वाराणसी नगर आयुक्त साहब: बेनिया स्थित सराय हडहा में भवन संख्या सीके 47/30 का सीवर एक सप्ताह से इलाके के कारोबार को बहा ले गया है, जनता का पुरसाहाल कोई नही आप ही कुछ कर दे….!

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: वाराणसी के कारोबारी हब बेनियाबाग़ स्थित सराय हड़हा का कारोबार पिछले एक सप्ताह से सीवर के बहते पानी में बह गया है। कल-कल करते हुवे जलकल का सीवर बह रहा है और ज़िम्मेदार एक सप्ताह से कारोबारियों और इलाके के निवासियों को आश्वासन दर आश्वासन दिए पड़े है। ऐसे में कारोबारियों ने निराश होकर तीज के दुकानदारी की उम्मीद ही छोड़ दिया है।

पहले से ही मंदी की मार सहते सराय हड़हा के कारोबारियों को कुछ उम्मीद तीज पर्व पर बंधी थी कि तीज की दुकानदारी उनके घरो का चूल्हा जलता रहने देगी। मगर तीज जब सर पर है तो नगर निगम के जलकल की लापरवाही से पूरा कारोबार ही बहते सीवर के भेट चढ़ चूका है। एक सप्ताह से भवन संख्या सीके0 47/30 के पास बहते हुवे सीवर ने अब दुकानों का रुख कर लिया है। आसपास के कटरे में सीवर का पानी कारोबार को पूरा चौपट करे है। ज़िम्मेदार इस समस्या से मुह मोड़ कर सिर्फ फोटो खिचवाने में व्यस्त है।

एक स्थानीय दुकानदार ने हमको फोन करके वहा की तस्वीरे और वीडियो उपलब्ध करवाया है। रुआंसे गले से उसने कहा कि ‘बड़ी उम्मीद थी कि तीज पर्व पर मार्किट चलेगी तो कारोबार में कुछ मुनाफा होगा। मगर एक सप्ताह से इतनी बुरी तरह से बहते सीवर से होकर ग्राहक आना नही चाहते है और हम लोगो का कारोबार पूरा ठप हो गया है। हाल ऐसी है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि के करीबियों से कहते हुवे जुबान थक गई है। मगर कोई समस्या का निस्तारण नही निकला केवल आश्वासन मिला।’

कारोबारी ने हमसे बताया कि ‘एक नही दो दो व्यापारियों की संस्था हमारे क्षेत्र में व्यापारी हितो के काम हेतु दावा करती है। उनके पदाधिकारियों से कहते हुवे जुबां थक गई मगर उन्होंने भी इसकी सुध नही लिया। फिर कैसे कारोबारियों के भले का दावा ऐसे लोग करते है?’ व्यवसाई ने हमसे कहा कि सोशल मीडिया पर समस्या को वायरल करने से नेता लोग इलाके के मना करते है कि घर की बात है घर में हम लोग हल करवा देंगे। मगर बात तो अब पेट की हो गई है क्योकि कारोबार नही होगा तो पेट कैसे भरेगा। कोई सुनवाई करने वाला है।

हालात का जायजा आप इस वीडियो में ले सकते है हुजुर….!

बहरहाल, अल्पसंख्यक बाहुल्य इस इलाके के सीवर की समस्या ने ज़बरदस्त मुह बा लिया है। हम किसकी शिकायत करे अथवा किसको सेहरा पहनाये हमको खुद नही मालूम। एक सीवर साफ़ होते समय 20 लोग तस्वीर खिचवाने के लिए आ जाते है। मगर जब यही सीवर बहता रहता है तो उस समय भी अपनी तस्वीरे वैसे ही दांत दिखाते हुवे खिचवा लेने में शायद कोई हर्ज नही होगा। कम से कम एक यादगार तो रहेगी कि हमने अपने कर्तव्यों के पालन हेतु शायद अपने प्रयास को पूरा नही किया था, तभी तो समस्या बरक़रार है।

हमारा काम खबर दिखाना और जानकारी अधिकारियो को अपने खबर के माध्यम से देना है। तसल्ली हम कर लेते है कि हमने जन समस्या उठाया। मगर अब खुद के लिए भी एक यादगार बनाने का वक्त आ गया है जब ऐसी जनसमस्याओं को उठाने के बाद अगर निस्तारण होता है तो ठीक है। उसका सेहरा कोई पहन ले। हमको कौन सा वोट चाहिए। मगर अगर समस्या ऐसे ही रहती है तो हम खुद वहा खड़े होकर अपनी बत्तीसी निपोर कर फोटो खिचेगे ताकि सनद हमको भी रहे कि हमने शायद इस जनसमस्या के मुद्दे को पुरे मन से नही उठाया होगा।

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