दालमंडी-हारिस बिल्डर और स्टे के बावजूद भी तोड़फोड़, कोई अचम्भे की बात तो नही है….! अमा जाने भी दो यारो, मस्जिद को कटरा बनवा देने वाले के लिए कायदा-कानून की बात करना ही बे-मायने है

तारिक़ आज़मी

वाराणसी। देर रात अगर गाना बजे तो एक गाना बजना चाहिए “रात अँधेरी है, बुझ गए दिए, सूत रहे है सारे, हारिस बिल्डर ये कहे कि जल्दी ले ले फरसा, मत देख स्टे, तोड़ डाल दूकान तू, बाहुबली का है ये निर्णय।” आपको लग रहा होगा कि शायरी और सुर लय ताल की लंका लगाते हुवे आज मोरबतिया” वाला तारिक़ आज़मी “काका” की बातो की जगह गाना काहे बना रहा है।

भाई देखे, बड़ी साफ़ साफ़ बात है। जब कछु न समझ आवे तो बेसुरी आवाज़ में बेसुरा गाना गाओ, कुल समझ में आ जायेगा। कल से खबर देखा, बेचारे पीड़ित को देखा सब दौड़ रहा है कि हारिस बिल्डर अदालत के स्टे होने पर भी उसकी दूकान तोड़ रहे है। कोई यकीन माने न माने भाई हम तो मान जायेगे इस बात पर क्योकि बात यकीन करे लायक है। अमा जो मस्जिद को तीसरे तल्ले पर भेज कर उसका मुसल्ला खाली हटा कर दूकान निकाल कर बेच दे, उसके लिए नियम कायदा कानून की बात करना बे-मायनी है भाई ये बात आप कब समझेगे। आखिर काहे नही समझते है कि हारिस नाम है बिल्डर साहब का, ऊ कुच्छो करे कोई बोल नही सकता है काहे कि बड़ा न बाहुबल का प्रदेश का बहुते बड़ा हाथ है उनके ऊपर। बिल्डर साहब चाहे तो हमरी बतिया पर नोटिस हमका भेज सकते है। हम सबूत के साथ पेश कर देंगे उनका जवाब कि उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े बाहुबली का हाथ उनके सर पर है भाई।

क्या है पूरी घटना ?

बात दरअसल 24 जनवरी के रात की है। चौक थाना क्षेत्र के दालमंडी स्थित घुंघरानी गली के एक कटरे की दुकानों को रात में ढहाने की कोशिश की गई। इसकी जानकारी एक दुकानदार को पता हो गई। असल में उहो रतिया में सुत्ते के बजाए पिक्चर देखत रहे। उनका पता चला कि टीवी पर पिक्चर हम देख रहे है उधर हारिस बिल्डर के चेला कंपनी उनकी दूकान का पूरा सिनेमा बनाने आ गये है। फरसा भी है, बेलचा भी है, कुदालो कुल लाये है आज रतिया के दूकान तोड़ डालेगे। फिर दूकान का स्टे लेकर घुमत रहिया। बेचारा दुकानदार लोवारे पहिने पहिने दौड़ पड़ा अपने दूकान पर और बोला “ए भईया ई का, कऊनो नियम कायदा कानून है, कि कुल मर्जिये की मस्ती है।” असल में दुकानदार भी तनिक पढ़ा लिखा रहा और बोले के पहिले वीडियो बा लिहिस।

चौकस एकदम समझदारी की हरकत करते हुवे तुरंते 112 पर दुकानदार ने फोन कर डाला। मौके पर पुलिस धन्न से न आ गई तो चेला लोग चम्पत होई गए। तोड़ फोड़ तो रुक गई। दुकानदार की समझदारी तनिक काम आई और दूकान तो बच गई। अब दुकानदारों के डर सता रहा है कि अरे गजब ठंडी की रात में फिलम देखे का चढ़ा जोश हारिस के खिलाफ क्रांतिकारी के तरह खड़ा तो कर दिहिस गुरु मगर अब का होई, कही कऊनो गलती तो न हो गई हमसा। अब ऊ खुदे दुकानदार बेचारा डरा डरा फिरे है। दिमाग के एक कोना में ईहो चल रहा होगा कि कही गलती से मिस्टेक तो न हो गई। अमा मस्जिद का मुसल्ला हटा कर मस्जिद को तीसरी मंजिल पर भेज कर नीच्वा में दूकान बना के बेच डाले वाला रब से न डरे है, तो केसे डरी भाई। अब दूकानदार का डर भी वाजिब है। बकिया की बतिया हम अगली बार आपका बतायेगे पूरी कहानी बता दे रहे है।

24-25 जनवरी का है थाना चौक स्थित दालमंडी घुंघरानी गली स्थित अरविंद सिंह का कटरा नाम से जाने, जाने वाले मकान नं सीके 40/68,69,70 के मालिक सईदुर्रहमान उर्फ बाबू पत्ते वाले थे, जिनके इंतकाल के बाद उनके पुत्रो गुलजार, अंसार, जमाल, कमाल, अफजाल वगैरह ने इलाके के ही बिल्डर हारिस, नफीस, सुल्तान को ठेका दे दिया इस कटरे का। इसी कटरे में बने दुकानों में तकरीबन 40 साल से आबाद दुकानदार इस राह में बाधा बन रहे थे। दुकानदारों का कहना है उन्हें हटाने के लिए योजनाबद्ध तरीके से खेल खेला गया। दुकानदारों को धमकाया-डराया जाने लगा तो दुकानदारों ने अदालत की शरण ली। अदालत ने दुकानदार सुखा देवी बनाम गुलजार अहमद वगैरह, निजामुद्दीन बनाम गुलजार अहमद के मामले में 18 नवंबर 2022 को स्टे आर्डर दिया है। अदालत के आदेश की अवमानना करते हुए बीते 24 जनवरी की रात बिल्डर और इलाके के ही  दबंग बदमाशों की टोली ने भाड़े के मजदूरों को ले जाकर कटरे को ढहाना शुरू कर दिया सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे दुकानदारों ने पुलिस को फोन किया। पुलिस मौके पर पहुंची तो मौके पर मौजूद सभी भाग खड़े हुए।

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