नीट पीजी काउंसलिंग में देरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरो पर पुलिस की कार्यवाही से भारी रोष, हड़ताल से प्रभावित रही आपातकालीन सेवाएं

आदिल अहमद संग तारिक खान

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस के खिलाफ डाक्टरों का गुस्सा आखिर रात को फुट ही पड़ा था और देर रात तक सरकारी अस्पतालों की आपातकालीन सेवाए प्रभावित हो गई थी। बताते चले कि नीट पीजी काउंसलिंग में देरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टर दिल्ली पुलिस की कार्यवाही से आक्रोश था। सोमवार की शाम डॉक्टरों ने सभी स्वास्थ्य सेवाओं को बंद करने की घोषणा की जिसके बाद देर रात तक राजधानी के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं तक प्रभावित रहीं। अभी तक यह हड़ताल राजधानी के करीब 6 बड़े अस्पतालों में चल रही थी लेकिन अब सभी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर इसमें शामिल हुए हैं।

जानकारी के अनुसार, सोमवार सुबह फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) ने नीट पीजी काउंसलिंग का समय जल्द से जल्द घोषित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की। सुबह 10 बजे मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में एकत्रित हुए रेजिडेंट डॉक्टरों ने जैसे ही प्रदर्शन शुरू किया और कॉलेज परिसर से बाहर आए, दिल्ली पुलिस ने चंद मीटर पर ही उन्हें रोक दिया। आईटीओ स्थित शहीद पार्क के पास हजारों की तादाद में जुटे डॉक्टरों को जब पुलिस ने रोका तो वे सड़क पर ही बैठ गए। इसके चलते दिल्ली गेट से आईटीओ की ओर आने-जाने वाला मार्ग पूरी तरह से जाम में तब्दील हो गया। कई घंटों तक वाहनों की लंबी कतारें देखने को मिलीं।

इसी बीच केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ0 सुनील कुमार भी डॉक्टरों से मुलाकात करने पहुंचे लेकिन समाधान नहीं निकलने के बाद जैसे ही वह धरना स्थल से रवाना हुए। कुछ ही देर में दिल्ली पुलिस ने शक्तिबल का प्रयोग करते हुए डॉक्टरों को हिरासत में लेना शुरू किया। देखते ही देखते विरोध प्रदर्शन उग्र हुआ और पुलिस व डॉक्टरों के बीच तनातनी शुरू हुई। हिरासत में लिए डॉक्टरों को देर शाम पुलिस राजेंद्र नगर थाना ले गई और फिर उन्हें छोड़ दिया।

आरोप है कि पुलिस ने धरने पर बैठे डॉक्टरों के साथ बदसलूकी की है। साथ ही महिला डॉक्टरों के साथ मारपीट भी की है। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है। जबकि फोर्डा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ0 मनीष कुमार का कहना है कि कई पुलिसकर्मियों ने डॉक्टरों के साथ मारपीट की है। उन्हें थप्पड़ तक मारे हैं और कुछ के कपड़े भी फटे हैं। महिला डॉक्टरों के साथ गलत व्यवहार किया। डॉ0 मनीष का कहना है कि पुलिस जवानों ने उन्हें गालियां तक दी हैं। पुलिस की इस कार्यवाही के खिलाफ डॉक्टरों ने अब पूरी तरह से शट डाउन करने का फैसला लिया है।

वहीं एम्स आरडीए ने पुलिस द्वारा डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार की निंदा की है। आरडीए ने सरकार और पुलिस से माफी के साथ सभी हिरासत में लिए गए डॉक्टरों की तत्काल रिहाई की मांग की। साथ ही कहा, यदि 24 घंटे के भीतर सरकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है, तो एम्स आरडीए 29 दिसंबर को हड़ताल पर जाएगा।  मध्य जिला पुलिस उपायुक्त ने डॉक्टरों के आरोपों से इनकार किया है। उपायुक्त का कहना है कि डॉक्टरों के साथ कोई मारपीट या बल प्रयोग नहीं किया गया। इन लोगों ने जब सड़क को जाम कर दिया था तो उनको हिरासत में लेकर आईपी इस्टेट थाने लाया गया। बाद में सभी को रिहा कर दिया गया। पुलिस ने हिरासत में लेने से पूर्व इनको समझाकर हटाने का प्रयास किया था। वहीं पुलिस कर्मियों की ड्यूटी में बाधा डालने और धरने के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर धारा 188 व अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।

