आलिमो की सुझबुझ आई काम, वर्ना महेश मिश्रा ने अपने साथियों एक साथ मिल कर कर लिया था दंगे की आग में धर्म नगरी अयोध्या को झोकने का पूरा प्लान, मुस्तैद पुलिस के चंगुल में आये 7 आरोपी

आदिल अहमद

डेस्क: अयोध्या में धर्म के नाम पर भावनाओं को भड़का कर दंगे फैलाने की साजिश के आरोप में पुलिस ने कुल 7 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर एक बड़ी साजिश का खुलासा किया है। साजिश कुछ ऐसी थी कि धर्म नगरी इस अधर्मियों के कृत्यों से दंगे के आग में दहक जाए। मगर यहाँ अयोध्या पुलिस को मानना पड़ेगा कि उसकी मुस्तैदी ने इन अमन के दुश्मनों को सलाखों के पीछे पंहुचा दिया। साथ ही तारीफ के काबिल आलिमो के फैसले रहे जिन्होंने भड़कने के बजाये कानून का सहारा लिया। कानून पर भरोसा जताना आखिर काम आया और ये साजिशकर्ता आखिर पुलिस के मजबूत हाथो की पकड़ में आ गए।

गिरफ्तार हुवे अभियुक्तों को कल पुलिस ने मीडिया के सामने पेश किया और घटना का पूरा खुलासा किया तो सभी अमन पसंद लोग समाज के अमन-ओ-चैन के दुश्मन महेश मिश्रा और उसके साथियों की प्लानिग सुनकर उनके शातिराना अंदाज़ को जान कर अचम्भे में पड़ गए। मास्टर माइंड महेश मिश्रा ने तो दंगे के आग में धर्म नगरी को झोकने का पूरा प्लान बना लिया था। सर पर जालीदार टोपी लगा कर उसने सोचा भी नही होगा कि पुलिस उसके तक पहुच जायेगी। मगर शायद महेश मिश्रा को ये नही मालूम था कि पुलिस के लम्बे हाथ पेड़ से आम तोड़ने के लिए नही बल्कि उसके जैसे शातिरो को पकड़ने के लिए बने हुवे है। आखिर पुलिस ने उसको उसके अन्य साथियों के साथ धर दबोचा और पुरे षड़यंत्र का खुलासा कर दिया।

मामला 27 अप्रैल की रात का है। आरोपियों ने ईद के मौके पर माहौल बिगाड़ने के लिए ये साजिश रची थी। कुछ शरारती तत्वों ने जालीदार टोपी लगाकर आपत्तिजनक पर्चे और मांस के टुकड़े धार्मिक स्थलों पर फेंके। आरोपियों ने अयोध्या के मस्जिद कश्मीरी मोहल्ला, टाटशाह मस्जिद, घोसियाना रामनगर मस्जिद, ईदगाह सिविल लाइन मस्जिद और दरगाह जेल के पीछे मांस और आपत्तिजनक पोस्टर फेंके थे। कुछ जगह पर धार्मिक पुस्तक फेंककर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। पुलिस ने जिस मुस्लिम धर्म गुरु से बयान लिए थे, उन्होंने रात 2 बजे चार बाइक पर 8 लोगों को देखा था। उस समय वे नमाज पढ़ने जा रहे थे। उन्होंने सबसे पहले आपत्तिजनक पोस्टर देखे और पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन के अफसरों तक ये मामला पहुंचाया।

कैसे दिया इन अमन के दुश्मनों ने अपनी प्लानिंग को अंजाम

पुलिस साजिश रचने वाले सभी सात आरोपियों को सामने लाई। सभी अयोध्या के रहने वाले हैं। पुलिस पूछताछ में सामने आई कहानी कुछ ऐसी है कि मास्टरमाइंड महेश कुमार मिश्रा ने अपने साथियों के साथ बृजेश पांडेय के घर पर प्लानिंग की थी। महेश ने यह पर्चे लालबाग के आशीर्वाद फ्लैक्स से छपवाए थे। यहां से कुछ फ्लैक्स भी खरीदे। आरोपी प्रत्यूष श्रीवास्तव ने चौक की गुदड़ी रोड पर मो। रफीक बुक स्टोर से धार्मिक पुस्तक की दो प्रति खरीदीं।

इस पुरे मामले में पुलिस ने खुलासा करते हुवे इन चालबाजो और अमन के दुश्मनों की साजिश के एक एक लम्हों को मीडिया के सामने विस्तार से बताया। पुलिस अधीक्षक शैलेश पाण्डेय ने बताया कि आरोपियों ने घटना को अंजाम देने से पहले जालीदार टोपी जो मुस्लिम समुदाय के लोग सर पर लगाते है को पम्मी कैंप हाउस से खरीदी थीं। घटना को अंजाम देने वालो में एक आकाश ने लालबाग से मांस खरीदा था। सभी सामान को ये शातिर 26 अप्रैल की रात 10 बजे नाका वर्मा ढाबा पर इकट्‌ठा किये और वही बैठ कर खाना खाए। जिसके बाद फिर सभी बृजेश के घर आ गए। यहीं पर फ्लैक्स पर आपत्तिजनक टिप्पणियां लिखी गईं।

इसके बाद घटना को अंजाम देने के लिए इसके बाद सभी लोग चार बाइक पर देवकाली बाईपास होकर बेनीगंज तिराहा पहुंचे। जहा पुलिस की PRV गाड़ी होने से यहां वारदात नहीं कर सके। फिर कश्मीरी मोहल्ला मस्जिद में जाकर धार्मिक पुस्तक और मांस फेंका गया। इसके बाद राजकरन स्कूल के सामने से टाटशाह मस्जिद पर उन्होंने आपत्तिजनक पर्चे और मांस फेंक दिया। फिर जेल के पीछे गुलाब शाह दरगाह पर धार्मिक पुस्तक एवं मांस फेंका। ईदगाह सिविल लाइन, घोसियाना रामनगर मस्जिद पर भी इसी तरह से आपत्तिजनक पर्चे फेंके गए।

मामले का पता कैसे चला?

