बिहार विधानसभा के फ्लोर टेस्ट में क्या ‘खेला’ हो जायेगा….? पढ़े क्या कहती है अंकगणित और क्या है सियासी सुगबुगाहट जो नीतिश और भाजपा को कर रही परेशान

तारिक़ आज़मी

पटना: बिहार विधानसभा में फ्लोर टेस्ट को लेकर सियासी सरगर्मी तेज़ हो गई है। कोई जहाँ इससे आश्वस्त है कि नीतिश कुमार पास हो जायेगे, वही सियासी गलियारा इस बात की सुगबुगाहट से गूंज रहा है कि ‘बिहार में खेला’ हो जायेगा। फ़्लोर टेस्ट से पहले ‘ऑपरेशन लोटस’ और ‘ऑपरेशन लालटेन’ को लेकर अटकलें अब काफी तेज़ हो गई हैं।

जानकारों के मुताबिक़ नीतीश के कुछ विधायक इस बात से नाराज़ हैं कि नीतीश कुमार हर बार कुछ चुनिंदा चेहरों को ही अपने मंत्रिमंडल में मंत्री बनाते हैं। माना जाता है कि नीतीश अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम दौर में हैं और ऐसे में कई विधायकों को ये डर है कि अगर वो अब भी मंत्री नहीं बने तो फिर कभी नहीं बन पाएंगे। यही नहीं आगे उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर भी ख़तरा दिखता है।

बिहार विधानसभा में 12 फ़रवरी यानी सोमवार को नीतीश सरकार को अपना बहुमत साबित करना है। नीतीश कुमार ने पिछले महीने 28 जनवरी को महागठबंधन का साथ छोड़कर बीजेपी से हाथ मिलाया था। लेकिन फ़्लोर टेस्ट के पहले जेडीयू का आरोप है कि बिहार में उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश की जा रही है। जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने आरोप लगाया है कि विपक्ष हमसे सीधा मुक़ाबला नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, ‘विपक्ष जो साज़िश रच रहा है या अनैतिक तौर पर जो चाहता है उसका पूरी ताक़त से साथ जवाब देंगे।’

इस बीच बीजेपी ने अपने विधायकों और विधान परिषद सदस्यों को प्रशिक्षण के लिए गया के शिविर में भेजा है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन ने दावा किया है कि कांग्रेस को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है इसलिए बिहार से बाहर भेजे हैं, जबकि बीजेपी के विधायक बिहार में ही हैं।

ख़बरों के मुताबिक़, नीतीश सरकार के एक क़रीबी मंत्री के आवास पर जेडीयू के विधायकों के लिए भोज रखा गया था, लेकिन इसमें जेडीयू के कई विधायक नहीं पहुँचे। पत्रकारों ने उमेश कुशवाहा से यह सवाल भी किया कि क्या जेडीयू के कुछ विधायक बीमार हैं, तो उमेश कुशवाहा ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।

मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक, फ़िलहाल बीजेपी के 78, जेडीयू के 45 और जीतन राम मांझी की पार्टी हम (सेक्युलर) के 4 विधायकों का समर्थन नीतीश सरकार के पास है। यानी 243 सीटों की बिहार विधान सभा में नीतीश के पास स्पष्ट बहुमत दिखता है। लेकिन बिहार में इन आँकड़ों से अलग कई तरह की अटकलें काफ़ी तेज़ हैं। इसमें जीतन राम मांझी की पार्टी के नीतीश सरकार से अलग हो जाने की चर्चा भी खूब चल रही है।

इन्हीं अटकलों के बीच सीपीआईएम के विधायक महबूब अली ने जीतन राम मांझी से मुलाक़ात की है। हालाँकि ‘हम’ के प्रवक्ता नंदलाल मांझी ने बीबीसी को बताया है कि यह मुलाक़ात अनौपचारिक थी। नंदलाल मांझी के मुताबिक़, ‘महबूब अली जी आए थे। मांझी जी के घर का दरवाज़ा हर किसी के लिए खुला होता है। उन्होंने चाय पी और मांझी जी की तबीयत के बारे में जाना, लेकिन बाहर जाकर कहा कि ‘खेला’ होगा। ये बेतुकी बात है, भ्रामक स्थिति बनाने की कोशिश है। मांझी जी मोदी जी के साथ हैं।’

वहीं जीतन राम मांझी ने भी दावा किया है कि सोमवार को नीतीश सरकार अपना बहुमत साबित करेगी। दरअसल पिछले महीने जिस वक़्त नीतीश कुमार ने एनडीए का हाथ थामा था, उस वक़्त आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने दावा किया था कि बिहार में खेला अभी बाक़ी है। उसके बाद बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने भी अपने पद से इस्तीफ़ा देने से इंकार कर दिया है।

इस बीच कांग्रेस ने बिहार के अपने कई विधायकों को हैदराबाद भेज दिया है। कांग्रेस का आरोप है कि उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश हो सकती है। बिहार कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी के मुताबिक़, जेडीयू के कई विधायक नीतीश कुमार से नाराज़ हैं और वो महागठबंधन में आएंगे तो हम दरवाज़ा बंद नहीं करेंगे।

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