दरअसल, नीट पीजी काउंसलिंग का यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं। कोर्ट की ओर से सुनवाई के लिए आगामी 6 जनवरी का दिन तय किया गया है लेकिन काउंसलिंग पहले कराने के लिए डॉक्टर बीते 11 दिन से हड़ताल पर हैं। सफदरजंग, लोकनायक, जीटीबी, जीबी पंत, आरएमएल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज जैसे बड़े अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर मरीजों का इलाज नहीं कर रहे हैं। यहां ओपीडी से लेकर सभी तरह की स्वास्थ्य सेवाएं पहले से प्रभावित हैं लेकिन एम्स सहित कुछ अस्पतालों में इलाज मिल रहा है जिसकी वजह से मरीजों को थोड़ी बहुत राहत थी लेकिन सोमवार शाम सभी अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर विरोध में उतर आए हैं।

रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि मोदी सरकार ने पिछले साल कोरोना योद्घाओं पर फूल बरसाए थे। उनके लिए थालियां भी बजवाईं लेकिन अब वही सरकार कोरोना महामारी की जब तीसरी लहर आ रही है तो डॉक्टरों पर लाठी बरसा रही है। सफदरजंग अस्पताल की डॉ0 सविता ने बताया कि उनके साथ दिल्ली पुलिस के पुरुष जवानों ने खींचतान की और उन्हें घसीटने का प्रयास भी किया।  सोमवार देर शाम जब पुलिस ने डॉक्टरों को हिरासत से मुक्त किया तो डॉक्टर सफदरजंग अस्पताल पहुंचे। इसके बाद राजधानी के अलग अलग अस्पतालों से एकत्रित होकर हजारों की संख्या में रेजिडेंट डॉक्टर पहुंचे हैं। अस्पताल परिसर में देर रात तक विरोध प्रदर्शन जारी रहा।

देर रात सफदरजंग अस्पताल में चली बैठक के बाद रेजिडेंट डॉक्टरों ने फैसला लिया है कि मंगलवार सुबह से राजधानी के सभी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं नहीं चलने देंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि सभी अस्पतालों की ओपडी में ताला लगाया जाएगा और इमरजेंसी में भी ड्यूटी नहीं देंगे। डॉ0 मनीष ने कहा कि मरीजों की परेशानी को समझते हुए अब तक उग्र प्रदर्शन नहीं किया जा रहा था लेकिन सरकार की जिद और पुलिस की कार्यवाही के विरोध में अब यह फैसला लिया गया है।

सोमवार देर रात 11 बजे तक सरोजनरी नगर थाने के बाहर रेजिडेंट डॉक्टर धरना देते रहे। आईटीओ स्थित शहीद पार्क पर विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस की कार्यवाही से नाराज रेजिडेंट डॉक्टर रात साढ़े आठ बजे सफदरजंग अस्पताल से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ0 मनसुख मांडविया के आवास की ओर रवाना हुए लेकिन रिंग रोड पर पहुंचने के बाद ही दिल्ली पुलिस ने सभी को रोक दिया।

इस दौरान काफी देर तक रास्ते पर जाम लगा रहा। यहां सरोजनी नगर थाने पहुंचे हजारों की तादाद में रेजिडेंट डॉक्टर रात 11 बजे तक प्रदर्शन करते रहे। खबर लिखे जाने तक डॉक्टरों का प्रदर्शन जारी था। उधर दिल्ली एम्स और सफदरजंग अस्पताल के फैकल्टी एसोसिएशन ने भी दिल्ली पुलिस के आयुक्त को पत्र लिख घटना की निंदा की है और डॉक्टरों पर बल इस्तेमाल को लेकर आक्रोश व्यक्त किया है। हालांकि दिल्ली पुलिस ने डॉक्टरों के आरोपों से साफ इंकार किया है। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन के चलते उनके सात जवान चोटिल हुए हैं।

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