सेटरों में रह रहे लोगों को खुलेआम मौत बांट रहें हैं,जो खुद में बहुत ही शर्मनाक है ।जब इस बारे में सेटरों में रह रहे लोगों से बातचीत की तो उन्होने बताया हमको काली पॉलिथीन में भोजन भेजा जा रहा है जो हम जानते हैं की यह हमें नुकसान करेगा लेकिन उसको हम बड़ी मजबूरियों के साथ खा लेते हैं साथ ही उन्होने यह भी बताया अन्य संस्थाओं से भी हम सड़के लिये के लिए खाना आ रहा है, जिसको लोगों ने काफी पसंद किया है और इस तरह की मिल रही जानकारी के कारण जब बीते दिनों पलिया क्षेत्राधिकारी राकेश कुमार नायक ने जब सेंटर का निरिक्षण किया तो पाया जो भोजन लोगों को खाने के लिये भेजा जा रहा है वो काली पाॅलीथीन में पैक कर भेजा जा रहा है यह देखकर उन्होने इस बारे में आपत्ति की थी जिसपर पर लेखपालों के द्वारा मामला तूल  पकड़ता नज़र आया था लेकिन बाद में सब ठीक हो गया।

लेकिन जिस तरह से यह तस्वीरें सामने आई उन तस्वीरों को देखकर सहज भी अनुमान लगाया जा सकता है कि तहसील प्रशासन इस महामारी से निपटने के लिये लिये कितना सज़ग नज़र आ रहा है और वह कितनी एहितयात बरत रहा है ।देखा जाये तो जहां हमारी सरकार अपना कर्तव्य पूरी तरह से निभाते दिखाई दे रही है और हर तहसील में आमजन के लिये लाखों के हिसाब से रूपये भी खर्च कर रही है लेकिन जब इस तरह की तस्वीरें सामने आईं तो उन पर बड़ा सवालिया निशान उठता दिखाई दे रहा है ।हाल ही में जब इन पाॅलीथीन को प्रतिबंधित कर दिया गया था जिसके बाद शासन प्रशासन के द्वारा कड़ाई से पालन भी करवाने के आदेश दिये गये थे और पलिया तहसील में कई व्यापारियों से मोटा जुर्माना भी वसूल किया गया था ।लेकिन आज इन पाॅलीथीनों की अधिकतममात्रा तहसील में ही नज़र आ रही है और जिसमें भोजन पैक किया जा रहा है ।तो ये कहां से आ गयी

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