अयोध्या पुलिस के मुताबिक जिन जगहों पर ये आपत्तिजनक चीजें फेंकी गईं, उनमें मस्जिद कश्मीरी मोहल्ला, टाटशाह मस्जिद, घोसियाना रामनगर मस्जिद, ईदगाह सिविल लाइन और गुलाबशाह दरगाह जेल शामिल हैं। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज को खंगाला जिसमें 4 बाइक पर कुल 11 लोग दिखाई दिए। पुलिस ने बताया है कि इसमें एक आदमी बाइक से उतरकर विवादित सामग्री फेंकता दिखाई दे रहा है। आरोपियों ने पहचान छुपाने के लिए मुस्लिम टोपी लगा रखी थी।

पुलिस की प्रेस नोट को आधार माने तो इन शातिर आरोपियों ने बाइक के नंबर प्लेट भी बदले हुए थे। पुलिस ने टोपी बेचने वाले दुकानदारों से पूछताछ के बाद पहले दो लोगों को पकड़ा। पहले तो पूछताछ में दोनों न नुकुर करते रहे, मगर आखिर सख्ती दिखाए जाने के बाद टूटे और बाकियों के बारे में बतया। इसके बाद बाकी लोगों को भी गिरफ्तार किया गया। पुलिस की मानें तो लोगों की समझदारी के कारण बड़ी घटना टल गई। उसने बताया कि आरोपियों के खिलाफ एनएसए भी लगाया जा सकता है।

अयोध्या पुलिस ने पूरे मामले पर गुरुवार 28 अप्रैल को एक प्रेस नोट जारी किया। इसके मुताबिक आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने हाल में दिल्ली में हुई घटना (हनुमान जयंती के मौके पर हुई हिंसा) का बदला लेने के लिए ये प्लान किया। पुलिस ने बताया कि इस साजिश का मास्टरमाइंड महेश कुमार मिश्रा है। उसने बृजेश पांडेय नाम के व्यक्ति के घर में ये साजिश रची थी। सभी आरोपी अयोध्या के ही रहने वाले हैं।

अयोध्या के एसएसपी शैलेष पांडेय ने मीडिया को दिए बयान में बताया कि इसके जरिए शहर में माहौल बिगाड़ना था। बकौल शैलेष पांडेय,“सूचना मिलते ही पुलिस एक्टिव होकर जांच में जुटी। इसके बाद पूरे घटनाक्रम की छानबीन के बाद 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 4 आरोपी अभी फरार हैं। आरोपियों से बात करने पर पता चला कि उनका उद्देश्य यहां का माहौल खराब करना था। अमन-चैन की संस्कृति को प्रभावित करना था। हालांकि वे नाकाम हो गए।”

कौन कौन हुआ है अभी तक गिरफ्तार

इस घटना के सभी आरोपी अयोध्या के हैं। महेश मिश्र के खिलाफ कुल 7 FIR पहले से ही दर्ज हैं। महेश कुमार मिश्रा खोजनपुर पर रहता है। प्रत्यूष श्रीवास्तव आवास विकास कालोनी में, जबकि नितिन कुमार रीडगंज हमदानी कोठी पर रहता है। दीपक कुमार गौड़ उर्फ गुंजन नाका मुरावन टोला थाना, बृजेश पांडेय हौंसिला नगर, शत्रुघ्न प्रजापति सहादतगंज कुम्हार मंडी, विमल पांडेय कुमारगंज का रहने वाला है। इस पूरे मामले में एसीएस होम अवनीश अवस्थी ने अयोध्या पुलिस को 1 लाख रुपए इनाम देने की घोषणा की है। वही पुलिस अधीक्षक ने कहा है कि आरोपियों पर एनएसए के तहत भी कार्यवाही हो सकती है।

हिन्दू योद्धा संगठन का प्रमुख खुद को बताता है मुख्य साजिश करता महेश मिश्रा

महेश मिश्रा की गिरफ़्तारी के बाद पुलिस ने जब उसकी कुंडली खंगाली तो वह खुद को हिन्दू योद्धा संगठन का प्रमुख बताता है। अपराध में पुरानी पैठ रखने वाले महेश मिश्रा पर पहले से ही अपराधिक न्याय भंग यानी आईपीसी 406, 153 और 188 में कुल चार मुक़दमे दर्ज है। इसी तरह नितिन कुमार पर बिजली चोरी का मुकदमा पहले से ही दर्ज है। जबकि विमल पाण्डेय पर मारपीट का मुकदमा पहले से दर्ज है। आप सोचे समाज में नफरत फैलाने के लिए खुद के दिमाग में ये फितूर रखने वाले कि हम जहाँगीरपूरी हिंसा का बदला लेंगे और यहाँ भी दंगे करवायेगे, बिजली तक चोरी की जलाने के आरोपी है। मुख्य साजिशकर्ता पर 406 जैसे मुक़दमे दर्ज है।

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