बहुविवादित रहे पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा जिन्हें अदालत ने सर्वे कमीशन से हटा दिया था ने 2 पेज की दाखिल किया अपनी रिपोर्ट, कहा मिले देवग्रहो के अवशेष

शाहीन बनारसी/अजीत शर्मा

वाराणसी: बहुविवादित रहे कोर्ट कमिश्नर रहे अजय मिश्रा जिनको अदालत ने कोर्ट कमिश्नर के पद से हटा दिया था ने कल दो पेज की अपनी सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल करते हुवे जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पर असहयोग जैसे आरोप लगा रिपोर्ट में लिखा है कि मस्जिद के मलवे में देवग्रहों के अवशेष मिले है। उनकी रिपोर्ट अदालत में क्या मायने रखेगी यह आज की कार्यवाही में ज़ाहिर होगा।

बताते चले कि मस्जिद कमिटी ने पहले ही कोर्ट कमिश्नर की निष्पक्षता पर शक ज़ाहिर किया था और उनको हटाने का आग्रह अदालत से किया था। मगर अदालत ने उनको हटाया नही बल्कि 2 अन्य कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह तथा अजय प्रताप को बना दिया था। अंततः 17 मई को विशाल सिंह ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा के मुखालफत में अर्जी दाखिल कर कोर्ट से उनकी शिकायत किया था। जिसके ऊपर अदालत ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को उनके पद से मुक्त कर दिया था और कोर्ट कमिशन की रिपोर्ट में दखल न देने का हुक्म जारी किया था। जिसके ऊपर अजय मिश्रा ने विशाल सिंह पर महत्वकांक्षी होने का आरोप लगाया था।

पूर्व कोर्ट कमिश्नर जिन्हें कोर्ट ने कमीशन की कार्यवाही से अलग करने के हुक्म पिछली तारिख पर कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की अर्जी को मंज़ूर करते हुवे दे दिया था ने अपने सर्वे की रिपोर्ट में लिखा है कि छह और सात मई को हुई कमीशन की कार्रवाई में मस्जिद की दीवारों पर देवी देवताओं की कलाकृतियां पाई गई हैं। तत्कालीन अधिवक्ता आयुक्त अजय कुमार मिश्रा ने कल बुद्धवार को अदालत में दाखिल रिपोर्ट में बताया है कि ज्ञानवापी मस्जिद की पिछली दीवार पर शेषनाग, कमल के निशान के साथ धार्मिक चिन्ह मौजूद हैं। दीवार के उत्तर से पश्चिम की ओर से शिलापट्ट पर सिंदूरी रंग की उभरी हुई कलाकृति है। इसमें देव विग्रह के रूप में चार मूर्तियों की आकृति दिखाई दे रही है।

इस आंशिक रिपोर्ट को न्यायालय ने रिकॉर्ड में ले लिया है। सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दाखिल दो पेज की रिपोर्ट में तत्कालीन अधिवक्ता आयुक्त ने बताया कि शिलापट्ट पर चार देव विग्रह दिखाई दे रहे हैं। चौथी आकृति साफ तौर पर मूर्ति जैसी दिख रही है और उस पर सिंदूर का मोटा लेप लगा हुआ है। इसके आगे दीपक जलाने के उपयोग में लाया गया त्रिकोणीय ताखा में फूल रखे हुए थे। बैरिकेडिंग के अंदर व मस्जिद की पश्चिम दीवार के बीच मलबे का ढेर पड़ा है। यह शिलापट्ट भी उसी मलबे का हिस्सा प्रतीत हो रहा है। इन पर उभरी हुई कलाकृतियां मस्जिद की पश्चिम दीवार पर उभरी कलाकृतियों से मेल खाती दिख रहीं हैं।

इसके बाद उन्होंने कमीशन की कार्रवाई रोके जाने का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा है कि विवादित स्थल के मूल स्थान बैरिकेड के अंदर जाने व तहखाना खोलने में प्रशासन के असमर्थता जताने पर कार्रवाई अगले दिन के लिए टाली गई। इसके बाद उन्होंने कमीशन की कार्रवाई रोके जाने का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा है कि विवादित स्थल के मूल स्थान बैरिकेड के अंदर जाने व तहखाना खोलने में प्रशासन के असमर्थता जताने पर कार्रवाई अगले दिन के लिए टाली गई।

गौरतलब हो कि सात मई को शुरू हुई कमीशन की कार्रवाई एक पक्षकार अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की गैर मौजूदगी में शुरू हुई। रिपोर्ट में बताया गया कि खंडित देव विग्रह, मंदिरों का मलबा, हिंदू देवी-देवताओं की कलाकृति, कमल की आकृति शिलापट्ट आदि की फोटो व वीडियोग्राफी कराई गई है। सात मई को कमीशन की अधूरी कार्रवाई पर 12 मई को न्यायालय ने अधिवक्ता आयुक्त के साथ ही विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह और सहायक अधिवक्ता आयुक्त अजय प्रताप सिंह को नियुक्त किया था। इसके बाद 17 मई को अदालत ने अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा को पद से मुक्त कर दिया गया।

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