अईला ई का हुआ?: लोकतंत्र सेनानी का अवैध निर्माण किया वीडीए ने सील, अब का करेगे बिल्डर मौलाना शाहिद और कथित भवन स्वामी बादशाह अली..?, सवाल ये है सील भवन पर निर्माण कैसे चालु हुआ और इतना भारी भरकम बेसमेंट कैसे खुद गया…?  

तारिक आज़मी

वाराणसी: एक तरफ जहाँ दालमंडी इलाका अपने वजूद की जद्दोजेहद कर रहा है, वही दूसरी तरफ कुछ मौका परस्त ऐसे है जो अपने अवैध निर्माण को धन के बल पर और जुगाड़ के बल पर जारी रखे हुवे है। ऐसा ही एक अवैध निर्माण है भवन संख्या Ck 43/164-171, जिसके भवन स्वामी होने का दावा खुद को लोकतंत्र सेनानी बताने वाले बादशाह अली करते है। बिल्डर के तौर पर प्रचंड जुगाडू मौलाना शाहिद है।

पिछले दिनों इस निर्माणाधीन अवैध निर्माण को वाराणसी विकास प्राधिकरण ने सील कर दिया था। वही एक व्यक्ति के द्वारा यह भी दावा किया गया था कि यह शत्रु संपत्ति है, जिसको जुगाड़ से बादशाह अली ने अपने नाम करवा लिया है। PNN24 न्यूज़ स्वतंत्र रूप से इस दावे की पुष्टि तो नही करता है, मगर क्षेत्र के चर्चाओं को अगर आधार माने तो इस सम्बन्ध में मामला विभिन्न विभागों में विचाराधीन है। इस अवैध निर्माण की शिकायत पर वाराणसी विकास प्राधिकरण के द्वारा इसको सील कर दिया गया था।

मगर असली जुगाड़ी तो इस भवन के बिल्डर मौलाना शाहिद है। मौलाना शाहिद के द्वारा जुगाड़ लगाया गया। सूत्र बताते है कि इसी जुगाड़ के तहत घूसखोरी ने अपना परचम लहराया और सील भवन का आलिशान बेसमेंट खोद डाला गया। वैसे हमारे ये समझ से एकदम बाहर की बात है कि आखिर शाहिद मौलाना और बादशाह अली द्वारा सील भवन का बेसमेंट खुदवा दिया गया तो इसकी भनक थाना चौक और वाराणसी विकास प्राधिकरण को कैसे नहीं लगी। हमारे सूत्र बताते है कि शाहिद मौलाना का कहना है कि पैसे के बल पर सब मैनेज कर लिया गया था। यानि सब कुछ मिला कर कहे तो घूसखोरी हुई जमकर।

इस दरमियान जब बेसमेंट खुद गया और अब निर्माण कार्य आगे का करवाना था तो फिर शायद अवैध रूप से पैसो के द्वारा स्वीकृति लिया गया होगा। मगर शायद नोटों की गड्डियो का वज़न कम पड़ा होगा और कागज़ उड़ गये होंगे। वैसे शाहिद मौलाना को यह बात समझना चाहिए कि वज़न बराबर रखते कंजूसी से काम नहीं चलाना चाहिए। मगर कागज़ उड़ गया तो स्थानीय वीडीए के जेई साहब को और जोनल साहब को कार्यवाही तो करना ही था। तो फिर क्या था खुद की साख को थोडा बचाने के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण ने इस भवन संख्या Ck 43/164-171 को दुबारा सील कर दिया।

यही नहीं सुनने में आ रहा है कि वाराणसी विकास प्राधिकरण ने नियमानुसार इस सम्बन्ध में ऍफ़आईआर दर्ज करवाया है। मगर PNN24 न्यूज़ इस बात की पुष्टि नही करता है कि ऍफ़आईआर दर्ज हुई है। हाँ सबसे दिलचस्प बात ये है कि जब पूरी दालमंडी अपने वजूद को बचाने में लगी हुई है, ऐसे वक्त में खुद को मौलाना का तमगा लिए हुवे शाहिद जैसे बिल्डर और खुद के पास लोकतंत्र सेनानी का कार्ड लेकर टहलने वाले बादशाह अली के द्वारा ऐसे अवैध निर्माण शायद खुद के मुनाफे हेतु ही किया जा रहा है। साथ ही सवाल वाराणसी विकास प्राधिकरण से भी है कि इतना भारी भरकम बेसमेंट खुद गया है, किसी घटना दुर्घटना का ज़िम्मेदार कौन होगा ?

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