राजस्थान सियासी घमासान – सत्तारूढ़ दल से बीटीपी ने लिया समर्थन वापस, फ्लोर टेस्ट के समय किसी को वोट न करने का हुआ पार्टी द्वारा निर्देश जारी

आफताब फारुकी/ आदिल अहमद

नई दिल्ली: राजस्थान में जारी सियासी उठापटक के बीच सत्तारूढ़ दल के समर्थक दल बीटीपी ने अपना समर्थन गहलोत सरकार से वापस ले लिया है। बताते चले कि गहलोत सरकार को बीटीपी के दो विधायको का समर्थन हासिल है। मौजूदा विधानसभा में बीटीपी के दो विधायक सदन में है।

भारतीय ट्राइबल पार्टी ने कांग्रेस की अशोक गहलोत से समर्थन वापस ले लिया है। भारतीय ट्राइबल पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष महेश भाई वसावा ने अपनी पार्टी के दोनों विधायकों को पत्र लिखकर निर्देश दिया है और कहा है कि विधानसभा में फ़्लोर टेस्ट के समय वे न तो कांग्रेस को, ना अशोक गहलोत को, ना सचिन पायलट को और ना ही बीजेपी को वोट करें। दोनों विधायकों को वोटिंग के दौरान एबसेंट रहने को कहा गया है। पार्टी ने साथ-साथ निर्देश न मानने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी चेतावनी दी है।

दूसरी तरफ चल रही तमाम उठापटक के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिलहाल अपनी सरकार बचाने में कामयाब रहे हैं। उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की बगावत रंग लाती नहीं दिख रही है। बीजेपी ने पायलट से दूरी बना ली है और कल तक तीस विधायकों का दावा कर रहे पायलट अपने खेमे में मुश्किल से 15-20 विधायक ही जुटा पाए हैं। कांग्रेस की ओर से पायलट को मनाने और समझौते के संकेत मिल रहे हैं।

कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि परिवार के झगड़े परिवार में ही सुलझा लेने चाहिए। पर गहलोत की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। उनका दावा 109 विधायकों के समर्थन का था, लेकिन उनके घर हुई विधायक दल की बैठक में सौ विधायक ही जुटे। कुछ निर्दलीय और अन्य छोटी पार्टियों के विधायकों के समर्थन का भी दावा है। पायलट की ही तरह गहलोत भी अपने विधायकों की खेमेबंदी कर रहे हैं। उन्हें जयपुर के बाहर एक रिजॉर्ट में ले जाया गया है।

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