एक ही सफ में बैठे फिर अमीर-ओ-अयाज़: वाराणसी के दालमंडी स्थित अर्शी कटरे में बिछा ‘इफ्तार का दस्तरख्वान’, शामिल हुवे सैकड़ो रोज़ेदार

ईदुल अमीन

वाराणसी: अल्लामा इकबाल का मशहूर कलाम है ‘एक ही सफ में खड़े हो गये अमीर-ओ-अयाज़, न कोई बन्दा रहा और न कोई बन्दानवाज़।’ ऐसे ही कुछ हालात इफ्तार के ‘दस्तरख्वान’ पर दिखाई देता है जब एक ही ‘दस्तरख्वान’ पर ‘अमीर-ओ-अयाज़’ रहते है। मगर सभी महज़ रोज़ेदार ही रहते है। न कोई ओहदा और न कोई रुतबा या रुआब।

अब जब रमजान का आखरी अशरा चल रहा है तो इफ्तार के दवातो का सिलसिला रोज़-ब-रोज़ बढ़ता ही जा रहा है। ऐसा ही एक ‘इफ्तार का दस्तरख्वान’ वाराणसी के दालमंडी स्थित अर्शी कटरे में क्षेत्र के नवजवानों ने लगाया। इस दस्तरख्वान पर सैकड़ो लोगो ने इफ्तार किया और एक ही सफ में बैठ कर। इंतज़ाम ऐसा कि लगता ही नही था कि कौन मेज़बान है और कौन मेहमान।

ये इत्माम स्थानीय नवजवानों ने किया था। न स्ट्रीम लाइट की ख्वाहिश और न ही किसी हो हल्ला करके बताने की चाहत। न फोटो शूट और न ही कोई प्रेस नोट। मकसद महज़ इतना था कि रोजेदारो के साथ बैठ के सभी इन्तेजामकार रोज़ेदार ‘इफ्तार’ करे। ‘दस्तरख्वान बिछा और सफ बैठी। अज़ान की सदा आते हुवे पहले दुआ हुई और मुल्क में अमन-ओ-चैन और कारोबार में तरक्की की दुआ मांग कर तमाम आलमीन की खैर अपने रब की बारगाह में मानते हुवे इफ्तार का पहला निवाला मुह में गया।

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